एमसीबी : छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले के वनांचल क्षेत्र में स्थित सीतामढ़ी-हरचौका को राम वन गमन परिपथ का प्रवेश द्वार बनाया गया. छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड की देखरेख में यहां 3.50 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न विकास कार्य कराए गए. हालांकि, लोकार्पण के बाद भी कुछ कार्य अधूरे हैं. राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में उत्तर से दक्षिण तक फैले 2260 किलोमीटर के राम वन गमन मार्ग पर 10 प्रमुख पर्यटन स्थलों का चयन कर उन्हें विकसित किया. इनमें हरचौका-सीतामढ़ी, रामगढ़, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चंद्रखुरी, सिहावा, राजिम, जगदलपुर और सुकमा-कोंटा शामिल हैं
सीतामढ़ी-हरचौका का ऐतिहासिक महत्व
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर मवई नदी के किनारे स्थित सीतामढ़ी-हरचौका का ऐतिहासिक महत्व है. कहा जाता है कि प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान यहीं से छत्तीसगढ़ की भूमि पर प्रवेश किया था. इसके बाद उन्होंने सूरजपुर के रामगढ़ और शिवरीनारायण होते हुए दक्षिण छत्तीसगढ़ की ओर प्रस्थान किया.
विकास कार्य और सुविधाएं
सीतामढ़ी-हरचौका को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कई आकर्षक सुविधाएं तैयार की गई हैं, जिनमें भगवान श्रीराम की 25 फीट ऊंची प्रतिमा, राम वाटिका, दीप स्तंभ, एलईडी ब्रांडिंग, प्रवेश द्वार, एप्रोच रोड, पर्यटक सूचना केंद्र, कलवर्ट, कॉटेज, जनसुविधा केंद्र, ड्रेनेज सिस्टम, विद्युतीकरण और सीढ़ियां शामिल हैं. हालांकि, रेस्टोरेंट, ओवरहेड वॉटर टैंक, मॉड्यूलर शॉप और पर्यटक सूचना केंद्र जैसे महत्वपूर्ण कार्य अभी शुरू नहीं किए गए.
ग्वालियर से लाकर स्थापित हुई 25 फीट की श्रीराम प्रतिमा
भरतपुर ब्लॉक मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर हरचौका में भगवान श्रीराम की 25 फीट ऊंची प्रतिमा और दिव्य स्तंभ ग्वालियर से मंगवाकर लगाए गए. इनका निर्माण छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल की देखरेख में हुआ. सीतामढ़ी-हरचौका राम वन गमन मार्ग का पहला पड़ाव है, जिसे राज्य सरकार द्वारा पर्यटन स्थल के रूप में संवारा गया. इस स्थल को आने वाले समय में पर्यटन और संस्कृति के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है.
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