मुखिया के मुखारी –  हे! पूर्व सरकार पुलिस कों असरकार बने रहने दीजिए 

मुखिया के मुखारी –  हे! पूर्व सरकार पुलिस कों असरकार बने रहने दीजिए 

पार्टी कमजोर की ,अपार बहुमत कों कम किया, आदिवासी हितों का क्षरण किया,हरण सीटों का हुआ, कमजोर शासन, सत्ता से बेदखली अब क्या पुलिस कों भी कमजोर करना चाह रहे ,प्रदेश के पूर्व मुखिया का बयान न्यूज़ चैनल पर आया की कवासी लखमा और देवेन्द्र यादव की गिरफ्तारी राजीनीतिक कारणों से हुई है, दुर्भावना इसकी सबसे बड़ी वजह है, लखमा ने आदिवासी हितों की बात की ,सुकमा में लखमा के आगे भाजपा टिकती नही ,त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कों देखते हुए लखमा कों ED ने  गिरफ्तार कर लिया, लखमा मासूम है ,घोटाले में उनकी संलिप्तता नही है,ये बात अलग है की लखमा खुद स्वीकार कर चुके है ,की शराब घोटाला हुआ ,अफसरों ने उसे अंजाम दिया, वों अनपढ़ है,अफसरों ने उनसे कागज पर हस्ताक्षर करवा लिए ,उन्हें घोटाले की एक कौड़ी भी नही मिली , दूर की कौड़ी का पाशा बना लखमा ने फेका, धनगढ़ होकर भी अनपढ़ होने का दांव चला। बेगुनाही साबित करने की आस में गढ़ी गई बातें टिक नही पाई, अनपढ़ मंत्री जेल पहुँच गए, घोटाले के लिए ना मंत्री जवाबदार, ना मुख्यमंत्री की कोई जवाबदेही ,अपराधों के निशान देही से देह अलग कर दायित्वों से कैसे भाग जायेंगे, सत्ता से दूर ,देह दुरूह बुद्धि से मगरूरता नही रहा उतर, इसी तरह के कारण बलौदाबाजार हिंसा के आरोंप में जेल में बंद भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव के लिए गिनाए गए ,यह भी कहा गया की उनके हार्निया का आपरेशन होना है, प्रशासन जेल और पुलिस उन्हें बल प्रदान नही कर रहा।  शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा ,उनका ईलाज नही करवा रहा, मुख्यमंत्री रहते जनदर्शन से उन्होंने बहुत कुछ सिखा ,पूर्व मुख्यमंत्री होकर जेल दर्शन कर रहे, बहुत कुछ सिख रहे, यदि उनके  बयानों में सत्यता है ,तों सत्ता के सम्मोहन मंत्र में कितनी ताकत है की उसके आगे पूरा सरकारी तंत्र नतमस्तक है। 

पूर्व मुखिया सालों से राजनीति में है, पक्ष विपक्ष, सरकार ,पार्टी सबका अनुभव है,मंत्री और मुख्यमंत्री रहे, दो प्रदेश के सरकारों में कर्ता धर्ता रहे सुदीर्घ अनुभव है ,इस अनुभव का निचौड़ ये है की पुलिस प्रशासन उनके कार्यकर्ताओं ,नेताओं कों प्रताड़ित कर रहा है,ऐसा आरोंप उनका किसी पर व्यक्तिगत नही बल्कि पुरे प्रशासन पर है ,मतलब यह प्रताड़ना व्यक्तिगत नही संस्थागत है,एक साल में ही ऐसा क्या बदल गया ?  पुलिस में क्या आमुल चुल परिवर्तन आ गया ,की वों विपक्षी नेताओं कों प्रताड़ित करने लग गया ।  इतना आसान है क्या पुलिस का रवैय्या बदलना ?  क्या पुलिस के अपने कोई आदर्श नही होते?  सबूतों की कोई अहमियत नही होती या फिर पुलिस सत्ता के आगे घुटने टेकते आई है,और अभी भी टेक रही है,प्रदेश की पुलिस पर इतना बड़ा आरोंप वों भी पूर्व मुखिया का जिन आरोपियों की गिरफ्तारी पर न्यायालय ने मुहर लगा दी जों न्यायिक अभिरक्षा में है ,उनकी रक्षा के लिए आदर्श विहीन दोहरा राजनीतिक चरित्र या फिर आपने भी पुलिस कों सत्ता की हनक में ऐसा ही हांका था ? सत्ता गई, सनक नही गई ,इसी प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष अपनी टांग पुलिस की लाठी से रैली में तुड़वा बैठे थे ,राजनीतिक रैलियों में लाठी चार्ज भी हुए पुलिस के अधिकारी सुरमा बन सरकार की आँखों से काजल चुरा सरकार के माथे पर कालिख पोत गए,चंद अधिकारियों की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में हों सकती है, नजदीकियों में कारगुजारियां हुई होंगी पर पूरा पुलिसबल प्रताड़ना में लग जाए संभव नही।  

