रायपुर : महज एक साल में छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने छत्तीसगढ़वासियों के हित में जो उल्लेखनीय कार्य किया है, उसकी फ़ेहरिस्त ही इतनी लम्बी है जिस पर गौर कर पाना भी आसान नहीं है. छत्तीसगढ़ में भूमि संबंधी विवादों का समाधान छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है. इन विवादों के कारण किसानों और भू-स्वामियों को अब तक ना जाने कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता रहा है. भूमि संबंधी विवादों से कृषि उत्पादन और ग्रामीण विकास भी प्रभावित होते रहे हैं. इन चुनौतियों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने का निर्णय लिया है. इससे भूमि विवादों का त्वरित और प्रभावी समाधान संभव हो जाएगा.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य में सुशासन के लिए पारदर्शी और बेहतर प्रशासन के लिए शासकीय कामकाज में अधिक से अधिक आईटी का उपयोग करने के निर्देश सभी विभागों को दिए हैं भूमि विवादों के समाधान में जियो-रेफरेंसिंग तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.. इस तकनीक की मदद से भूमि के प्रत्येक टुकड़े का सटीक स्थान निर्धारण के साथ सीमांकन में होने वाली त्रुटियों को भी कम किया जा सकेगा.. छत्तीसगढ़ सरकार ने इस तकनीक के उपयोग के लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है और राजस्व प्रशासन को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं.. जियो-रेफरेंसिंग तकनीक के माध्यम से भूमि के नक्शों के लिए खसरा नंबर के स्थान पर यू.एल. पिन नंबर प्रदान किया जा सकेगा, जिससे भूमि की पहचान और स्वामित्व संबंधी जानकारी अधिक सटीक होगी… इसके साथ ही भूमिधारकों को भू-आधार कार्ड जारी किए जाएंगे, जो उनकी भूमि की प्रमाणिकता को सुनिश्चित करेंगे… नई तकनीकों के माध्यम से छत्तीसगढ़ में राजस्व प्रशासन में नवाचार शुरू किया गया है… जियो-रिफ्रेसिंग से भू-स्वामियों को जमीन संबंधी विभिन्न विवादों से मुक्ति मिलने के साथ-साथ राज्य में किसानों द्वारा लगाई गई फसल का डिजिटल क्रॉप सर्वे होने से ई-गिरदावरी में आसानी होगी… मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने राजस्व अधिकारियों को भूमि के जियो-रिफ्रेसिंग का कार्य तेजी से पूर्ण कराने के निर्देश दिए हैं.
राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने जियो-रेफरेंसिंग के साथ-साथ डिजिटल फसल सर्वेक्षण (ई-गिरदावरी) की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.. इससे किसानों द्वारा बोई गई फसलों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है, जो भूमि रिकॉर्ड की सटीकता बढ़ा रहा है… सितंबर 2024 से प्रारंभ किए गए इस सर्वेक्षण में 20,222 गांवों में से 2,700 गांवों के 26,05,845 खसरों का सर्वेक्षण करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से 93% कार्य पूर्ण हो चुका है.. इसे राज्य सरकार की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है, जियो रिफ्रेसिंग तकनीक में छोटी से छोटी भूमि का लांगीट्यूड और एटीट्यूड के माध्यम से वास्तविक भूमि का चिन्हांकन करना आसान हो जाएगा, जमीन सीमांकन के दौरान होने वाले विवाद को दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य के सभी ग्रामों के कैडेस्ट्रल मैप का जियो रिफ्रेसिंग कार्य मार्च 2024 प्रारंभ किया जा चुका है.
राजस्व प्रशासन में इन नई तकनीकों के सफल कार्यान्वयन के लिए संबंधित कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, साथ ही राज्य के भूमि विवादों के समाधान में तेजी लाने के लिए तहसीलदार और नायब तहसीलदार के नए पद सृजित किए जा रहे हैं, विवेकपूर्वक और दूरदर्शिता के साथ निर्णय लेने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के निर्देश पर नगरीय क्षेत्रों में भी भूमि संबंधी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए भूमि का नवीन सर्वेक्षण किया जा रहा है, इससे शहरी भूमि विवादों का समाधान और संपत्ति कर निर्धारण में पारदर्शिता आएगी.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि “छत्तीसगढ़ में भूमि संबंधी विवादों को दूर करने के लिए हमारी सरकार नई तकनीक का इस्तेमाल करने जा रही है.. इसके लिए जिओ रिफ्रेंसिंग तकनीक के उपयोग को मंजूरी दे दी गई है, साथ ही राजस्व प्रशासन को सुदृढ़ करने के लिए बजट में 150 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है, जिओ रिफ्रेंसिंग तकनीक के माध्यम से छोटी से छोटी भूमि का वास्तविक चिन्हांकन करना आसान होगा, जिससे जमीन संबंधी विवादों को हल करने में मदद मिलेगी,जिओ रिफ्रेंसिंग के काम को व्यवस्थित ढंग से संचालित करने के लिए हमारी सरकार तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार के नवीन पदों का भी सृजन करने जा रही है.”
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भूमि विवादों के समाधान के लिए नई तकनीकों का उपयोग स्वागत योग्य कदम है. जियो-रेफरेंसिंग, डिजिटल फसल सर्वेक्षण, भू-आधार कार्ड, और प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से भूमि संबंधी विवादों में कमी आएगी और किसानों और भू-स्वामियों को इसका लाभ मिलेगा.. इन प्रयासों से राज्य में समग्र विकास के साथ कृषि और ग्रामीण विकास को नई दिशा मिलेगी.
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