मुखिया के मुखारी – दिल्ली जीतना आपका अभी बहुत दूर का सपना है  

मुखिया के मुखारी – दिल्ली जीतना आपका अभी बहुत दूर का सपना है  

सरकार का इकबाल बुलंद करती है उसकी पुलिस ,सरकार कितनी प्रभावशाली ये पुलिस के प्रभावी कार्यवाही का समानुपाती होता है।सरकारी व्यवस्थाओं में पहली प्राथमिकता कानून व्यवस्था की होती है,और इसकी व्यवस्थापक पुलिस ही होती है, सुशासन के लिए प्रभावी कानून व्यवस्था अनिवार्य है, यदि पुलिस खुद आरोपों में घिरी रहे,भर्ष्टाचार की सहचरी हों जाये, तो फिर सरकार का निष्प्रभावी और निस्तेज होना तय है । सत्ता का पराभाव समयानुसार होना ही है, छत्तीसगढ़ की पुलिस अपनी पिछले शासन में की गई अपनी काली करतूतों को लेकर परेशान है, काले कारनामों के पन्ने धीरे -धीरे खुल रहे,आरक्षकों ने गांजा तस्करी ,महादेव सट्टा से करोड़ो कमा लिए, बेहिसाब संपत्तियां बना ली ,सिपाही का सामर्थ्य इतना था तों अधिकारी कितने सक्षम थे,क्या -क्या नही किया होंगा उन्होंने ,सारे भर्ष्टाचारों में उनकी संलिप्तता थी, चरण वंदना के सिवाय उनकी कुछ और नही डयूटी थी,सरकार ने भर्ष्टाचार कों अपना एकमात्र उद्देश्य बनाया । पुलिस वालों कों भी अपने गिरोह ,घोटालों का राजदार बनाया,जाँच एजेंसियों के सामने आरोपियों के द्वारा दिए गए बयानों में पूरी बयां इनकी कहानी है, फिर भी ना जाने क्यों उन भ्रष्‍ट अधिकारियों पर अभी तक मेहरबानी है, ऐसा नही है की इनके काले कारनामों के दस्तावेजी प्रमाण नही है, फिर भी ना जाने क्यों कानून कों इसका भान नही है। छ.ग.पुलिस के छवि पे दाग लगाने वाले ये भ्रष्‍ट अधिकारी आज भी अपनी सेवाएँ दे रहे, षडयंत्र ये जाँच प्रभावित करने का ये रोज कर रहे,राजधानी ,और  वीडियो वाले साहब चैन की बंशी बजा रहे,पुलिस के माथे पर अभिषेक बन अभी भी सजे हुए।

चंद भर्ष्टाचारियों पर कार्यवाही नही होंगी तों ईमानदार पुलिस अधिकारी कैसे अपना संयम बनाए रखेंगे? पुलिस कों निस्तेज कर पिछली सरकार ने अपना तेज गवाया था ,क्यों उस राह के राही बन रहे,कुछ के लिए सबकुछ दांव पे लगा रहे, ओज का विजय करिए ,ऐसा नही है की पिछली सरकार ने सिर्फ पुलिस अधिकारियों कों पथ भ्रष्‍ट किया कई अनुगामी है ,अखिल भारतीय सेवा संवर्ग के अधिकारी भी दागी है, महिला सशक्तिकरण कही हुआ या नही भर्ष्टाचार में शामिल महिला अधिकारी,कर्मचारियों की भी इसमें हिस्सेदारी है,अल्पसंख्यक कल्याण की भी पूरी जवाबदारी पूर्व सरकार ने निभाई है । पंडित के साथ पठान की दोस्ती शराब घोटाले में करवाई है,अनुसूचित जाति ,जनजाति का पूरा ख्याल रखा ,पीएससी का चेयरमैन बना अपने परिवार में और उनकें परिवार में पदों का बंदर बाँट किया ,प्रतिभाएं इनके घरों में ही सिमट गई ,घर के सारे अभ्यार्थी प्रतिभा सम्पन्न हों गए ,अध्यापक ,उपजिलाधीश,उपपुलिस अधीक्षक जैसे अनेक पदों से सुशोभित कर दिए गए ,सवर्णों का भी पूरा ध्यान है ,भर्ष्टाचार में त्रिपाठी जी का भी पूरा योगदान है,ऐसा नही की सिर्फ अनपढ़ आदिवासी कों धनगढ़ बनाया,मेधापुत्रों का भी पूरा मान रखा ,ग्राम सचिव से लेकर सचिव ,मुख्य सचिव तक सबकों भाग देकर उनका मान बढ़ाया,व्यापारी भी नही छूटे इस हिस्सेदारी में, सूर्य के ऊपर भी कोयले का दाग लगाया ,अपने ,अपनों के अपने ,उनके अपने ,सबकों अपना भर्ष्टाचारी बनाया, जब अपने नही बचे तो दूर से दूर संचार के अधिकारियों कों बुलाकर वही काम करवाया ,नियुक्ति ही नही प्रतिनियुक्ति पर भी भर्ष्टाचार का रंग चढ़ाया ,पिछड़ो का भी पूरा ध्यान रखा,पिछड़ो के नाम पर पुरे परिवार का मान बढ़ाया,परिवार में ही बिजली जिला का मुखिया ,सरकार का भी मुखिया ।

