राजनांदगांव : छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी कहे जाने वाले राजनांदगांव को कुपोषण मुक्ति के प्रयासों के लिए भी जाना जाने लगा है। कुपोषण का दर राजनांदगांव में 2024 में 11.94 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में देखा गया है कि खाने के लिए भोजन की बहुत कमी नहीं है लेकिन पोषण संबंधी परामर्श की आवश्यकता है, स्थूल और सूक्ष्म पोषक तत्वों के बारे में तथ्य, क्या खाना चाहिए और बच्चे को किस समय खिलाना चाहिए, आदि। परामर्श की कमी के कारण,कई माता-पिता अपने बच्चों को पर्याप्त संतुलित आहार नहीं दे पाते, जिसके परिणामस्वरूप बच्चे कुपोषित हो जाते हैं। इस मुद्दे को हल करने के लिए, जिला प्रशासन ने यूनिसेफ और अबीस पहल के साथ साझेदारी में पोट्ठ लईका पहल की शुरुआत की गई। यह कार्यक्रम जून 2024 से श्री कलेक्टर संजय अग्रवाल आईएएसके कुशल नेतृत्व में चलाया जा रहा है, और इस्का क्रियावन सीईओ जिला पंचायत सुरुचि सिंह आईएएस, महिला बाल विकास डीपीओ गुरप्रीत कौर और अन्य विभागाध्यक्षों के द्वारा किया जा रहा है। यूनिसेफ छत्तीसगढ़ इस कार्यक्रम का तकनीकी और प्रशिक्षण भागीदार रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सबसे पहले सर्वाधिक कुपोषित 241 आंगनबाडी केन्द्रों का चयन किया गया जिन में 323 एसएएम (गंभीर तीव्र कुपोषित), 1080 एमएएम (मध्यम तीव्र कुपोषण), 284 गंभीर रूप से कम वजन वाले बच्चे और 1726 मध्यम कम वजन वाले बच्चों को लक्षित किया गया।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास तथा एनआरएलएम के अधिकारियों को यूनिसेफ द्वारा पोषण संबंधी परामर्श में गहन प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण के बाद उन्होंने अपने क्षेत्र में पोषण परामर्श देना शुरू किया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत लक्षित आंगनवाड़ी केंद्रों में हर शुक्रवार को पालक चौपाल का आयोजन किया जाता है।इस चौपाल में लक्षित बच्चों के माता-पिता, सरपंच, सचिव, नवविवाहित महिलाएं, गर्भवती महिलाएं, समुह से जुड़ी हुई महिलाएं आदि शामिल होते हैं। पालक चौपाल में सारे समुदाय को सुपोषण के मुद्दे से जोड़ते हुए उनको पोषण परामर्श दिया जाता है और कुपोषित बच्चों के वजन को हर सप्ताह मॉनिटर किया जाता है। प्रत्येक माह कलेक्टर महोदय द्वारा इस अभियान की प्रगति की समीक्षा की जाती है। इस बैठक में आंगनबाडीवार समीक्षा की जाती है तथा पर्यवेक्षकों को प्रेरित किया जाता है।
अब, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, पर्यवेक्षकों, सीडीपीओ, स्वास्थ्य विभाग और एसएचजी महिलाओं के कठिन प्रयासों के कारण, अभियान के कार्यान्वयन के पहले पाँच महीनों में, 3413 में से 1943 बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाला गया है। इन मे शामिल है 243 एसएएम (गंभीर तीव्र कुपोषित), 794 एमएएम (मध्यम तीव्र कुपोषण), 124 गंभीर रूप से कम वजन वाले बच्चे और 762 मध्यम कम वजन वाले बच्चे जिन्हें पोषण परामर्श और निगरानी के माध्यम से कुपोषण से बाहर लाया गया है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि यह केवल परामर्श और निगरानी के माध्यम से किया गया था। यह कार्यक्रम तब तक चलता रहेगा जब तक शत-प्रतिशत लक्षित बच्चों को कुपोषण से बाहर नहीं निकाल लिया जाता। भविष्य में इस कार्यक्रम को पूरे जिले में लागू करने की योजना है और इसे पूरे राज्य में भी लागू करने का सुझाव दिया गया हैं। अब, अक्टूबर 2024 से राजनांदगांव और डोंगरगांव ब्लॉक के सभी एसएएम बच्चों को ऑगमेंटेड टेक होम राशन (टीएचआर) प्रदान करके एबिस समूह भी इस कार्यक्रम में शामिल हो गया है। यह मददगार रहा है और एटीएचआर के प्रभाव के नतीजे प्रतीक्षित हैं।
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