महासमुंद: “जमीन कम पड़ी तो आसमान भी जीत लूंगी,” यह सोच रखने वाली वल्लरी चंद्राकर ने अपने साहस और दृढ़ संकल्प से एक नई मिसाल कायम की है। कंप्यूटर साइंस में एमटेक की डिग्री लेने के बाद, उन्होंने लाखों के पैकेज वाली नौकरी और प्रोफेसर बनने का अवसर छोड़ दिया। उनका सपना था अपनी मिट्टी से जुड़कर कुछ अलग करना।
वल्लरी, जो शादी के बाद मायके और ससुराल दोनों की जिम्मेदारियां संभाल रही हैं, आज 24 एकड़ जमीन पर फल और सब्जियों की हाईटेक खेती कर रही हैं। उनके खेत में आधुनिक तकनीक और परंपरागत खेती का बेहतरीन संगम देखने को मिलता है। वल्लरी न केवल ट्रैक्टर चलाती हैं, बल्कि खेती के सभी कार्यों में खुद अपनी भूमिका निभाती हैं।
अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने 30 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के अवसर दिए हैं। यह कदम न केवल उनके आत्मनिर्भर होने का प्रमाण है, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
वल्लरी की यह यात्रा आसान नहीं रही। देश-विदेश में नौकरी के आकर्षक प्रस्तावों को ठुकराकर उन्होंने अपनी जड़ों से जुड़ने का फैसला किया। आज उनकी मेहनत का नतीजा यह है कि उनकी हाईटेक खेती को देखने और सीखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
उनके प्रयासों को कई पुरस्कारों और सम्मान पत्रों के माध्यम से सराहा गया है। वल्लरी का यह योगदान न केवल उनके परिवार के लिए गर्व की बात है, बल्कि उनके गांव और समाज के लिए भी प्रेरणा है।
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