मुखिया के मुखारी –दादी सदानंद में रहिए, सदानंद मत बनिए 

मुखिया के मुखारी –दादी सदानंद में रहिए, सदानंद मत बनिए 

अनपढ़ शब्द छत्तीसगढ़ में लोकप्रियता के चरम पर है,इसकी तेजस्विता और प्रचंडता इतनी है की इसके आगे पढ़े लिखें पानी भर रहे है ,अनपढ़ ने इतना धन गढ़ लिया की छत्तीसगढ़ियों की आँखे चौंधिया गई ,अपने चुनाव के चाव पे प्रश्न चिन्ह है ?  छत्तीसगढ़ में करीब 18 लाख शिक्षित बेरोजगार है ,जिन्हें पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बेरोजगारी भत्ता का झुनझुना पकड़ाया था, छत्तीसगढ़िया हर शिक्षित को अपनी शिक्षा पर तरस आ रहा होगा ,सालों में अर्जित की गई शिक्षा ,धन अर्जन के आगे फिर बौनी साबित हुई, अनपढ़ होते राजनीति कर रहे होते ,गढ़ की जगह जुगाड़ जान रहे होते,प्रतिभा की जगह चाटुकारिता होती, तो लोग हमारी दाद दे रहे होते, हम भी दादी होते,दादी प्रेम लुटाती है, नौनिहालों का भविष्य बनाती है, घर समाज सवारती है, पर वों पुरानी संस्कारिक दादियों की बात है, ये वात्सल्य से परे स्वार्थ,भर्ष्टाचार से भरे, राजनीति और चाटुकारिता में रंगे आधुनिक दादी है, घोटालों की छत्तीसगढ़िया सरकार के  खिलाड़ी है, वों अनपढ़ खिलाड़ी जिसके आगे सारे अनाड़ी ,2018 की चुनी हुई सरकार घोटालों में सनी हुई, आरोपों से घिरी हुई ,जनता की नजरों में गिरी हुई ,2023 में बेआबरू होकर रुखसत हों गई ,पर रुखसती के बाद उसने बेहयाई की चादर ही नही रजाई भी ओड़ ली, पूरी बेहयाई से दुहाई दी जा रही, डकैत चौकीदार कों चोर बता रहे ,सियान सियार कों रंग - रंग के शेर बता रहे, विधानसभा परिसर में सवालों से डर कर बवाल काट रहे, कलम की ताकत कों अपनी जोर जबरदस्ती बेहयाई से खत्म करने की असफल कोशिश कर रहे।  धान के कटोरे में भर्ष्टाचार रूपी प्याज की खेती कर रहे थे ,ना छत्तीसगढ़ का मौसम और ना ही मिजाज और ना ही जमीन अनुकूल थी प्याज के, इसलिए रुखसत हों गए ,मरी हुई जमीर के सख्सियत हों गए ,एक ही कार्यकाल में भर्ष्टाचारियों के शहंशाह हों गए ,पांच सालों की यही एक मात्र उपलब्धि है की आप घोटालेबाजों के सरताज हों गए।

