नाडिया के किसान प्राकृतिक आपदाओं से उबरने के लिए भारत सुंदरी बेर की खेती कर रहे हैं. बता दें कि कम जगह में ज्यादा उत्पादन और जैविक खाद का उपयोग इस खेती को लाभदायक बनाता है.
नाडिया के किसान, जो एक के बाद एक प्राकृतिक आपदाओं से परेशान थे, अब भारत सुंदरी बेर की खेती से नई उम्मीद की किरण देख रहे हैं. इस खेती ने उन्हें भारी मुनाफे का भरोसा दिलाया है. कुछ किसान भारत सुंदरी बेर के साथ अन्य प्रकार के बेर जैसे एप्पल बेर की भी खेती कर रहे हैं.
कम जगह में ज्यादा उत्पादन: भारत सुंदरी बेर की खेती के लिए ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं होती. केवल 10 से 15 कट्ठा जमीन पर 100 से अधिक बेर के पौधे लगाकर एक साल के भीतर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. इस खेती में इतनी ज्यादा पैदावार होती है कि कभी-कभी शाखाएं टूटने की नौबत आ जाती है.
सावधानी बरतनी होती है: किसानों को इस खेती में थोड़ी सावधानी बरतनी होती है. खेत के चारों ओर मछली पकड़ने वाले जाल से घेरा बनाया जाता है, ताकि पक्षियों से फसल की रक्षा की जा सके. जब बेर पकने लगते हैं, तो उन्हें बचाने के लिए खेत के ऊपर नायलॉन जाल लगाया जाता है.
जैविक खाद से खेती: इस खेती में ज्यादा खाद की जरूरत नहीं होती. ज्यादातर किसान जैविक खाद का उपयोग करते हैं, जिससे ये बेर कीटनाशक मुक्त होते हैं.
वर्तमान में भारत सुंदरी बेर की कीमत थोक बाजार में 43-45 रुपये प्रति किलोग्राम है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है.
बढ़ती संभावनाएं: पिछले साल प्राकृतिक आपदाओं ने अन्य फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया. किसान इस नुकसान से उबरने को लेकर चिंतित थे, लेकिन सर्दियों से पहले शुरू की गई भारत सुंदरी बेर की खेती उनके लिए नई उम्मीद बनकर आई है.
स्वाद में बेस्ट: भारत सुंदरी बेर अपने स्वाद और जूसी टेक्सचर के कारण 8 से 80 साल तक सभी उम्र के लोगों में लोकप्रिय है. सर्दियों में सेब, संतरा और नींबू जैसे कई फल बाजार में आते हैं, लेकिन भारत सुंदरी बेर ने इन सभी फलों को मात दे दी है.
मांग लगातार बढ़ रही है: भारत सुंदरी बेर का दाम ऐसा है कि यह आम जनता की पहुंच में है. इस वजह से इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. नाडिया के कई इलाकों जैसे कृष्णागंज, हंसखाली, करिमपुर, चापरा और शांतिपुर में इसकी खेती तेजी से बढ़ रही है. किसान अब इसे बड़े पैमाने पर उगाने की योजना बना रहे हैं.
Comments