अमरोहा जिले के कोठी खिदमतपुर की रहने वाली हितेश ने बताया कि प्रखंड बायो एनर्जी किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (एफपीओ) के जरिए प्राकृतिक खेती के जरिए अलग-अलग फसलों की पैदावार करती हैं।
खेती-किसानी में अब महिलाएं भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और अपनी अलग पहचान बना रही हैं. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की रहने वाली महिला किसान हितेश चौधरी ने एक एकड़ में गन्ने के साथ आलू और मटर की बुवाई की है. इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में हितेश चौधरी ने बताया कि गन्ने की खेती में लाभ का दायरा बढ़ाने और गन्ने की उपज से अतिरिक्त आय कमाने के लिए इंटरक्रॉपिग यानी सहफसली खेती बेहतर विकल्प साबित हो रहा है. इसी के तहत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने पहली बार 1-1 एकड़ में गन्ने के साथ मटर और आलू की खेती की है.
एक खर्च में तीन फसलों की होगी उपज
अमरोहा जिले के कोठी खिदमतपुर की रहने वाली हितेश ने बताया कि प्रखंड बायो एनर्जी किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (एफपीओ) के जरिए प्राकृतिक खेती के जरिए अलग-अलग फसलों की पैदावार करती हैं. इससे कम जमीन में एक से अधिक फसलों की बुवाई करके ट्रिपल मुनाफा कमाया जा सकता है. वहीं एक हीं खेत में गन्ना के साथ-साथ आलू और मटर की भी खेती की है. इससे एक खर्च और मेहनत में एक साथ तीन फसल निकलेंगी.
प्राकृतिक तकनीक से खेती को बढ़ावा
उन्होंने बताया कि रासायनिक खादों के अंधाधुंध प्रयोग से होने वाली बीमारियों के प्रति किसानों को जागरूक कर रही हैं. अमरोहा ब्लाक क्षेत्र के गांव चक छावी की रहने वाली हितेश चौधरी ने ग्रेजुएशन के बाद डबल एमए व योग में पीजी डिप्लोमा किया है. प्रगतिशील महिला किसान ने आगे बताया कि साल 2020 में ओजस्विनी महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर गन्ने की खेती को प्राकृतिक तकनीक से करने की जानकारी किसानों को दी. जिससे बहुत से किसान आज पूरी तरह से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. आज हर चीज में मिलावट आ रही है, जिससे शरीर बीमार बन रहा है. कैंसर से लेकर अन्य बीमारियां जद में ले रही हैं.
एफपीओ से जुड़े हैं 1000 किसान
हितेश बताती हैं कि उनके सुझाव के बाद 200 से अधिक जिले के किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. जबकि कई किसानों को अब तक वह प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दे चुकी हैं. उन्होंने बताया कि 16 अप्रैल 2021 में किसान प्रोडयूसर कंपनी का गठन करके एफपीओ बनाया.
आज 1000 किसान एफपीओ से जुड़े हैं. वहीं 200 के करीब महिला किसान भी शामिल हैं. दरअसल, हितेश चौधरी समय- समय पर कई अद्भुत व अजब-गजब तरीके से खेती कर अन्य किसानों और लोगों को चौंका देती हैं.
इंटरक्रॉपिंग खेती के कई फायदे
हितेश ने बताया कि गन्ना-आलू इंटरक्रॉपिंग खेती में गन्ने को दो से तीन फीट की दूरी पर बोया जाता है. बीच में एक से दो पंक्तियों में आलू बोया जाता है. गन्ना नाली व गड्डा विधि से बोया जाता है. गन्ना-आलू की सहफसली खेती से दोनों फसलों की पैदावार बढ़ जाती है.
सफल महिला किसान हितेश बताती हैं कि खेती में समय-समय पर कुछ न कुछ अलग करते रहना चाहिए. उन्होंने बताया कि वे कई तरह की खेती उत्तर प्रदेश में देखे है. इन्हें एका-एक ख्याल आया कि अलग-अलग खेत में गन्ना और आलू की रोपाई करने से बढ़िया रहेगा कि एक हीं खेत में एक साथ किया जाए और हुआ भी ऐसा हीं. इससे यह फायदा हुआ कि एक हीं खर्च में दोनों फसल की रोपाई हो गयी. मेहनत भी ज्यादा नहीं लगा. वहीं एक खाद से तीन फसलें तैयार हो जाएंगी।
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