हिमालय: में आज भी ऐसी जड़ी बूटियां पाई जाती हैं, जो रोगों की रोकथाम के साथ ही रोगों से लड़ने की क्षमता भी पैदा करती है. इसके साथ ही इन जड़ी-बूटियों से यहां के लोगों की आर्थिकी भी जुड़ी हुई है. एक ऐसी ही जड़ी-बूटी चोरू है. चोरू हिमालय क्षेत्र में पायी जाती है. इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीहेलमेंथिक प्रॉपर्टीज होती है. (रिपोर्टः रोबिन/ श्रीनगर गढ़वाल)
इसके अलावा यह पेट संबंधित रोगों में काफी फायदेमंद होती है. हिमालय क्षेत्र में 2 हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यह पौधा पाया जाता है. इसके औषधीय गुणों के कारण उत्तराखंड के अलग-अलग क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोगों जैसे भोटिया, मारछा और बोक्सा जनजाति के लोगों द्वारा इसकी खेती की जाती है. इसकी जड़ों का प्रयोग मसाले के रूप में भी किया जाता है।
गढ़वाल विश्विद्यालय के उच्च शिखरिय पादप कार्यिकी शोध केंद्र के रिसर्चर डॉ. जयदेव चौहान ने बताया कि यह पौधा 2 हजार मीटर से 4 हजार मीटर की उंचाई पर पाया जाता है।
इस पौधे की जड़ों में कार्बोनेटिक, एंटी हेलमेट्रिक, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल प्रॉपर्टी पाई जाती है. इसलिए कई रोगों से निपटने में इसकी जड़ों का प्रयोग किया जाता है।
इसके पत्तों में भी जड़ के समान ही औषधीय गुण होते हैं. चोरू के पत्तों से एसेंशियल ऑयल निकाला जाता है. यह पेट संबंधित रोग जैसे पेट दर्द, पेट में मरोड़ और पाचन संबंधित समस्याओं को भी ठीक करता है. इसके किसी भी भाग के नियमित सेवन से भूख भी बढ़ती है।
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