ओवरलोड करना पड़ा मंहगा, 26 हजार के टमाटर पर कट गया 28 हजार रुपये का चालान

ओवरलोड करना पड़ा मंहगा, 26 हजार के टमाटर पर कट गया 28 हजार रुपये का चालान

धमतरी: धमतरी में एक किसान को टमाटर ओवरलोड करना मंहगा पड़ गया. किसान का आरोप है कि आरटीओ विभाग ने उसके 26 हजार रुपये के टमाटर पर 28 हजार रुपये का चालान काट दिया. इसका मैसेज किसान के पास पहुंचा और उसके बाद पीड़ित किसान कलेक्टर कार्यालय पहुंच गया. कलेक्टर कार्यालय में गाड़ी खड़ी कर किसान कहने लगा कि वह क्या करे. ?

चालान कटने की क्या है वजह जानिए?: दरअसल शनिवार को कोंडागांव के केशकाल का एक किसान अपनी गाड़ी में केशकाल से टमाटर लेकर धमतरी आया. केशकाल में मंडी बंद था तो वह टमाटर बेचने धमतरी आ गया. यहां सड़क पर चेकिंग हो रही थी. धमतरी आरटीओ विभाग ने चेकिंग में यह पाया कि किसान की गाड़ी ओवरलोड है. ओवरलोड की बात कहकर आरटीओ विभाग ने किसान के ऊपर 28 हजार रुपये का चालान काट दिया. कई बार किसान ने आरटीओ के अधिकारी से गुजारिश की, लेकिन अधिकारी नहीं माना. जिसके बाद किसान कलेक्टर कार्यालय की ओर चला गया. वहां कलेक्टर से इंसाफ की गुहार लगाई. धमतरी जिला प्रशासन ने आरटीओ को इसमें राहत के निर्देश दिए. इस तरह किसान वहां से लौटा.

धमतरी मंडी में टमाटर बेचने के लिए गए थे. 105 कैरेट टमाटर था. इतना टमाटर हम एक गाड़ी में ले जा सकते हैं. आरटीओ के अधिकारी ने कहा कि ओवरलोड है, जबकि हमारा एंट्री फीस महीना महीने का जाते रहता है. हमने उनसे रिक्वेस्ट की बहुत रिक्वेस्ट की तो उन्होंने कहा ठीक है आइंदा ध्यान रखना चालान नहीं करेंगे. हम मंडी पहुंचे ही नहीं थे कि हमारे मोबाइल पर चालान कटने का मैसेज आ गया. कुल 28 हजार रुपये का. अब बताइए ये कैसे हुआ. इसके बाद हम कलेक्टर कार्यालय गए- शब्बीर, किसान

आरटीओ विभाग को सिर्फ किसान दिखता है, किसान का ट्रैक्टर दिखता है. यह मनमानी ढंग से चालान जो करते हैं. यह बहुत किसानों के लिए दुखदाई बात है. 26 हजार का माल है 28 हजार का चालान है. 5 हजार रुपये गाड़ी भाड़ा लगा है-लीलाराम साहू, किसान नेता

आरटीओ अधिकारी से बात हुई है. कहा गया कि गाड़ी ओवरलोड था, यह बात सही है. गरीब आदमी है करके लिख कर चालान की राशि कम किया जाए करके लिखित में दिया गया है. मुख्यायल स्तर पर जो निर्णय होगा वही किया जाएगा.- जीआर मरकाम, एडीएम

धमतरी के इस घटना अजब गजब तो है. इस बीच कानून के सामने हर कोई बराबर है. प्रशासन इसे ओवरलोडिंग बता रहा है. अब देखना होगा कि इस केस में किसान को राहत कब तक मिलती है.









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