महाराष्ट्र : की राजनीति में कब-क्या हो जाए, कहना मुश्किल है. कभी साथ-साथ चलने वाले चाचा-भतीजे अलग हो जाते हैं तो कभी भाई-भाई का सियासी दुश्मन हो जाता है. महाराष्ट्र में एक ओर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के मिलन की अटकलें हैं. तो दूसरी ओर शरद पवार और अजित पवार में सुलह की भी संभावना जताई जा रही है. पवार फैमिली में शरद और अजित को एक करने की जबरदस्त बैटिंग होने लगी है. अब सवाल है कि क्या शरद पवार और अजित पवार क्या साथ आएंगे? क्या पवार परिवार फिर से एकजुट होगा?
दरअसल, एनसीपी चीफ और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार की मां आशताबाई की इच्छा तो कुछ ऐसी ही है. अजित पवार की मां आशताबाई ने अपने बेटे अजित और अपने देवर शरद पवार के फिर से एक होने की इच्छा जताई है. उन्होंने नए साल के मौके पर बुधवार को विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में पूजा-अर्चना की. इसके बाद पंढरपुर में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैंने कामना की है कि पवार परिवार के भीतर मतभेद जल्द से जल्द खत्म हो जाएं. मुझे उम्मीद है कि पांडुरंग मेरी प्रार्थना जरूर सुनेंगे.’
पवार फैमिली में हो रही बैटिंग
अजित पवार की मां की की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब 2023 में एनसीपी और परिवार में विभाजन के बाद चाचा और भतीजे के बीच सुलह की अटकलें लगातार लगाई जा रही हैं. महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद शरद पवार बैकफुट पर हैं. पवार फैमिली के भीतर अन्य सदस्य भी चाहते हैं कि दोनों चाचा-भतीजा एक हो जाएं. 13 दिसंबर को विधायक रोहित पवार की मां सुनंदा पवार ने भी इसी तरह एनसीपी संस्थापक शरद और अजित के पुनर्मिलन यानी एक हो जाने की अपील की थी।
अजित पवार ने की पहल?
अब सवाल है कि आखिर अचानक शरद पवार और अजित पवार के बीच सुलह की कहानी कहां से शुरू हो गई? दरअसल, 12 दिसंबर को अजित पवार अपने परिवार और एनसीपी के सीनियर नेता के साथ अपने चाचा शरद पवार को जन्मदिन की बधाई देने के लिए नई दिल्ली स्थित उनके आवास पर गए थे. इसके बाद से उनके बीच सुलह की अटकलों को और बल मिला. एनसीपी में टूट के बाद से यह उनकी पहली निजी मुलाकात थी।
एनसीपी अजित गुट की भी यही चाह
अब तो एनडीए वाले भी अजित पवार और शरद पवार के एक होने की कामना करने लगे हैं. अजित की मां आशताबाई के बयान पर एनसीपी (अजित गुट) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने 84 वर्षीय शरद को एक पिता तुल्य व्यक्ति बताया. उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें जन्मदिन की बधाई देने गए थे, और हम उनके साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहेंगे. कल क्या होगा कोई नहीं जानता, लेकिन अगर वे फिर से साथ आते हैं, तो हमें बहुत खुशी होगी.’
शरद को छोड़ देना चाहिए इंडिया गठबंधन का
क्यों अहम है दोनों का साथ आना?
महाराष्ट्र की सियासत में पवार फैमिली का दबदबा रहा है. हालांकि, जब से एनसीपी में टूट हुई है, तब से शरद पवार की चमक फिकी ही पड़ी है. अजित पवार और शरद पवार के बीच सुलह की अपील महाराष्ट्र की सियासत में पवार फैमिली के प्रभाव को दर्शाती है. एक ओर जहां शरद इंडिया गठबंधन में एक बड़े नेता बने हुए हैं, वहीं अजित पवार के भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ गठबंधन ने राज्य के राजनीतिक समीकरणों को बदल कर रख दिया है. अब देखने वाली बात होगी कि क्या शरद पवार और अजित पवार साथ आते हैं या नहीं।