बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहां एक ऐसा गांव है जहां पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण प्रक्रिया की गई। आरक्षण प्रक्रिया के साइकल को अपनाते हुए आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा किया गया है। इसके तहत इस गांव पंचायत में एससी वर्ग का सरपंच पद आरक्षित किया गया ह। जबकि इस गांव में एक भी व्यक्ति एससी वर्ग का नहीं है।
बताया जा रहा है कि गांव में SC वर्ग के लोग पिछले कई दशकों से नहीं रहते हैं। इसकी वजह बड़ी चौकाने वाली है। और अब एक भी SC वोटर न होने के बावजूद इस गांव में सरपंच पद SC वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। यह गांव बिलासपुर जिले की मस्तूरी विधानसभा का मानिकपुर गांव है। यह गांव अपने आप में कई रहस्य छिपाए हैं।
एससी वर्ग के नहीं रहने की यह वजह
यहां दशकों से कोई SC वर्ग का व्यक्ति नहीं रह पाया है। इसके पीछे की वजह स्थानीय देवी-देवताओं की नाराज़गी बताई जाती है। जब इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाली बातें निकलकर सामने आईं है। मानिकपुर गांव की ये रहस्यमयी कहानियां न केवल देवीय शक्तियों और अंधविश्वास का रहस्य बनी हुई है। बल्कि अब आने वाले पंचायत चुनाव में भी इसका असर देखने को मिलेगा।
एससी वोटर रहता है तो हो जाती है मौत
ग्रामीण कमला बाई मरकाम, राधा बाई श्रीवास समेत अन्य ग्रामीणों ने जानकारी दी कि गांव में SC वर्ग का कोई व्यक्ति नहीं रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां के स्थानीय देवी-देवता इस वर्ग से नाराज हैं। इसकी वजह से गांव में एससी वर्ग के रहने से उनके परिवार में किसी न किसी को मौत हो जाती है।
एक नामांकन नहीं हो पाएगा दाखिल
ग्राम पंचायत में एससी वर्ग के लोग निवास नहीं करते हैं। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि यहां से कौन दावेदारी करेगा। ऐसे में यहां की सीट खाली रह सकती है। गांव में एक भी एससी वर्ग से नहीं होने से यहां कोई भी नामांकन सरपंच पद के लिए दाखिल नहीं हो पाएगा। इससे यहां की सीट खाली रह सकती है।
…तो फिर छह महीने बाद मिलेगा दूसरा सरपंच?
ग्राम पंचायत में जब कोई भी व्यक्ति नामांकन सरपंच पद के लिए एससी वर्ग से दाखिल नहीं करेगा तो यहां का सरपंच का चुनाव रद्द हो जाएगा। हालांकि ग्राम पंचायत में पंचों के चुनाव होंगे। इन पंचों के माध्यम से उप सरपंच का चुनाव होगा। उप सरपंच को इन पंचों के द्वारा चुना जाएगा।
इसके बाद सरपंच पद का प्रभार उप सरपंच को दे दिया जाएगा। संविधान और निर्वाचन आयोग के अधिनियमों के अनुसार सीट खाली रहने पर छह माह बाद फिर से सरपंच पद के लिए चुनाव पंचायत में होंगे और आरक्षण प्रक्रिया में सीट परिवर्तित होगी। इसके बाद चुनाव होगा और नया सरपंच छह माह बाद चुना जाएगा। तब तक छह माह तक उप सरपंच के पास ही कार्यभार रहेगा।
नहीं बदल सकते रिजर्वेशन
बिलासपुर कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी अवनीश कुमार शरण ने कहा कि सरपंच पद के लिए आरक्षण की प्रक्रिया नियमों के अनुसार पूरी हो गई है। अब इसमें बदलाव नहीं हो सकता। ग्राम पंचायत में चुनाव होंगे। इसके बाद जब सीट खाली रहती है तो अगले छह माह के बाद संविधान के नियमों के अनुसार फिर से प्रदेश में जहां सीट खाली होगी, वहां चुनाव होंगे। उस वक्त इस पंचायत में यदि कोई भी सरपंच के लिए उम्मीदवार सामने नहीं आता है तो सीट खाली रहने पर छह माह बाद चुनाव होंगे। उस समय आरक्षण प्रक्रिया होगी।
ग्रामीणों ने ज्ञापन देकर पुनर्विचार करने की मांग
अंधविश्वास के इस डरावने खेल की वजह से मानिकपुर गांव में नई चुनौती खड़ी हो गई है। ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर आरक्षण पर पुनर्विचार की मांग की है। ऐसे में चुनाव दरवाजे पर है। ऐसे में प्रशासन कोई कदम नहीं उठा सकता है।
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