Mahakumbh 2025: महाकुंभ, आस्था और आध्यात्म का एक ऐसा संगम जहां हर रंग और रूप में भक्ति का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है. इस बार महाकुंभ में एक विशेष आकर्षण रहा- छोटे नागा बाबाओं का. इन बाल वैरागियों ने कम उम्र में ही सांसारिक मोह-माया त्याग कर शिव भक्ति का मार्ग अपनाया है. इनमें से एक हैं शिवानंद गिरी महाराज, जो महज 10 साल के हैं, लेकिन उनका वैराग्य देखकर हर कोई आश्चर्यचकित है.
7 साल की उम्र में ली थी दीक्षा
जी हां, महज 7 साल की उम्र में शिवानंद गिरी महाराज नागा साधु अखाड़ा के साथ दीक्षा ली थी. आज वे भी अन्य नागा साधुओं के साथ कुंभ स्नान के लिए आए हैं. उनकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, जिन्हें देखकर लोग बालपन में ही उनके दृढ़ निश्चय और शिव भक्ति की गहराई को नमन कर रहे हैं.
इस बार महाकुंभ में कई ऐसे छोटे बाबा देखने को मिले, जो कुंभ स्नान के लिए आए थे. इन बाल साधुओं की उपस्थिति ने महाकुंभ के माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया. लोग उनके दर्शन करने और आशीर्वाद लेने के लिए उत्सुक दिखे. इन बच्चों का वैराग्य और भक्ति देखकर यही लगता है कि आस्था की कोई उम्र नहीं होती.
महाकुंभ में छोटे नागा बाबाओं ने खींचा ध्यान
इन छोटे नागा बाबाओं की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि वैराग्य और आध्यात्म किसी विशेष उम्र के मोहताज नहीं होती. अगर मन में सच्ची लगन और ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास हो, तो किसी भी उम्र में इस मार्ग पर चला जा सकता है. शिवानंद गिरी महाराज और अन्य छोटे नागा बाबा इसके जीवंत उदाहरण हैं.
महाकुंभ में इन बाल साधुओं की उपस्थिति ने एक नई चर्चा छेड़ दी है – बाल वैराग्य की. लोग यह जानने को उत्सुक हैं कि इतनी कम उम्र में बच्चे कैसे सांसारिक सुखों को त्याग कर वैराग्य का मार्ग अपना लेते हैं. यह एक ऐसा प्रश्न है जो हमें भारतीय संस्कृति और आध्यात्म की गहराई में ले जाता है. इन बच्चों की कहानियां हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि जीवन का असली उद्देश्य क्या है और खुशी का सच्चा मार्ग क्या है.
इस महाकुंभ में छोटे नागा बाबाओं ने अपनी उपस्थिति से न केवल भक्तों को आश्चर्यचकित किया है, बल्कि उन्हें एक गहरा संदेश भी दिया है – आस्था, समर्पण और वैराग्य की शक्ति का.
Comments