आध्र प्रदेश: चित्तूर जिले के एक किसान ने रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilizers) का इस्तेमाल न करके केवल जैविक उर्वरकों (Organic Fertilizers) से खेती करके लाखों रुपये की कमाई की है.
यह किसान पान की खेती करता है और रोजाना तीन घंटे की मेहनत से महीने में 50,000 रुपये तक कमा लेता है. खास बात यह है कि एक बार बेल लगाने के बाद यह फसल सौ साल तक लगातार मिलती रहती है, जिससे किसानों को सालों तक फायदा होता है.
कम निवेश में पान की खेती
बता दें कि कुछ फसलें होती हैं जिनमें लाखों रुपये का निवेश करना पड़ता है, लेकिन पान की खेती ऐसी है जिसमें कम से कम निवेश से अच्छी कमाई हो सकती है. पान की खेती में दो प्रकार होते हैं: छोटा कम्मेरु और बड़ा कम्मेरु. दोनों की पहचान पत्तों के आकार से होती है. चित्तूर जिले के विभिन्न गांवों में यह खेती की जा रही है, जहां के किसान पीढ़ियों से इस फसल को उगा रहे हैं. इस खेती से उनके परिवारों को लाखों रुपये की कमाई हो रही है, और अब तक इस खेती को छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं है.
इस तकनीक से पान की खेती
बता दें कि पान की खेती में बेल के जरिए पौधे उगाए जाते हैं. बेल को 4 फीट चौड़ाई और 6 फीट की दूरी पर लगाया जाता है और साथ में सहायक पौधे जैसे सहजन और दूरसे बीज भी लगाए जाते हैं. एक बार बेल लगाने के बाद, छह महीने में फसल तैयार हो जाती है. फसल के कटने के बाद जैविक उर्वरक डालने से इस खेती में सालों तक लगातार उपज मिलती रहती है. किसान बताते हैं कि इस खेती में नुकसान का सवाल ही नहीं है, क्योंकि जैविक तरीके से उत्पादित ताम्बूल की भारी मांग है.
बाग की देखभाल का महत्व
बता दें कि इस खेती में एक खास बात यह है कि बाग की देखभाल में भी ध्यान रखना पड़ता है. ठीक उसी तरह जैसे भगवान के दर्शन के लिए भक्त नियमों का पालन करते हैं, वैसे ही बाग की देखभाल करनी होती है. अगर बाग को सही तरीके से और सही नियमों से देखभाल किया जाए, तो लगातार सालभर फसल मिलती रहती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है
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