राष्टीय राजनीति में कुछ दलों ने निर्णय ले रखा है ,की सत्य और न्याय कि जगह उनकी राजनीति में नही है, उनके लिए सबसे बड़ा मसला वोट है ,और वों इसकी खातिर किसी भी स्तर तक जा सकते है,अपनी संस्कृति विरासत से भी समझौता कर सकते है,उकसावे की राजनीति हों रही, एकतरफा प्रेम, तुष्टिकरण से उग्र समाज तैयार किया जा रहा ,जो दावे पे दावे कर रही ,अपने ही धर्म को सर्वश्रेष्ठ बता रही , जिसका नही कोई सहिष्णुनता से वास्ता ,जिन्होंने देश धर्म के आधार पर बाटा ,बटवाया वों सब धर्मनिरपेक्षता की पैरोकारी कर रहे ,बटवारे की जवाबदेही से भागे ,अब फिर उसी परिस्थिति का निर्माण करने की असफल कोशिश कर रहे ,1991 का वर्शिप एक्ट और 1995 का वक्फ बोर्ड कानून चर्चा में है ,इन दोनों कानूनों की वजह से नैसर्गिक न्याय बाधित हों रही है ,पर राजनेता है की मनमाने ढंग से बनाने के बाद लागु भी मनमाने ढंग से करना चाह रहे । ASI संरक्षित स्मारकों पर 1991 का कानून लागु नही होता वंहा भी जबरदस्ती उदाहरण संभल का जामा मस्जिद और ऐसी ही अनेकों मस्जिदे वक्फ की कारगुजारिया भी संभल में दिखती है, पांच वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में संभल शहर बसा है ,वक्फ जो दावे कर रहा है, वों सात वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है , मतलब जितनी जमीन नही है ,उससे ज्यादा पर दावा ,ये कैसे संभव है ? फिर भी राजनीतिक संरक्षण उन्हें मिल रहा ,हमारे आराध्यों के उपासना स्थल तोड़े गए ,जन्म स्थलों पर विध्वंस मचाया गया ,अब नजर भविष्य के धार्मिक स्थल को नष्ट करने की है सुनियोजित षडयंत्र है।
संभल में कल्कि अवतार होना है, इसलिए इंच -इंच जमीन पर वक्फ का दावा है ,फर्जी कागजात ,फर्जी सबूत बनाए जा रहे, 1905 में बने शासकीय भवनों पर भी वक्फ का दावा है,1929 में जिस अब्दुल समद द्वारा सम्पतियां वक्फ की गई बताई जा रही, उसका ना कोई प्रमाण है, ना अब्दुल समद के अस्तित्व की कोई दास्तान है, ऐसे ही फर्जी दावों की पुरे देश में भरमार है,पूरी कृपणता,कृतघ्नता के साथ प्रपंच रचे जा रहे ,अपने आप को मजलूम बताने वाले जुल्म की इंतहा कर रहे ,सह रहे ,सहते -सहते देश का बटवारा करा लिया ,पर दावे है की रोज बढ़ रहे । वक्फ की सम्पत्ति त्रिवेणी संगम के तट को बता रहे ,तंग दिली कितनी की महाकुंभ पर भी प्रश्न चिन्ह लगा रहे , इस्लाम की उत्पत्ति से भी पहले से वंहा महाकुंभ आयोजित हों रहा, प्राचीनतम सनातन कि प्राचीनता पर सवाल दाग रहे ,कट्टरता की पराकाष्टा है,जिस धार्मिक उन्माद से विश्व को झुलसा रहे, वही उन्माद भारत में भी भड़का रहे, उन्मादियों के साथ तथाकथित धर्म निरपेक्ष दल सुर ताल मिला रहे ,सनातनी हर परम्परा ,विरासत ,धरोहर के खिलाफ है ,बहुसंख्यक समाज से नफरत ही नही शत्रुता निभा रहें ।
सत्ता की लालसा में सत्य को मिटा रहे ,लोकतंत्र की नई परिभाषा लिख रहे ,मुंडी गिनने की चाहत में बुद्धि को तिरस्कृत कर रहे ,बुद्धिहीन अकललेस नेताओं की अंधी दौड़ है, तुष्टिकरण ,तुष्टिकरण ,और सिर्फ तुष्टिकरण की होड़ है । राजनीति जन अवधारणाओं का प्रगटीकरण है ,जन अवधारणाओं के विपरीत जा राजनीति को नष्ट करने का पूरा प्रपंच है ,राज करने की नीति है राजनीति ,बिना नीति के राज पाने की कोशिश हों रही है, न्याय की तुला में तौल नही हों रहा अन्याय की तुला पर सारा भार है रखा । अदूरदर्शी सारे निर्णय है समाज को विभक्त कर छिन्न -भिन्न जातियों में कर सनातन की पहचान मिटाने की कुचेष्टा है ।अन्यायों से छटपटाता हिन्दू समाज जाग रहा ,अपनी अस्मिता को पहचान रहा, जन्म स्थलों से लेकर महाकुंभ तक विवाद ही विवाद है, कई मंदिरों के ध्वस्तीकरण के प्रमाण है, कब तक विध्वंस सहे ,कैसे तुम्हारी अनीति { कुनीति } का अनुसरण करे ,करवट ले रहा समाज है ,करवट ले रही राजनीति है । एक ही रंग में कैसे आप रंग लेंगे ? बिना प्राण के कैसे आप शरीर चला लेंगे ? राजनीति की परिस्तिथियों की समझ नही धर्म से तों आप दूर थे ,धीरे -धीरे राजनीति से भी दूर हों रहे ,सत्ता की चाहत में जनआकांक्षाओं से खेल रहे, बिना जनता के सत्ता कैसे मिलेगी ? ये आप नही सोंच रहे ,सहिष्णु समाज में भी आप कट्टरता का बीज बो रहे ,जब न्याय ना मिले तों क्या करे ? जब न्यायलय का रस्ता की आप रोक देंगे तों फिर संघर्ष ही बचता है । सभ्य समाज को असभ्यता की ओर ढकेल रहे, न्याय की जगह अन्याय को सत्ता का माध्यम बना रहे ,कैसा लोकतंत्र ? कैसा आपका विधान ? जिसमे सत्य न्याय की जगह अन्याय और असत्य ने ले लिया, दावों की सत्यता जांची जानी चाहिए ,दावे सच्चे या झूठे हों सकते है ,सच की जीत होनी चाहिए ,सत्कर्म और कुकर्म के बीच अंतर होना चाहिए ,कर्म करिए सत्य की खोज करिए ------------------------------------ दावों पर नही सबूतों पर राजनीति करिए
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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