छत्तीसगढ़ के अभ्युदय के साथ ही अफसरों के लिए ये चारागाह बन गया,प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री IAS थे सों वों इन अफसरों को महत्त्व ज्यादा दे गए ,कालांतर में हर नेता ने ये जुगलबंदी जारी रखी और अनवरत आज भी जारी है ।घपले घोटालों की सारी कहानियों के नेता और अफसर मुख्य किरदार है, व्यापारी इनके सूत्रधार चर्चा में है, आदिवासी विधायक एवं पूर्व मंत्री लखमा की शराब घोटाले में गिरफ्तारी ,लखमा के बेगुनाही साबित करने के लिए कुतर्क दिया पूर्व मुखिया ने, लखमा अनपढ़ है, उनके घर से न एक रुपया मिला, न कोई कागजात, प्रदेश में सबकी चाह हों गई है ,वों लखमा जैसे अनपढ़ हों जाए, धनगढ़ हों जाए ,कांग्रेस को आव तुम्हें अनपढ़ बनाए लखमा जैसे धनगढ़ बनाए का मुहिम छेड़ना चाहिए ,अपार जनसमर्थन मिलेगा शायद सत्ता में वापसी हों जाए । राजनीति समय की गुलाम है,नान भर्ष्टाचार के आरोपों में घिरे दो अखिल भारतीय सेवा सवंर्ग के अफसर रमन सिह के खास सिपह सलार थे ,इस घोटाले में तब कांग्रेस ने कई बड़े -बड़े आरोंप लगाए ,रमन सिह को जेल भेजने की भी बातें की गई, शाषन बदला कांग्रेस सत्तारूढ़ हों गई ,न रमन सिह को जेल हुई, न नान घोटाले का कोई ठोस परिणाम सामने आया। दोनों खास सिपह सलार कांग्रेस सरकार की नाक की बाल हों गए ,सरकार में पद किसी के पास कोई भी रहा हों पर पूरा सरकारी पावर इन्ही के पास था ,पांच साल सरकार इन्होने ही चलाई, आलोक का आलोक ऐसा था की वों सेवा निवृत्ती के बाद भी सालों कई महत्वपूर्ण विभागों के प्रमुख सचिव रहे,टुटेजा जी के आगे सबको टूटना ही था।
सरकार की नियम शर्ते कामों की वही तय करते थे, लंबी फेहरिस्त है ऐसे अफसरों की जो कांग्रेस सरकार के लिए आसमान से चाँद तोड़ लाने में अपने आप को सक्षम बताते थे ,चील के विशेष सामान के संग्रहण को ही अपनी विशेषज्ञता बताते थे, किया भी खूब उन्होंने संग्रहण धन का बल का ,कोयले का ,रेत का ------ और न जाने ऐसे ही कितने सामग्रियों का ,कांग्रेस की सरकार ने सबसे बड़ी उपलब्धि ये पाई की उसने भुत ,वर्तमान ,भविष्य सबके अफसरों को भर्ष्टाचार की ऐसी घुट्टी पिलाई की बिना छुट्टी के छुट्टी मना रहे जेल की हवा खा रहे। अफसरों ने सामूहिक भर्ष्टाचार किया बिना सरकार की स्वीकृति के तों ये संभव नही, सरकार की इसमें सहभागिता थी ,आलिशान बंगलो कारों के मालिक ऐसे ही ये नेता नही हों गए, शिक्षाकर्मी से विधायक बने करोड़ो के कार उपहार में देने लगे, चंहुओर भर्ष्टाचार ही भर्ष्टाचार था । पगा रहे थे सारे बड़े बाबु एक ही रंग में सब हों गए थे ,घपले घोटालों के रंग में अरबों का खेल था पुसतो के लिए जमा काला धन करना था ,तों कारनामें भी उतने ही बड़े, खिलाड़ी भी उतने ही बड़े, ED कहती है की प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव रेरा के पूर्व अध्यक्ष शराब घोटाले के लाभार्थी है ,सरगना है ये आरोप बताता है की पिछले पांच सालों में ये सरकार कैसे चली और किनकी चली।
ऐसा नही है की लीज के जमीन के मसले पूर्व मुख्य सचिव के किसी को पता नही थे ,जों इन्हें बताते अपना गुरुदेव थे उसका भी कारण पता चल रहा है,हवस पैसों की हैवान बनाती है ,सफल इंसान को भी नियत की खराबी जेल पहुंचाती है, ऐसे ही चुनाव हुआ चुन -चुनकर कारिंदे बिठाये गए, प्रशासन के साथ -साथ पुलिस में भी बहुत से पिठ्ठू बनाए गए, चार चव्वनी को मिलाकर रुपया बनाने चले थे, यंहा सारे चव्वनी रुपया बन गए ,अरा रोट कपड़ो में लगाया ही नही घोटकर पी गए नेता /अफसर -रुपया की डबल डोज वाली अकड़ शाषन कों सब पता होता है,जरूरत है दृढ़ इच्छाशक्ति की, जाँच एजेंसी के सामने दिए गए आरोपियों के बयान है जिसमे संलिप्प्त अधिकारियों ,नेताओं ,व्यापारियों के नाम है फिर भी कार्यवाही मंद है,प्रदेश के जितने बड़े अधिकारी उनकी उतनी बड़ी दुकान दारी ,बेहिसाब सम्पत्ति है सौ -सौ एकड़ो के फार्म हाउस तों किसी के होटल,युनिवर्सिटी है ,मंत्रालय में बैठकर कोई ज्वेलरी शॉप चला रहा तों कोई फर्नीचर मंगा रहा ,कहने को तों प्रदेश में कई बिल्डर है ,पर इन बिल्डरों के पास पैसा इन्ही अफसरों का है,एक इनका तों दस इनके आकाओं का, नेता अफसर मिलकर भर्ष्टाचार के पैसों को ठिकाने लगा रहे ,काली कमाई में हिस्सा बराबर बाँट रहे,गजब के इनके सुर ताल है सरगम पे छिड़ी इनकी एक ही तान है ,गजब का है मसला जिस अमले के पास जाँच की जवाबदारी है, वों अमला महादेव के ताप से है झुलसा पड़ा ,हप्ता महिना लाखों में अधिकारी ले रहे जिस विभाग के सिपाही करोड़ो में खेल रहे थे ,उनके अधिकारियों के पास कितनी बेहिसाब होंगी सम्पत्ति, कौन -कौन सा खेल खेल रहा था सबको पता है, जों जाँच के दायरे में है वों खुद ही कही ना कही कुछ जाँच कर रहे ,फिल्ड में ना सही तों लाईन में आराम फरमा रहे,बड़ी मछलियाँ है रंगीनी में आज भी रात बिता रहे, कितनी समदर्शी थी पिछली कांग्रेस सरकार अगड़ा पिछड़ा, अनुसूचित जाति ,जनजाति पुरुष ,महिला बाप ,बेटा ,भतीजा दोस्त ,दोस्तों के दोस्त कंहा मिलेगा ऐसा समाजवाद ? ऐसी समाजवादी भर्ष्टाचार ,सबको रंग दिया एक ही रंग में, सब भर्ष्टाचार के संग में छत्तीसगढ़ियों का कहना एक ही है कका ------------हमें नही कहना अनपढ़, हमें नही बनना धनगढ़
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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