परमेश्वर राजपूत, गरियाबंद : अंतरराष्ट्रीय स्तर के सामाजिक कार्यकर्ता पीवी राजगोपाल एवं उनके सहयोगियों के साथ छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार परमेश्वर राजपूत चेन्नई के नागापट्टनम पहुंचे। जहां समुद्र किनारे छोटे छोटे व्यवसाय करने वाले लोगों से मुलाकात कर उनके जीवन शैली का हाल-चाल जाने, वहीं शशि सेंटर नागापट्टनम में पहुंच सिलाई प्रशिक्षण एवं कम्प्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बच्चों व महिलाओं से मुलाकात करते हुए आगे और इस सेंटर में क्या क्या कार्य किया जा सकता है उनकी रूप रेखा तैयार की गई। तत्पश्चात वे नागापट्टनम के पंचायत अध्यक्ष से मुलाकात कर पंचायत में चलने वाली कार्य व योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की। तत्पश्चात वे वेदारणयम नगर के लिए रवाना हुए जहां महान गांधीवादी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम पर बने आश्रम और स्कुल पहुंचे जहां राजगोपाल एवं सभी अतिथियों का छात्राओं एवं स्टाफ ने आत्मीय स्वागत किया। एवं गरियाबंद जिले से पहुंचे पत्रकार परमेश्वर राजपूत को इस विद्यालय का इतिहास एवं एलबम भेंट कर सम्मानित किया।
बता दें कि ये संस्थान 15 एकड़ जमीन पर बना हुआ है है जिसमें पांच एकड़ जमीन सरकार बस स्टेशन के लिए आरक्षित करने में लगी है जिसका विरोध चल रहा है, यहां हजारों की संख्या में छात्राएं अध्ययनरत हैं, लगभग चार सौ बच्चियों का हास्टल भी है, वहीं स्कूली बच्चों को शुद्ध दुध मिले जिसके लिए 60 गायें भी पाली गई हैं। इस संस्था के लिए कई देशों के बच्चे एवं अन्य लोगों ने सहयोग किया है। जिससे यहां सुविधाएं उपलब्ध हैं इस विद्यालय में राष्ट्रपति सहित कई बड़े हस्ती एवं समाज सेवी भी समय-समय पर पहुंचते रहे। यह विद्यालय लड़कियों के लिए है और पढ़ाई के बाद फिर कई यहीं सिलाई काम में लग जाते हैं, यहां सिलाई प्रशिक्षण एवं व्यवसाय के रूप में बड़ा सर्व सुविधायुक्त संस्थान हैं वर्तमान में आश्रम,स्कुल के प्रबंधक वेद रत्नम जी हैं जिनके पूर्वजों ने इसे प्रारंभ किया था। और आज भी इसे बड़े ही सुचारू रूप से संचालन किया जा रहा है। वहीं यहां के पांच एकड़ बस स्टेशन के लिए जमीन के मामले पर यहां पहुंचे राजगोपाल जी ने कहा कि एक तरफ सरकार कहती है कि महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के सुधार का काम कर रहे हैं वहीं कस्तूरबा गांधी के नाम पर चल रहे महिलाओं के रोजगार जैसे संस्थानों की जमीन में बस स्टेशन के नाम पर नहीं छीनना चाहिए, बस स्टेशन कहीं और भी बनाया जा सकता है,ये शिक्षण संस्थान और हजारों छात्राएं उठकर कहां जायेंगे, इससे इनको असुविधा होगी,इस पर भारत सरकार और तमिलनाडु के सरकार को एक बार पुनः विचार करना चाहिए।
तत्पश्चात पीवी राजगोपाल एवं साथियों ने वेदारणयम से लगभग छः किलोमीटर दूर गांधी एवं अन्य सहयोगियों के द्वारा किए नमक सत्याग्रह स्थान पर पहुंचे मत्था टेका और गांधी जी को स्मरण कर स्मृति स्मारक को प्रणाम कर नमक बनाने वाले मजदूरों से मुलाकात किये । वहीं राजगोपाल आचार्य को नमक सत्याग्रह के दौरान अंग्रेज़ सरकार के द्वारा कैद कर जिस भवन की जेलनुमा कोठरी में रखा गया था वहां पहुंच उस स्थान को प्रणाम कर थोड़ी देर रूकने के बाद वे देर शाम मदुरै के लिए रवाना हुए।
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