सेंट्रल जेल रायपुर में फिर आत्महत्या का प्रयास 

सेंट्रल जेल रायपुर में फिर आत्महत्या का प्रयास 

रायपुर :  दो दिन पूर्व विचाराधीन बंदी पेट्रिक यूबीके बाओको जों नाइजीरियन मुल्क का था ने केन्द्रीय कारागार रायपुर में फासी लगा कर आत्महत्या कर ली थी, डयूटी पे तैनात प्रहरी का निलंबन आदेश जारी हुआ ,घटना की स्याही सुखी नही थी की आज कैदी नारायण उर्फ़ नारद देवांगन पिता कोमल देवांगन निवासी केवंट पारा तिल्दा ,थाना तिल्दा जों अपनी सजा सेंट्रल जेल रायपुर में काट रहा था ,ने अपने गले में ब्लेड मारकर आत्महत्या का प्रयास किया ,जिसे उपचार के लिए जिला चिकित्सालय भेजा गया है,समाचार लिखने तक उसकी स्थिति ,स्थिर थी नारायण के साथ जेल परिसर में मारपीट की गई जिसकी शिकायत उसने लिखित में जेल के सक्षम अधिकारियों के पास की है।

जेल में आये दिन इस तरह घटनाएँ होते रहती है, कभी धारदार नुकीली चीजों से प्राणघातक हमले होते है,कभी गैंगवार होता है,नशे की बेरोक -टोक आपूर्ति जेल में होती है ,चक्कर अधिकारियों एवं प्रहरियों के संज्ञान में इन घटनाओं कों अंजाम दिया जाता है। बैरक में रहने खाने -पीने सबका मासिक शुल्क तय है,सामर्थ्यवान कैदी एवम बंदी सशुल्क इन सुविधाओं का उपभोग करते है,जों सामर्थ्यवान नही है उनके मानव अधिकार का रोज हनन होता है,ऐसी कई घटनाएँ जेल के उच्च अधिकारियों के संज्ञान में है पर कार्यवाही सिफर है, चक्कर अधिकारी अपने -अपने चक्कर में ऐसा -ऐसा चक्कर चलाकर रखे है की कैदियों ,बंदियों का उन चक्करों से निकल पाना असंभव है। अवैध उगाही जब अधिकारी ही कर रहे है तों ऐसे में सुधारात्मक सेवाओं की अपेक्षा जेल प्रशासन से करना बेमानी है. न चक्कर में वसूली का चक्कर ख़त्म होंगा. न चक्कर में गैगवार वर्चस्व की लड़ाई और प्रताड़ना बंद होंगी,इस मामलें में कों भी रफा दफा करने दबाव बनाया जा रहा है .कैदी नारायण के साथ न्याय होंगा या नही जिम्मेदार चक्कर अधिकारियों पर कार्यवाही होनी चाहिए .कैदियों के मानवाधिकारों का हनन चिंताजनक है।






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