समदर्शिता तो अद्भुत है ,कर्मचारी ,अधिकारी कों आरोपी बनाया तों सुअर पालक कों अधिकारी बना फिर आरोपी बनाया, करनी की कहानी नही कहानियाँ है, इसलिए तों बल पड़ा आपके है पेशमानिया, पाटन के छोरे -छोर बेहिसाब जमीन खरीदते -खरीदते ,छत्तीसगढ़ के कोर कोर तक यही काम किया। रायपुर की ओर सारे धन संग्रह का केंद्र बनाया ,राजधानी कों भर्ष्टाचार धानी बनाया ,और सरकार कों धन संग्रह केंद्र बनाया, पाटन के सारे एसडीएम बलवान हो गए ,सरकार में सारे सर्व शक्तिमान हो गए थे, राईस मिलर्स एसोसिएशन के पूर्व पदाधिकारी भी पाटन के किसान हों गए, धान नही PDS का चावल बेच भागमान हो गए ,पाटन की धरती सोना उगलने लगी थी शायद, इसीलिए सारे पूर्व अधिकारी आपके ऋण पुस्तिका के अधिकारी हो गए । सदानंद छोटा आदिवासी था वों भी अनपढ़ पर वों विधायक नही था ,सों बात तब दब गई ,बात ये अलग है ऋण पुस्तिका में नाम अभी भी उसका उल्लेखित है ,फिर दूसरा सदानंद बनाने चले थे भूल गए ये कवासी है,आदिवासी है तों क्या हुआ पूर्व मंत्री और विधायक है , उल्लेखित न कर दे कही पूरी कहानी, हर बार झुरमुट में झीरम उलझ जाए ये संभव नही । प्रमाण बिखरे है पाषाणों की तरह आप भाषणों में मशगुल है,मगरूर है ,सुना है चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली जाने वाले है, अपनें जैसे से भेंट करने वाले है ,सुख दुःख बाँट लीजियेगा बटवारा भाग्य का नही होता,घोटाला शराब का एक जैसा ही है,परिचय आप दोनों का पूर्व मुख्यमंत्री वाला भी वैसा का वैसा ही है,वों आके चुनाव लड़ रहे दिल्ली का वों हारे नही अभी, आप हरवा के चुनाव छत्तीसगढ़ का दिल्ली जीतने जा रहे ,भाग्य एक जैसा तों नही बना रहे, छ.ग. सरकार अभी भी सजग हो जाए,बिखरे पाषाण कों तराश कर सबूत बना ले तों अंजाम इन आरोपों का क्या होंगा ,आपकों भी पता है ----------------------दिल्ली जीतना आपका अभी बहुत दूर का सपना है  

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल

 






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