ईडी की रिपोर्ट में एमयूडीए घोटाले में बड़ा खुलासा,सिद्दरमैया की पत्नी को अवैध रूप से आवंटित किए गए थे 14 भूखंड

ईडी की रिपोर्ट में एमयूडीए घोटाले में बड़ा खुलासा,सिद्दरमैया की पत्नी को अवैध रूप से आवंटित किए गए थे 14 भूखंड

बेंगलुरु :  कर्नाटक में मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन घोटाले की ईडी की जांच में सामने आया है कि मुख्यमंत्री सिद्दरमैया की पत्नी पार्वती को मैसुरु में 14 भूखंड अवैध रूप से आवंटित किए गए थे और मनी लांड्रिंग का प्रयास किया गया था। ईडी द्वारा जारी अंतिम कुर्की आदेश में विस्तृत जानकारी दी गई है।

सिद्दरमैया का कोई बयान सामने नहीं आया
ईडी के आरोपों पर मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और उनके परिवार की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। एमयूडीए मामले में याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने 104 पन्नों के अंतिम कुर्की आदेश की प्रति साथ साझा की है।

इस आदेश के अनुसार, अवैध आवंटन प्रभाव में आकर किया गया था। हालांकि, यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है कि किसके प्रभाव में किया गया। ईडी ने दावा किया है कि पार्वती ने मनी लांड्रिंग निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच शुरू होने के बाद इन 14 भूखंडों को वापस कर दिया।

भूखंडों का अवैध आवंटन कोई एक घटना नहीं

भूखंडों का अवैध आवंटन कोई एक घटना नहीं है। एमयूडीए अधिकारियों, कर्मचारियों और रियल एस्टेट कारोबारियों के बीच गहरी सांठगांठ है। एमयूडीए अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा नकदी, अचल संपत्तियों, वाहनों आदि के बदले में बड़ी संख्या में अवैध आवंटन किए गए।

पार्वती ने भूखंडों को एमयूडीए को वापस कर दिया
ईडी ने आरोप लगाया है कि पार्वती ने भूखंडों को एमयूडीए को वापस कर दिया है, लेकिन जांच से यह स्पष्ट है कि मामले के आरोपितों द्वारा मनी लांड्रिंग का प्रयास किया गया था। आरोपितों में सिद्दरमैया, उनकी पत्नी पार्वती, उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी, जमीन के मालिक जे. देवराजू और एमयूडीए के अधिकारी, रियल एस्टेट कारोबारी और प्रभावशाली व्यक्ति शामिल हैं। जांच से पता चला है कि लगभग 1,095 एमयूडीए भूखंडों को अवैध रूप से आवंटित किया गया।

ये है पूरा मामला
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA), कर्नाटक की राज्य स्तरीय विकास एजेंसी है। इस एजेंसी का काम लोगों को किफायती कीमत पर आवास उपलब्ध कराना है। मुडा शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी।

50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50 प्रतिशत के हकदार होते थे। यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी। हालांकि, 2020 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था।

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती का नाम भी इसमें शामिल
आरोप है कि योजना के बंद होने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया। सीएम सिद्धरमैया की पत्नी की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि मुडा द्वारा अधिग्रहित की गई।

इसके बदले में एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। मैसूर के बाहरी इलाके के सारे में यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में उपहार स्वरूप दी थी।






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