नई दिल्ली: रामायण ग्रंथ में कई ऐसी कथाएं मिलती हैं, जो व्यक्ति को हैरान करने के साथ-साथ कुछ-न-कुछ सीख भी देती हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि राम जी (Ram blessings for war) का विजय प्राप्ति के लिए करवाया गया यज्ञ किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं दशानन रावण ने ही करवाया था।
रावण ने स्वीकार किया निमंत्रण
कथा के अनुसार, सीता जी को ढूंढते हुए भगवान राम और उनकी वानर सेना जब लंका के समीप पहुंची, तो उन्होंने विजय पाने के लिए महादेव के निमित्त यज्ञ का आयोजन करने का विचार किया। लेकिन इस यज्ञ की सफलता के लिए किसी विद्वान पंडित की जरूरत थी। तब राम जी की नजर में रावण से बड़ा कोई पंडित नहीं था, इसलिए रावण को यज्ञ करवाने का निमंत्रण भेजा गया। क्योंकि रावण, भगवान शिव का परम भक्त था, इसलिए वह इस निमंत्रण को अस्वीकार न कर सका।
सफलतापूर्वक कराया यज्ञ
निमंत्रण पर जब रावण यज्ञ कराने पहुंचा, तो प्रभु राम समेत सभी वानरों ने उसे हाथ जोड़कर संबोधित किया। रावण ने बिना किसी संकोच के यज्ञ सफलतापूर्वक संपन्न करवाया। यज्ञ के बाद भगवान श्रीराम ने रावण से ही युद्ध में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा, इसपर रावण ने तथास्तु कहकर उन्हें आशीर्वाद भी दिया। रावण के दिए गए आशीर्वाद के अनुसार, राम जी को युद्ध में (Ramayana battle story) विजय प्राप्त हुई और अंत में रावण को मृत्यु का सामना करना पड़ा।
क्या दर्शाती है ये कथा
यह कथा रोचक होने के साथ-साथ रावण की शिव भक्ति और उसकी विद्वता को भी प्रदर्शित करती है। इसी के साथ यह कथा राम जी के भी उच्च आदर्शों को भी दर्शाती है, क्योंकि उन्हेंने यज्ञ करवाने आए रावण को एक शत्रु के रूप में नहीं देखा, बल्कि विद्वान पंडित के रूप में उसके पद को सम्मान दिया।
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