अब स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को शिक्षा देने के लिए किसी डिग्री की आवश्यकता नहीं,अनपढ़ भी पढ़ा सकेंगे

अब स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को शिक्षा देने के लिए किसी डिग्री की आवश्यकता नहीं,अनपढ़ भी पढ़ा सकेंगे

रायपुर :  अब स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को शिक्षा देने के लिए किसी डिग्री की आवश्यकता नहीं है। असाक्षर सहित जिनके पास किसी तरह की कोई डिग्री नहीं है, वे भी छात्रों को पढ़ा सकेंगे। इसके लिए एकमात्र आवश्यकता व्यक्ति के पास सामाजिक उपलब्धि का होना है। 

दरअसल, रविवि ने प्रोफेसर ऑन प्रक्टिस के नाम से एक नई योजना प्रारंभ की है। छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान देने के लिए यह प्रयोग किया जा रहा है। इसके अंतर्गत विद्यार्थी जिस विषय के छात्र है, उस विषय से संबंधित क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों को व्याख्यान के लिए बुलाया जाएगा। इसके लिए किसी भी तरह की उपाधि नहीं देखी जाएगी, केवल यह देखा जाएगा कि संबंधित क्षेत्र में उक्त व्यक्ति द्वारा क्या-क्या कार्य किए गए हैं। अपने क्षेत्र के अनुभव, काम के दौरान आने वाली चुनौतियों, उससे निपटने के तरीके, कार्य को बेहतर रूप से करने के टिप्स जैसी चीजें वे छात्रों के साथ साझा करेंगे। अर्थात उनके द्वारा किसी तरह की सैद्धांतिक ज्ञान नहीं देकर पूर्णतः व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया जाएगा।

पूरे सत्र में 4 कक्षाएं

जिन व्यक्तियों को रविवि द्वारा व्याख्यान के लिए बुलाया जाएगा, उन्हें मानदेय भी प्रदान किया जाएगा। प्रति व्याख्यान उन्हें 2 हजार 500 रुपए का मानदेय प्रदान किया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति प्रति सत्र अधिकतम 4 व्याख्यान दे सकेंगे। फिलहाल समाजकार्य विभाग से इस योजना की शुरुआत की जा चुकी है। पद्मश्री जागेश्वर यादव रविवि अध्ययनशाला में व्याख्यान देंगे। अपना पूरा जीवन बिरहोर जनजाति की सेवा में बिताने वाले जागेश्वर यादव ने पिछड़ी जनजाति के शिक्षा के लिए विशेष रूप से कार्य किया है। उनकी इस उपलब्धि को देखते हुए समाज कार्य के छात्रों के अध्यापन के लिए उनका चुनाव किया गया है। अन्य व्यक्तियों का भी चुनाव रविवि उनकी उपलब्धियों के आधार पर करेगा।

कोई थ्योरी पाठ्‌यक्रम नहीं

अपनी योग्यताओं के आधार पर चयनित व्यक्तियों द्वारा किसी तरह के थ्योरी पाठ्यक्रम का अध्यापन नहीं कराया जाएगा। वे पूरी तरह से छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान देंगे। छात्र कक्षाओं के दौरान उनके सवाल भी पूछ सकेंगे। विद्यार्थी यह जान सकेंगे कि अध्ययन के पश्चात संबंधित क्षेत्र में कार्य करने के दौरान उन्हें किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सकारात्मक चीजें भी वे सीखेंगे। गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत विद्यार्थियों को अधिक से अधिक व्यावहारिक ज्ञान देने पर फोकस किया गया है। इसे देखते हुए ही रविवि भी प्रोफेसर ऑन प्रैक्टिस के तहत प्रयोग कर रहा है।






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