सूरमाओं की सूर गाथा भी आपके वक्त बड़ी -बड़ी थी, तल्लीन भक्ति में सरकार के तों थे ही ,देवों के देव महादेव की भक्ति में भी तल्लीन थे,आये थे ऋण पुस्तिका विहीन छत्तीसगढ़ में ,अब ऋण पुस्तिकाओं का अंबार लगा लिया, कृषि ,व्यवसायिक भूमि इन्ही की ,यही बिल्डर, यही सोनार, यही शिक्षाविद् हर व्यवसाय में पैसा इनका ,किसान बन शरमाते तों सैकड़ो एकड़ो के फार्म हाउसों के मालिक बन बैठे, सच कहिये घोटालों पे घोटाले हो रहे थे ,पुलिस पूरी तब आपकी सोई थी या फिर महादेव का प्रसाद पाकर महादेव की भक्ति में तल्लीन थी ? तब पुलिस के अधिकारी जेल में बंद हो रहे थे ,राष्ट्रद्रोह जैसा  गंभीर आरोप आपका फूस हों गया, न्याय से बर्खास्तगी वापस पदस्थापना में तब्दील हो गई ।  नजरिए का कितना अंतर है, कोई आपके आरोपों कों सही कैसे मान ले वैसे कांग्रेस की पुरानी परम्परा है विमान अपहरण कर्ता पाण्डेय बंधुओ कों जेल से निकाल केस वापस ले विधायक ,सांसद बनाया था , कल तक केजरीवाल की गलबहियां थी ,एक दुसरे के लिए ईमानदारी की कसमें थी, अब एक दुसरे पर राष्ट्रद्रोह भर्ष्टाचार का आरोंप लगा रहे, परम्परा वही छत्तीसगढ़ में भी निभा रहे,तोते में बसी जान का डर है, पुलिस की कार्यवाही से डरी, क्षीण होती राजनीतिक हैसियत की मज़बूरी है ,आरोंप पुलिस पर लगा कमतर उसकी शक्ति करने की कोशिश है ,क्या पुलिस पर आरोपों से न्याय मिलेगा? गुनाह छिप जायेंगे? क्या पूरा बल रंगा हुआ है,या रंगने कों तैयार रहता है ,या फिर पूरा आपने  रंग लिया था या फिर आपके आरोंप मिथ्या से रंगे है, जों करते आपकी सुरक्षा है,उनकी अस्मत तार -तार कर रहे ,प्रताड़ना के बेवजह के आरोंप मढ़ रहे सह्रदयता पुलिस बल की नामजदगी के बाद भी अभी भी कागजी कार्यवाही चल ही रही है,राजनीति के लिए पुलिस कों ना घसिटीये मनोबल घटता है घटे हुए मनोबल में फिर वों घोटालों से नजर फेरते है ,फिर वही  घोटाले किस्मत सरकार की फेरते है, इस्तकबाल की बुलंदी सरकार की तभी तक है, जब तक पुलिस असरकार है ------------- हे! पूर्व सरकार पुलिस कों असरकार बने रहने दीजिए 

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल

 

 

 






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