साध्वी ऋतंभर पद्म भूषण से सम्‍मानित, राम मंदिर आंदोलन के दौरान रहीं सबसे ज्यादा सक्रिय

साध्वी ऋतंभर पद्म भूषण से सम्‍मानित, राम मंदिर आंदोलन के दौरान रहीं सबसे ज्यादा सक्रिय

नई दिल्‍ली  :  राम मंदिर आंदोलन के दौरान सबसे ज्यादा सक्रिय रहने वाली महिला और बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी रह चुकीं साध्वी ऋतंभरा को पद्म भूषण  से सम्मानित किया गया है। उन्हें सामाजिक कार्य के लिए देश के प्रतिष्ठित पुरस्कार से नावाज गया है। बता दें कि साध्वी ऋतंभरा विश्व हिंदू परिषद की ऐसी कार्यकर्ता थीं जिनकी हुंकार को सुनकर पुरुष ही नहीं बड़ी संख्या में महिलाएं भी राम मंदिर आंदोलन में शामिल हो गईं और कारसेवा करने पहुंच गईं। उनका प्रभावी व्यक्तित्व और जोरदार भाषण आज भी चर्चा का विषय रहता है। राम मंदिर आंदोलन के समय उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा फायरब्रैंड महिलाएं थीं।

साध्वी ऋतंभरा ने राम मंदिर आंदोलन के वक्त हिंदुओं से भेदभाव भुलाकर एक साथ आने का आह्वान किया। साध्वी ऋतंभर का पहले नाम निशा किशोरी थी। वह पंजाब के मंडी दौराहा गांव की रहने वाली थीं। गरीब परिवार में उनका जन्म हुआ था। उन्होंने इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि दो किरायेदार लड़कों से दोस्ती के चलते उन्हें उनकी मां ने थप्पड़ मार दिया था। इसके बाद उनका मन घर में नहीं लगा। गुस्से की वजह से वह घर से निकल गईं।

साध्वी ऋतंभरा हरिद्वार चली गईं। वह स्वामी परमानंद के आश्रम पहुंचीं। यहीं उन्हें अध्यात्म का ज्ञान मिला। वह स्वामी परमानंद की शिष्या बन गईं। उनके साथ उन्होंने देश में भ्रमण किया और बोलने की कला भी सीख गईं। इसके बाद वह विश्व हिंदू परिषद से जुड़ गईं। वह बोलने में माहिर थीं इसलिए जल्दी ही उन्हें प्रवक्ता बना दिया गया। राम मंदिर आंदोलन के समय हाल यह था कि साध्वी ऋतंभर के जोशीले भाषणों के कैसेट्स बेचे जाते थे। उनके भाषण को गली और नुक्कड़ों पर सुनाया जाता था। मंदिरों पर उनके भाषण बजाए जाने लगे।

1991 में उनकी उम्र 25 के आसपास ही रही होगी। उनके भाषणों पर रोक लगा दिया गया था और दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया था। 6 दिसंबर को जब बाबरी विध्वंस हुआ तो बीजेपी और बजरंग दल के दिग्गज नेताओं के साथ साध्वी ऋतंभरा भी मौजूद थीं। कारसेवकों ने जब विवादित ढांचे पर हमला किया तो कई नेता उन्हें रोकने लगे लेकिन साध्वी ऋतंभरा उनमें से नहीं थी। उन्हें बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी बनाया गया था। 202 में उन्हें सीबीआई अदालत ने बरी कर दिया था।








You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments