छत्तीसगढ़ में आज छेरछेरा पर्व की धूम, वित्तमंत्री चौधरी ने मंत्री नेताम से मांगा छेरछेरा

छत्तीसगढ़ में आज छेरछेरा पर्व की धूम, वित्तमंत्री चौधरी ने मंत्री नेताम से मांगा छेरछेरा

रायपुर :  छेरछेरा, माई कोठी के धान ला हेर हेरा… धान के कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में आज धूमधाम से पारंपरिक त्योहार छेरछेरा पर्व मनाया जा रहा है. सुबह से ही बच्चों की टोलीयां छेरछेरा मांगने निकल पड़ी है. बच्चे तो बच्चे प्रदेश के मंत्री ने भी आज छेरछेरा मांगा.

वित्तमंत्री ओपी चौधरी ने आज कृषि मंत्री रामविचार नेताम के निवास पर जाकर छेरछेरा पर्व मनाया. ओपी चौधरी ने रामविचार नेताम से छेरछेरा, माई कोठी के धान ला हेर हेरा… कहते हुए छेरछेरा मांगा. जिसके बाद रामविचार नेताम ने धान निकालकर टुकनी में डालकर अन्न का दान किया. मौके पर मौजूद अन्य लोगों को भी कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम ने अन्न का दान दिया.

छेरछेरा पर्व से जुड़ी खास बातें

छत्तीसगढ़ में धान और अन्न के दान का सबसे बड़ा पर्व लोकपर्व छेरछेरा पुन्नी आज मनाया जा रहा है. इस दिन को पौष पूर्णिमा व शांकभरी जयंती के नाम से भी जाना जाता है. छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पुन्नी का अलग ही महत्व है. वर्षों से मनाया जाने वाला ये पारंपरिक लोक पर्व साल के शुरुआत में मनाया जाता है. इस दिन रुपए-पैसे नहीं बल्कि अन्न का दान करते हैं. इस पर्व में सरकार भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है.

इसलिए मनाया जाता है छेरछेरा

महादान और फसल उत्सव के रूप त्यौहार मनाया जाने वाला छेरछेरा तिहार छत्तीसगढ़ के सामाजिक समरसता, समृद्ध दानशीलता की गौरवशाली परम्परा का संवाहक है. इस दिन ‘छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा’ बोलते हुए गांव के बच्चे, युवा और महिलाएं खलिहानों और घरों में जाकर धान और भेंट स्वरूप प्राप्त पैसे इकट्ठा करते हैं और इकट्ठा किए गए धान और राशि से वर्षभर के लिए कार्यक्रम बनाते हैं. छत्तीसगढ़ के किसानों में उदारता के कई आयाम दिखाई देते हैं. यहां उत्पादित फसल को समाज के जरूरतमंद लोगों, कामगारों और पशु-पक्षियों के लिए देने की परम्परा रही है.

छेरछेरा पर्व का महत्व

छेरछेरा का दूसरा पहलू आध्यात्मिक भी है, यह बड़े-छोटे के भेदभाव और अहंकार की भावना को समाप्त करता है. फसल के घर आने की खुशी में पौष मास की पूर्णिमा को छेरछेरा पुन्नी तिहार मनाया जाता है. इसी दिन मां शाकम्भरी जयंती भी मनाई जाती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी, इसलिए लोग धान के साथ साग-भाजी, फल का दान भी करते हैं. पौष पूर्णिमा धान के लिए प्रसिद्ध है. संपूर्ण भारतवर्ष में इस शुभदिन अन्न, दलहन-तिलहन का दान करना बेहद शुभ माना जाता है. यह सूर्य के उत्तरायण की प्रथम पूर्णिमा है. अत: इसका विशेष महत्व माना गया है.

शाकंभरी माता की जयंती

शाकम्भरी माता देवी भगवती का अवतार है. ऐसा माना जाता है कि देवी भगवती ने पृथ्वी पर अकाल और गंभीर खाद्य संकट को कम करने के लिए शाकम्भरी मां का अवतार लिया था. इन्हें सब्जियों, फलों और हरी पत्तियों की देवी के रूप में भी जाना जाता है. शाकम्भरी नवरात्रि की पूर्णिमा का महत्व अत्याधिक है. इस दिन को पौष पूर्णिमा के नाम से देश के विभिन्न स्थानों पर मनाया जाता है. इस दिन लोग पवित्र नदी पर जाकर स्नान करते हैं. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है. साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.









You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments