छत्तीसगढ़ दो सालों से मुख्य सूचना आयुक्त विहीन

छत्तीसगढ़ दो सालों से मुख्य सूचना आयुक्त विहीन

रायपुर :  सर्वोच्च न्यायालय के 6 साल पुराने एक आदेश ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को न केवल बेहद पेचीदा और सरकारों को जवाबदेह बना दिया है बल्कि इसमें राजनीतिक नियुक्तियों और सिफारिशों की संभावना भी खत्म सी हो गई है। हालत यह रही है कि छत्तीसगढ़ में इस साल सूचना आयुक्त के दो पदों पर आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों को भी इसी वजह से मौका नहीं मिल पाया। मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर भी सरकार को तीसरी बार आवेदन मंगाना पड़ा है, जिसके लिए आवेदन करने की प्रक्रिया हाल ही में पूरी हुई है। छत्तीसगढ़ के मुख्य सूचना आयुक्त के पद से रिटायर्ड आईएएस एमके राउत नवंबर 2022 से रिटायर हो चुके हैं। उनकी जगह दो साल से खाली है। अब तीसरी बार फिर विज्ञापन निकालकर इस पद के लिए सरकार ने आवेदन मंगाए हैं। 29 नवंबर को जारी विज्ञापन में 16 दिसंबर को आवेदन की अंतिम तिथि रखी गई थी। हालांकि आवेदन करने वालों की सूची सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर अब तक डाली नहीं गई है। आवेदकों की सूची चयन प्रक्रिया शुरू होने के पहले कभी भी अपलोड की जा सकती है।

इस साल 2024 के मार्च माह में दो सूचना आयुक्तों का कार्यकाल खत्म हो गया। नई सरकार ने थोड़ी तत्परता दिखाई और जनवरी में ही इन पदों के लिए आवेदन मंगा लिए। सामान्य प्रशासन विभाग के सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ में दर्ज जानकारी के अनुसार सूचना आयुक्त पद के लिए 200 से अधिक लोगों ने आवेदन किया था, जिनमें से 58 ऐसे प्रशासनिक अधिकारी जो या तो सेवानिवृत्त हो गए थे, या बहुत जल्द होने वाले थे। इनमें आईएएस डॉ. संजय अलंग, उमेश कुमार अग्रवाल, आईपीएस संजय पिल्ले, आईएफएस आशीष कुमार भट्ट जैसे नाम भी शामिल हैं। चयन समिति ने इनके मुकाबले आलोक चंद्रवंशी और नरेंद्र कुमार शुक्ला का नाम फाइनल किया और उनको नियुक्ति दी गई। इनमें शुक्ला सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं, पर उनकी नियुक्ति की वजह यह थी कि उनका बायोडाटा सुप्रीम कोर्ट के मापदंडों के सबसे करीब था।






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