मुखिया के मुखारी –  दादी तों गयों-अब कुनबे की बारी है   

मुखिया के मुखारी –  दादी तों गयों-अब कुनबे की बारी है   

बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाती, अन्तोगत्वा हुआ वही जो होना था, धागे खुलने लगे सफ़ेद झक खादी के, सिलसिला ये अब दूर तलक जाएगा । कई सफ़ेद खद्दर धारियों के कपड़ो के धागे खुलेंगे, इज्जत अनावृत्त होंगी ,सफ़ेदपोशो के पोशाकों में धब्बे छुपाने की कोई गुंजाईश नही रही, आरोपों के बाद गिरफ्तारी होने लगी ।  ये वही आबकारी मंत्री है जो बताते अपने आप को अनपढ़ है, कनाडा वही उद्योग मंत्री के रूप में जाते है, MOU का महत्व बताते है ,ऑटोमोबाइल कम्पनियों के अंग्रेजी में लिखें कागजों पर हस्ताक्षर करते है, यही आबकारी,उद्योग मंत्री थे, छत्तीसगढ़ सरकार के उस सरकार के, जिसके लिए शराब { आबकारी } सबसे बड़ा उद्योग था । सरकार के घोटालों ने कई अधिकारियों, कर्मचारियों, व्यापारियों को जेल की हवा खिला दी, पूर्व आबकारी मंत्री भी जेल के मुहाने पर खड़े है ,कई नेताओं का कलेजा मुंह को आ गया है,नियति अपनी राजनीति इति देखकर उन्हें अपने कुकर्मो पर रोना आ रहा है। चमड़ी मोटी कर बैठे है ,चेहरे के भाव नही बदले पर मांथे के शिकन सबको दिख रहे है,साक्षर को मंत्री बनाया ,उसने अपने को अनपढ़ बताया ,धनगढ़ है वों, बाकी मंत्रिमंडल में सब शिक्षित थे, तों फिर वों धनगढ़ से बड़े होंगे, हजारों अरबों डकारे होंगे ? शिक्षा की आवश्यकता मंत्री बनने के लिए क्यों नही हुई आवश्यक, क्योंकी भ्रष्टाचार आपके लिए था अति आवश्यक ,अति की अति आपको ले डूबी,इति आपकी राजनीति की हों चुकी, घोटालों में कइयों गिरफ्तारियां हों गई फिर भी  दर्प नही उतरा है आपका ।

मंडली पूरी खा रही जेल की हवा फिर भी अपनी कुंडली साफ बता रहे,भ्रष्टाचार की डगर में चलने वाले को डहरिया मासूम बता रहे ,आदिवासी होने कि दुहाई दे रहे, दादी के लिए बाबा का भी बड़ा लगाव है ,वों उनको अनुभवी बता रहे, अब ये अनुभव भ्रष्टाचार का या षड्यंत्र का था ये नही बताया उन्होंने,  उत्तर दक्षिण का अंतर कायम रखा उन्होंने, बाबा क्या भ्रष्टाचार नही हुआ ? क्या कुर्सी के लिए आपके साथ षड्यंत्र नही हुआ ? ढाई साल का दर्द सहा आपने फिर भी सहिष्णु हुए जा रहे ,भ्रष्टाचारी के लिए ,ढाई अक्षर प्रेम के गा रहे,दादी के लगता नही कका अनुरागी है, राग रंग सब छोड़ मौन है,जब मौन तोड़ा तों  इसे बता कार्यवाही बदले की ,कार्यवाही बदले की है या आप बदल गए ,जो सोंच के बनाया था उन्हें मंत्री वों सारे फायदे अब घाटे में बदल गए,  क्या आरोंप सारे राजनीति से प्रेरित है ?  घोटाले घटे ही नही तों आपकी सत्संगी संगी क्यों जेल में है ? एक निजी मामलें पे निजता की दुहाई दे उच्च न्यायलय में वकील बड़े खड़े है ,मसला लखमा का था ना खड़े, ना अड़े ,या फिर अड़ना नासमझी है,कहना अलग है पर जानते है की आपके साथी भर्ष्टाचार के अनुगामी है, शीर्षस्थ नेतृत्व कांग्रेस का बेल में है,आरोंप भर्ष्टाचार का ,भर्ष्टाचारी सजायापता लालू का साथ है।

अब तों स्टेट ऑफ इंडिया से लड़ने की बात है ,सत्ताहीनता से बुद्धिहीनता आती है ,ये उसका प्रमाण है ,कालिख से पुता पूरा शरीर है, कलप जायेंगे तों भी कालिख नही छूटेगी इस नश्वर शरीर से, हकों पे डाका डालना, आप लोगों की पुरानी फितरत है, मुखिया को कैसे नही कुछ पता ,आँखों से काजल गया चुराया फिर भी कहते है आपको कुछ नही भान है,या फिर पूरी काजल आपकी ही है  । जिसे सबने कका का भतीजा बन लगाया है, कका की लगती थी यही आत्मीयता प्रदेश के सारे माल को अपना समझना अपनों में बाटना ।शराब ,कोयला, चावल,रेत, शिक्षा, नौकरी,गोबर,सबमें हुए घोटाले । आपके घोटालों के मितानों का घोटाले का मितान क्लब, अब क्लब के सारे साथी मितान बन एक ही जगह फुर्सत में बैठेंगे, महादेव सट्टा एप्प में दांव लगायेंगे ,दावों के दांव खाली जा रहे,दाऊ अईसे नई होय खेती ,बो देस गंहूँ चल देस कहूँ ,तोर खेत में निदा आ गे हें ,निदा नाशक डार नही तों दुकाल पर जही। मालगुजार का माल निकल गया गुजारे की मुसीबत है, सत्ता गई, पद गया ,पदवी गई बात अब शक्ति की है, हैसियत राजनीति की क्षरित हों गई, क्षरण अब व्यक्तित्व का है ,सेनापति आप कह रहे, आपके निर्दोष सैनिक गिरफ्तार ,तों पकड़ो ना आप भी विरोध का रफ्तार ,या फिर सैनिको का हश्र देख आपको अपना भी हश्र है ज्ञात।  इस ज्ञान का बोध आपको बोधतत्व करा रहा की विरोध के लिए तथ्य का आभाव है, कथ्य बिना तथ्य के सत्य से परे है,सत्य की खुदाई हों रही ,सबूत पे सबूत निकल रहे, ऐसे में बूते में सिर्फ मिमयाना ।  दायित्व था, सुशासन का मुखिया थे ,आप उस सरकार के जिसे छत्तीसगढ़ियों ने अपना मान माना आपको सम्मान दिया, मान को अभिमान में शाषन को कुशाषन बना दिया, कीर्तिमान सारे घपले -घोटालों के कुनबे सहित आपने रच दिया,मत का मान तों रखा नही आपने, अपना और अपने अपनों का मान मर्दन कर दिया ,कलंकित समय छतीसगढ़ के हिस्से आपने कर दिया। -------------------दादी तों गयों-अब कुनबे की बारी है   

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल






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