ताज छिन गया, सर गिने जा रहें भर्ष्टाचारियों के ,माथे पर भर्ष्टाचार के कलंक का टीका है, छत्तीसगढ़ियों का विश्वास डिगा है, भर्ष्टाचारियों की बारात निकल रही ,कुछ बाराती जनवासे  {जेल }  में  आराम फरमा रहे, अदालतो में व्यवस्था विशेष के लिए चक्कर काट रहे ,बस वाले बारातियों के बस में जेल था ,अब विशेष बारातियों का नंबर है, लग्जरी गाडियों में जनवास  {जेल } पहुँच  कल्पवास करने की पूरी उम्मीद है ,दूल्हा रंग रोगन करवा रहा हांथो में हथकड़ी की जगह मेहँदी लगवा रहा, ढेड़हा तलब किया जा चूका, दूल्हा बुढ़ापे {भर्ष्टाचार } की झाइयां मिटा रहा ,बारात निकली है तों दूल्हा भी निकलेगा, सेहरा तो वों जरुर पहनेगा। ये व्यवस्था करने वाले घरातियों {शासन } पर है की एकड़ो में फैले बारात घर में पांच तेलिया शादी करवाएंगे या फिर आधुनिक युग की तुरंत तुरंत दो दिनी वाली शादी करवाएंगे ,इतनी सुविधा दोगे ,इतनी मेहमान नवाजी करोगे ,तो शक आपकी नियत पे भी होगा, देरी से मिला न्याय अन्याय होता है ,उम्मीद है छत्तीसगढ़ियों के साथ आप अन्याय नही करोगे .मै अनपढ़ हूँ अफसरों ने घोटाला किया, अफसरों ने  मेरा फायदा उठाया ,नही नही आपने अवसरों का पूरा फायदा उठाया, आप अनपढ़ नही गढ़े हुए है ,बरसों से बहाने ही  गढ़ रहे है ,झीरम की आपकी कहानी सबने सुनी है ,आपके कर्मो कों सबने देखा है, जोगी के जोगड़ा से ,आपका बघेल के खेल में रेलम पेल भर्ष्टाचार को  छत्तीसगढ़ियों ने झेला है , अनपढ़ थे तों मंत्री कैसे बन गए ,पद और गोपनीयता की शपथ कैसे नीभ गई। अनपढ़ है फिर भी जानते है ,घोटाले का मास्टरमाइंड कौन है, गजब के अनपढ़ है, पुलिस से भी तेज है ,नजराना पचास लाख रूपये महिना ED के आरोप है ,आप भी गरीब की लुगाई कों भौजाई कह रहे,गरीब की लुगाई सबकी भौजाई का अर्थ बता रहे फिर भी अपने आप को अनपढ़ बता रहे ।

पिछली सरकार ने लोकतंत्र की मर्यादा को तार -तार किया, एक अनपढ़ आदिवासी के विधायक, मंत्री बनने के उपलब्धियों कों, लोकतंत्र के जज्बे को छिन्न -भिन्न किया घोटाले के सरदार का नाम आप जानते है ,असर खत्म हुआ सरदार का फिर भी आप नाम अपने लबों पर नही ला रहे ,मासूमियत आपकी इतनी की बेटे कों और अपनों को क़ानूनी पेंच में फसा रहे ,खुद पेंच में फस गए ये नही समझ पा रहे ,दादी नेता अच्छे नही बन पाए तों क्या पिता तों अच्छे बन जाइए? नही तों प्याज के छिलके उतरेंगे आंसू आँखों में छलकेंगे , भविष्य की झलक दिख रही आदिवासियों की राजनीतिक हस्ती मिट रही, मोहरा हों आप नेता नही, राजनेता बता आपकों अपने जनों से अलग किया जा रहा है, आदिवासी नेतृत्व को सदा से ऐसे ही खत्म किया गया । पाप हुआ तों उसके प्रायश्चित का विधान भी है, आप तों विधान का महत्व जानते है विधानसभा में ही बैठते है, माननीय है ,तों कुछ तों मान होंगा,छत्तीसगढ़ महतारी के लिए आपके मन में कुछ सम्मान होगा, उस सम्मान का वास्ता ,आदिवासियों के हक़ का वास्ता ,कोंटा से चढ़ा आपने राजनीति का शिखर है, अब राजनीति में आप कोन्टा लगाए जा रहे,आदिवासी है ,नेता है ,वों मासूमियत और नेतृत्व दिखाइए ,सदानंद गोड वाला इतिहास ना दोहराइए, लक मा क्या है आपके आप ही बताइए ,सदानंद गोड का इतिहास भी जानिए ,पैंसों के लिए ईमान बेचना सत्ता के लिए जमीर बेच नही बना है कोई अमीर ,अनपढ़ नही धनगढ़ है आप हम तों कहेंगे ----------------------------दादी सदानंद में रहिए, सदानंद मत बनिए 

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल

 

 






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