नागा संन्‍यासी बनने के ल‍िए क्‍या है टांग तोड़ प्रक्र‍िया, जानें...

नागा संन्‍यासी बनने के ल‍िए क्‍या है टांग तोड़ प्रक्र‍िया, जानें...

महाकुंभ नगर :  सनातन धर्म के प्रति जीवन समर्पित करने वाले नागा संन्यासियों के लिए मकर संक्रांति का पर्व खास है। शैव अखाड़ों के सैकड़ों नागा संन्यासियों को प्रथम अमृत स्नान पर्व मकर संक्रांति पर दिगंबर की उपाधि प्रदान की जाएगी। उन्हें छह वर्ष पहले अखाड़ों ने नागा संन्यासी बनाया था। अखाड़े की परंपरा, अनुशासन और संस्कार की परीक्षा में खरा उतरने पर उन्हें दिगंबर की उपाधि प्रदान की जाएगी। इसके साथ अखाड़े में उनका महत्व बढ़ जाएगा। वह पूरी तरह से अखाड़े के लिए समर्पित हो जाएंगे।

नागा साधु बनने की पूरी प्रक्रि‍या
अखाड़ों के नागा संन्यासी का जीवन अत्यंत कठिन हाेता है।
दीक्षा के दौरान मुंडन करके पिंडदान कराया जाता है।
व्यक्ति का नया नाम रखा जाता है।
नागा संन्यासियों को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दी जाती है।
नागा बनने वाले को आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इसके लिए उसे टांग तोड़ यानी लिंगभंग प्रक्रिया से गुजरना होता है, जो कि गुप्त ढंग से की जाती है।
मकर संक्रांति स्नान करने से पहले अखाड़ों की धर्मध्वजा के नीचे टांग तोड़ की रस्म पूरी की जाएगी। फिर स्नान करने जाएंगे।

जूना में 1050 सौ, श्रीनिरंजनी में पांच सौ, श्रीमहानिर्वाणी में सौ, आवाहन में चार सौ, अटल में 50 व आनंद अखाड़ा में 50 के लगभग नागा संतों का तांग तोड़ किया जाएगा।
छह साल देनी होती है परीक्षा

नागा संन्यासी बनने के बाद व्यक्ति को छह वर्ष तक परीक्षा देने पड़ती है। उन्हें अखाड़े के कड़े अनुशासन में रखा जाता है। उन्हें त्याग, तपस्या, ब्रह्मचर्य के रूप में खरा उतरना पड़ता है। घर-परिवार से दूर रहना होता है। इस दौरान अगर उन्हें घर-परिवार की याद आती है तो वापस भेज दिया जाता है। जो पूरी परीक्षा में खरा उतरता है उसे दिगंबर बनाकर हमेशा के लिए अपनाया जाता है।

दिगम्बर की बढ़ जाती है जिम्मेदारी

बनने वाले नागा संन्यासी की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। वह समस्त नागा संन्यासियों की कार्यप्रणाली पर नजर रखते हैं। साथ ही उन्हें अखाड़ों की सुरक्षा, आंतरिक व्यवस्था में लगाया जाता है। भजन-पूजन के साथ सारा काम समर्पित भाव से करना पड़ता है।

स्नान करने में रहेंगे आगे
दिगंबर नागा संन्यासी अमृत स्नान में अखाड़े में आगे चलते हैं। आराध्य की पालकी, शस्त्र का अपमान न होने पाए उस पर नजर रखते हैं। साथ ही आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते हैं। इनके आदेश का समस्त नागा संन्यासी पालन करते हैं।






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