मुखिया के मुखारी – सभ्यता संघर्ष के न्याय के लिए 

मुखिया के मुखारी – सभ्यता संघर्ष के न्याय के लिए 

बेलगावी अधिवेशन में कांग्रेस ने फिर गलती दोहराई, गलतियों पर गलतियां, गलतियां नहीं कहलाती, वों अपराध की श्रेणी में आती है, कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर कांग्रेस का रवैया राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध है, कांग्रेस में कुछ ऐसी शक्तियां है जो खुद कांग्रेस का भला नहीं चाहती, यदि शीर्षस्थ नेतृत्व कांग्रेस का इससे आगाह नहीं था ,तो उन्हें आभास नहीं है कि उन्हें इस गलती की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।क्या कांग्रेसी नेता देश के नक्शे का महत्व नहीं समझते, या फिर अपने हाथों से ही अपना राजनीतिक अक्स बिगाड़ना चाह रहे हैं,राजनीति की धुंध में धुआं खुद बढ़ा रहे हैं, अपने लिए रास्ते मुश्किल बना रहे,ऐसा तो हो नहीं सकता कि राष्ट्रीय अधिवेशन की महत्ता को देश का गलत नक्शा लगाकर खुद कम करें ,या फिर कश्मीर के बहाने कहीं और निशाना लगा रहे, वर्ग विशेष के वोटो के लिए तुष्टिकरण का पुराना खेल, खेल रहे वक्फ बोर्ड की उलझन में उनकी ही कर्नाटक सरकार उलझी थी, सैकड़ो किसानों के, सैकड़ो एकड़ जमीन पर वक्फ ने अपना दावा ठोक दिया था, सरकार घुटनों पर आ गई थी,कांग्रेस को शायद घुटनों पर बैठना रास आ गया है और कांग्रेस की इसी चाहत को आप दिल्ली में पूरा करने लगी है।

गठबंधन की गांठे खुल गई ,बंधन छिन्न -भिन्न हो गया केजरीवाल कांग्रेस की नजर में फर्जीवाल ,राष्ट्रद्रोही हो गए, स्वार्थ, सत्ता लोलुपता का इंडिया गठबंधन हितों के टकराव में आपस में ही टकराने लगे । आप और कांग्रेस की लड़ाई सड़कों पर उतर आई, धमकियों का दौर शुरू हो गया FIR हों गई, एकमेव लक्ष्य मोदी को हराने का पूरा नहीं हो पाया तो ,एक दूसरे को हराने में लग गए, केंद्र शासित दिल्ली की सत्ता के लिए अपना स्वार्थ दिखाने लगे, तथाकथित धर्मनिरपेक्ष इंडिया गठबंधन के सभी दलों की यही स्थिति है, ये सत्ता की चाहत में कोई भी आफत मोल ले सकते हैं, मतदाताओं की चाहत को ध्वस्त कर सकते हैं, ये वही है जो मंदिर मस्जिद मसले में देश को सौहार्द ,समरसता और त्याग का पाठ पढ़ाते हैं, और खुद सत्ता के लिए कुत्ते बिल्ली की तरह लड़ते हैं,ना विचारधारा, ना सिद्धांत, ना जन कल्याणकारी कोई योजनाएं, लक्ष्य सिर्फ येन केन प्रकारेण सत्ता आरोहण ,चुनाव खुद हार रहे ,हारने के सारे रास्ते खुद बना रहे,फिर दोष निर्वाचन प्रक्रिया, ईवीएम और मतदाताओं पर मढ़ेगें ये अकललेस नेता है, मतदाताओं को अकललेस बता फिर अपने आप कों अकललेस साबित करेंगे , ना जनभावनाओं से इनका वास्ता न जनअवधारणाओं की परवाह, बस अपनी ही वाह-वाह, वाह-वाह से चुनाव जीते नहीं जाते,ना जीते जा सकते हैं।राम मंदिर की गलती के बाद फिर वही मंदिरों वाली गलती दोहराई जा रही, भागवत के बयान के बाद आरएसएस का कहना है ,सोमनाथ से संभल तक सबका सच जानना है, भारतीय राजनीति में पहला अवसर है कि आरएसएस प्रमुख के बयान पर इतनी प्रतिगामी प्रतिक्रिया है, साधु संत और देश का जनमानस विरोध कर रहा, जनआकांक्षाओं के आगे आरएसएस भी झुक रहा, ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने शोषित, वंचित को  न्याय दिलाने संविधान में आरक्षण का प्रावधान है।

संविधान भी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारना और न्याय देना चाहता है, मंदिरों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदे भी ऐतिहासिक गलतियां हैं, तो फिर संविधान इस ऐतिहासिक गलतियों पर न्याय कैसे नहीं करेगा ? ये संविधान की संवैधानिक मर्यादा है, एक पक्षीय राजनीति जिसका एकमात्र उद्देश्य धर्म विशेष के लोगों का तुष्टिकरण,  वोट पाना ,सत्ता हासिल करना हो उनके लिए अब डगर बहुत कठिन होने वाली है, वक्फ बोर्ड संपत्तियों पर अखिल भारतीय दावे कर रहा, मंदिरों के सर्वे की भी बात एक प्रदेश तक सीमित न होकर अखिल भारतीय हो गई है, मतलब मंदिर मस्जिद प्रदेश की सीमाओं से निकलकर देशव्यापी हो गए, VHP सरकारी नियंत्रण से  मंदिरों कों मुक्त कराने देशव्यापी आंदोलन करने वाली है ,अब इनका राजनीतिक प्रभाव भी देशव्यापी होगा । बांग्लादेश की  हिंसा बंगाल की फिजा बदलेगी,देश की राजनीति को प्रभावित करेगी, कृष्ण जन्मभूमि आंदोलन से बिहार, यूपी के यादव मुस्लिम समीकरण का बदलना तय है, यदुवंशी होकर यदू कुल गौरव भगवान श्री कृष्ण से अलगाव,कोई बता नहीं सकता, और यदि ऐसा करने की कोशिश किसी ने की तो उसके राजनीतिक वजूद सिकुड़ना तय है । दक्षिण के मंदिरों ,जमीनों पर भी वक्फ ने अब ने दावा किया हुआ है मंदिर, मस्जिद विवाद की बयार वहां भी चलने वाली है, बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ कोई मुस्लिम संगठन सड़कों पर नहीं उतरा , क्योंकि वंहा हिंदू प्रताड़ित हो रहे ,शायद यही गंगा जमुनी ,तहजीब है, यही भाई चारा है, ऐसे में विपक्ष की राजनीतिक सोच सोचनीय है, इन परिस्थितियों में बनने वाली जनधारणाओं में चुनाव होंगे तो परिणाम क्या होंगे? वक्त लंबा है सोचने के लिए--------------------- सभ्यता संघर्ष के न्याय के लिए

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल






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