मुखिया के मुखारी –  ये नेता नहीं भ्रष्टाचार के पुरोधा हैं

मुखिया के मुखारी –  ये नेता नहीं भ्रष्टाचार के पुरोधा हैं

माननीयों को लगता है संविधान की कोई परवाह नहीं है, माननीयों के नजर में कानून का कोई मान नहीं है, ये उनके चौखट में बंधी वों गाय हैं ,जिसे ये जब चाहे,जैसा चाहे,वैसा हांक ले। संविधान बदलने की बात कहने वाले राजनेता, ये बताएं कि वों अभी के संविधान को कितना मान रहे हैं? एक वों दौर था जब हम नए -नए स्वतंत्र हुए थे, तो नैतिकता थी, इस देश के ऐसे भी लाल रहे हैं ,जिन्होंने रेल हादसे की वजह से केंद्रीय मंत्री पद तक छोड़ दिया, जीप कांड से शुरू हुई घपले -घोटाले की कहानी शनैः-शनैः अरबों करोड़ों में बदल गई,नित नए घोटाले होने लगे ,कई सरकार इन घोटालों की भेंट चढ़ गए,पर सरकार चलाने वाले नहीं सुधरे,जन सेवा कहने को,स्वसेवा सेवा की महत्ता जब से बढ़ी, वंशानुगत राजनीति ने जब से अपनी पकड़ बनाई ,राजनीति में भ्रष्टाचार की जड़े उतनी गहरी होती गई ।राजनीति, त्याग,सेवा समर्पण की जगह पूरी तरह स्वसेवा केंद्रित,असीमित पारिवारिक आय का साधन बन गई, स्वतंत्रता के प्रारंभिक दिनों से लेकर दशकों तक सत्ता के केंद्र में कांग्रेस रही, फिर सविंद सरकारों का दौर समाजवादियों का उदय ,सरकारे अलग-अलग राजनीतिक दलों की थी ,पर सबकी नियति एक ही नियत साफ नहीं थी ,पहले सबने परिवारवाद का चोला ओढ़ा, फिर सब भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरते गए, निजी स्वार्थ के लिए सरकारे बनाई ,सरकारे गिराई ।

आयाराम,गयाराम की संस्कृति भी खूब फली फूली इन सबके पीछे एक ही वजह थी पैसा, नैतिकता और सेवा की बाते करने वाले, इन माननीयों के सामाजिक और आर्थिक स्तर का दो हिस्सों में आकलन करें तो इनकी सारी नैतिकता के पोल खुल जाएंगे,सिर्फ इनके बोल बचन सामने आएंगे । गुदड़ी के लाल गांव में मिट्टी के घरों में पैदा हुए ,जीवन भर राजनीति (जनसेवा) के अलावा कुछ नहीं किया, पर अब अरबों खरबों के मालिक है, होटल,विला जमीन, जायदाद बेहिसाब संपत्तियों के ये वारिस हैं। ये कानून की सारी परिधि से बाहर है, नैतिकता, सिद्धांत से इनका दुराव है ,परिवार और भ्रष्टाचार से लगाव है, इस देश में ऐसी भी अल्पमत की कांग्रेसी सरकार बनी जिसने झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसदों को घुस देंकर बहुमत खरीदा, प्रधानमंत्री तक को अदालत में खड़ा होना पड़ा,कानून ने संसद सदस्यता संवैधानिक प्रावधानों के तहत प्रधानमंत्रीकी रद्द की ,प्रधानमंत्री ने गैर संवैधानिक ढंग से देश पर आपातकाल थोपा, कैश फॉर वोट कांड कोई नहीं भूला है, ये वों घोटाले हैं जो संसद के अंदर किए गए, हर हाल में सरकार बचाने के हालात पैदा किए गए, व्यक्तिगत भ्रष्टाचार की जगह सामूहिक भ्रष्टाचार ने ले ली, जिन्होंने एक दूसरे को भ्रष्टाचारी बताया वही आज सहचर हो गए। पूरा का पूरा खानदान माननीय हो गया कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सत्ता चौखटों में बंध गई ,परिवार के आगे राजनीति नतमस्तक हो गई, हर पारिवारिक राजनीतिक दल और नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए, माननीय सारे कानून से ऊपर हो गए,किसके लिए बना रहे माननीय ये कानून? जब मान ही नहीं रखना कानून का तो आप कैसे माननीय हो गए?

सरकारे बदलती रही नेता बदलते रहे, नहीं बदली तो कहानी भ्रष्टाचार वाली, सजायापता लालू यादव आज भी राजनीति कर रहे, जनसेवा की डिंगे हांक रहे,पूरे परिवार को विधानसभा, लोकसभा,राज्यसभा भिजवा रहे राजा, कनिमोझी, चिदंबरम ------- ---सैकड़ो ऐसे किरदार है जो गमले में करोड़ों उगा रहे,पैसों के दम पर राजनीति बेदम हो गई, बेहिसाब चुनावी खर्चों के लिए दम चाहिए था पैसों का, सो सारे गुदड़ी के लालो ने लाल-लाल नोट गिने ,कमाए हर हाल में चुनाव जीत पाए ।  मतदाताओं ने भी थोड़े लालच में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया,मुफ्त की ऐसी कोई चीज नहीं जिसे इन राजनीतिक दलों ने नहीं बांटा ,पहले तो चलन पैसे और शराब का था,अब तो पायल,टीवी से लेकर सब कुछ बट रहा, इन 7 दशकों में बेशर्मी इतनी बढ़ी की सांसद खुलेआम बिजली चुराने लगे,चोरी पर कोई बात नहीं ,अल्पसंख्यक होने का दुष्प्रचार करने लगे, उस संसदीय सीट में जीत तो हिंदू मुसलमान सबके वोटो से हुई होगी फिर कैसे आप सिर्फ मुस्लिम सांसद हो गए?सांसद हो गए तो क्या बिजली चुराएंगे? आप तो खानदानी राजनीतिक परिवार से हैं,आप तो ठेले खोमचे वालों से भी गए बीते हो गए, सांसद की चोरी पर चादर ढक रहे सारे बड़े नेता, बिजली चोरी यदि अपराध नहीं तो पूरे देश कों ये अपराध करने दीजिए? भगवान के लिए तो आप पूछते हैं कि उनका अस्तित्व था कि नहीं, कहां पैदा हुए,कब पैदा हुए बताइए, भगवान आपके लिए काल्पनिक है,आप भगवान के लिए कुछ भी कह सकते हैं,पर हाड़ -मांस के भ्रष्टाचारी नेता ,आपके लिए भगवान से बड़े हो गए, सैकड़ो वक्तव्य हैं हमारे नेता के लिए कुछ ना कहिए, वरना ईट से ईट बजा देंगे,संविधान खतरे में का भ्रम फैला देंगे ,क्या सारे नेता ईमानदार हैं?  या फिर भ्रष्टाचार के बाद एक दूसरे की पीठ खुजा रहे, ये नेता नहीं भगत है, बगुला भगत हैं, अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने, जनता की आंखों में गर्दा डाल रहे चाटुकार है ये ---------- --------ये नेता नहीं भ्रष्टाचार के पुरोधा हैं

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल






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