ग्वालियर : मध्य प्रदेश में परिवहन विभाग में आरक्षक रहे सौरभ शर्मा ने भ्रष्टाचार की काली कमाई को सफेद करने के लिए अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी बनाई थी। जिस चेतन सिंह गौर को सौरभ का महज ड्राइवर समझा जा रहा था, उसके साथ शरद जायसवाल और रोहित तिवारी इस कंपनी में डायरेक्टर हैं।
22 नवंबर 2021 को शुरू की गई यह कंपनी मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के ग्वालियर स्थित दफ्तर से पंजीकृत हुई थी। कंपनी भोपाल के अरेरा कालोनी ई-7 के पते पर रजिस्टर्ड कराई गई। यहीं, लोकायुक्त पुलिस की टीम ने दो दिन पहले छापा मारकर करोड़ों रुपये और सोना-चांदी बरामद किया।
पूर्व मंत्री की भूमिका पर भी उठे सवाल
दो बार पीएससी मुख्य तक पहुंचा, अनुकंपा नियुक्ति से लगा
पैसा कमाने का चस्का प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले मनोज शर्मा बताते हैं कि सौरभ पढ़ने में बहुत होशियार था। कोचिंग के टेस्ट में अव्वल आता था। उसमें प्रतिभा थी। दो बार उसने एमपीपीएससी दी और प्रारंभिक परीक्षा में सफलता हासिल की मुख्य परीक्षा तक पहुंचा।
एक बार साक्षात्कार में रह गया। इसी दौरान पिता के निधन के बाद उसकी अनुकंपा नियुक्ति परिवहन विभाग में हो गई। यहां से उसे पैसा कमाने का चस्का लगा।
राजदार ही मुखबिर
सामने आया है कि सौरभ के दो राजदार ही सबसे बड़े मुखबिर हैं। मेंडोरी के जंगल में सोने और रुपये से भरी गाड़ी की सूचना इन्हीं के जरिए पहुंचाई गई। परिवहन विभाग में आने के बाद सबसे पहले जो सौरभ का करीबी था, उसने एक साझेदार से सारे राज उगलवाए, फिर एजेंसियों तक यह जानकारी पहुंचाई।
जिस साझेदार ने राज खोले, उसके नाम से भी सौरभ द्वारा संपत्तियां लिए जाने की बात कही जा रही है। इसके यहां छापे नहीं पड़े, क्योंकि यह मुखबिर है। टाइल्स के नीचे चांदी की सूचना भी इसी के जरिए लोकायुक्त पुलिस की टीम तक पहुंची थी।
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