मुखिया के मुखारी – जाँच की आंच में सांच कैसे छिपेगा?

मुखिया के मुखारी – जाँच की आंच में सांच कैसे छिपेगा?

पाटन साल भर पूर्व तक छत्तीसगढ़ का सबसे शक्तिशाली विधानसभा था, प्रदेश के मुखिया यंहा के विधायक थे, भूतपूर्व हों गए फिर भी विधायक यही से है। पाटन ने सत्ता का शिखर छुआ पर इसकी राजनितिक शिखरता विलुप्त हों गई, इसी राजनितिक परिक्षेत्र से अलग -अलग विधानसभाओं से स्मृति शेष केजूराम वर्मा ने चुनाव लड़ा, कई जीते, कुछ हारे,  1992 का विधानसभा चुनाव स्व.केजूराम वर्मा को हराकर ही भूपेश बघेल ने जीता था ।स्व.वर्मा का स्मरण इसलिए जरुरी है की हम समझ सके की राजनीति में नैतिकता का कितना हास हुआ है,जनसेवा स्वसेवा में इतनी परिवर्तित हुई है, वर्मा जी जब विधायक नही थे, तब उनके पास कई राईस मिल थे , विधायक बनने के बाद चुनाव हारने ,जीतने के बाद ,उनके पास एक भी राईस मिल नही बची ,वों 60 -70 का दशक था लम्बा राजनितिक उनका सफ़र था ,विरले क्या अकेले होंगे जिन्होंने राजनीति करते विधायक रहते अपनी सम्पत्ति, परिसम्पतियां गँवा दी  । जनसेवा का जज्बा था ,सादगी थी, लूना उनका वाहन था, ये थी पाटन की तब की नियति उसकी राजनीतिक शिखरता ,बेदाग राजनीतिक उपलब्धियों से भरा जननेता।  अब है पाटन के सत्ता की शिखरता, लग्जरी गाड़िया, बेहिसाब संपत्तियां दाग पे दाग फिर भी दावे ईमानदारी के, दशक बदला ,नेता बदले नही बदला तों पाटन का नाम, फिर भी पाटन हों गया बदनाम, शिखरता नाम ही देती है, ऐसा नही है ,भाग्य का बटवारा नही हों सकता ,पर बटे -बटे  कर्मो से सफलता भी बट जाती है ,अल्पकालिक बन जाती है ,जीवन सफलता से नही गरिमा से है । स्व .वर्मा जी का जीवन गरिमामय था ,सफलता आती है, जाती है ,समय शिखरता कों स्थायित्व नही देता ,कर्म और नियत उसकी धुरी है ।

पुराने मुखिया कह रहे ED उनको एवं उनके चंगु मंगू को बदनाम कर रही है ,जाँच एजेंसिया प्रताड़ित कर रही है .शायद आप जानकर भी अनजान बने बैठे है ,आज भी आपके विधानसभा में गाँव -गाँव में अवैध मुरम खोदे जा रहे है,सत्ता बदल गई पर आपका सिस्टम नही बदला और शायद बदलने वाला भी नही है ।  प्रदेश की जनता को शिक्षित होने कह रहे ,शिक्षा का स्तर सुधारने  आत्मानंद स्कूल आपने ही खोला, पर शिक्षा की महत्ता से आपकी ये अनभिज्ञता, कि एक अनपढ़ को आबकारी ,उद्योग मंत्री बना दिया ,उद्योग आज की जरूरत है ,और आबकारी तों सदैव से सरकार की जरुरुत रही है,शायद यही जरुरत भारी पड़ी, ये दोनों भारी भरकम मंत्रालय से कोंटा विधायक नवाजे गए ,कागजों में एक ही दिन में अधिकारियों ने हस्ताक्षर नही करवाए होंगे ,कई बैठके मंत्री परिषद की हुई होंगी ,विभागीय समीक्षा भी की गई होगी ,कंहा गया मंत्री परिषद का सामूहिक उत्तरादायित्व का संवैधानिक  प्रायोजन ? अनपढ़ मंत्री को घोटाले की भनक नही लगी, तों बाकि मंत्रीमंडल तों पढ़ा लिखा था ,मुखिया भी तों उच्च शिक्षित थे, फिर ये शिक्षा ,अशिक्षा का दिखावा क्यों ? घोटाले पे घोटाले  विभाग दर विभाग हुए , क्या सारे कर्ता-धर्ता ,मंत्री ,अफसर सबके सब अनपढ़ थे ? सरकारी दस्तावेज  बताते है की पूर्व मंत्री लखमा साक्षर है ,जब साक्षर है तों बिना पढ़े हस्ताक्षर कैसे किए? या फिर ये सरकारी साक्षरता है जिसका नही किसी अक्षर से वास्ता है ।

घोटालों से राजस्व की हानि हुई छत्तीसगढ़ियों  की  जेब और भविष्य पर आप सबने मिलकर डाका डाला, छत्तीसगढ़िया करहा रहा आप सब आराम फरमा रहे, अनपढ़ की मासूमियत देखिए ED के समन पर समन मिल गए, पर महाशय ED दफ्तर नही पहुँच रहे,गढ़ रहे मासूमियत की कहानियाँ ,अपने आपको अनपढ़ बता पुरानी सरकार पर कस रहे फब्तियां, क्या ऐसी मज़बूरी थी, या फिर कोई और चीज जरुरी थी ,पढ़े लिखें अफसरों के बीच अनपढ़ को आपने फसा दिया, वों फसे नही आपने उनको झांसे में ले लिया ,सत्ता की महत्ता में कईयों ने अपना मान घटा लिया ,जिन्हें नही थी शिक्षा की चाहत उन्होंने भर्ष्टाचार का भिक्षा मांग लिया ,पर इन शिक्षित अखिल भारतीय सेवा संवर्ग के अधिकारियों की नियति कैसे बदल गई  ? मंत्रालय से उठ जेल पहुँच गए ,चाटुकारिता, पैंसों का मोह और लोभ अब उन्हें सिर्फ क्षोभ दे रहा ,अस्मत लुट गई किस्मत का रोना रो रहे ,आपकी जादूगरी को रोज कोस रहे ,गजब की जादूगरी है, अनपढ़ और अधिकारी भर्ष्टाचार के एक ही बोरे में आपने बंद कर दिए, बंद बोरे में छटपटा रहे अपनी करनी किसी को नही बता पा रहे। बड़े बाबु बन जाने से ज्ञान नही आता, लक्ष्मी पुत्रों को सरस्वती का आशीर्वाद नही मिला ,फिर अनपढ़ तों अनपढ़ है, भर्ष्टाचार के इन त्रिदेवों से आपका मन नही भरा, तों महादेव ले आए,अतीत और वर्तमान प्रभावित हुआ आपके घोटालों से ,आपने भविष्य के लिए PSC घोटाला भी कर दिया, धान के समर्थन मूल्य के  बदले चावल घोटाला कर इस एहसान कों भी उतार दिया। अफसर नपे ,व्यापारी नपे ,नप गया अनपढ़ बेचारा, पाट दिया पट- पट को छत्तीसगढ़ के भर्ष्टाचार से, जाँच चल रही, आंच आ रही फिर भी सांच नही बोल रहे, हम तों यही कहेंगे -------------------------------------जाँच की आंच में सांच कैसे छिपेगा?

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल






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