एक किसान ऐसा भी ..सूखे और गर्म क्षेत्र में की स्ट्रॉबेरी की खेती,कमाए लाखों

एक किसान ऐसा भी ..सूखे और गर्म क्षेत्र में की स्ट्रॉबेरी की खेती,कमाए लाखों

महाराष्ट्र  : महाराष्ट्र के सतारा जिले में राजाके कुर्ला गांव में एक किसान का बहुत नाम हो रहा है. इस युवा किसान का नाम सागर रघुनाथ माने है. किसान रघुनाथ माने गर्म मौसम में अपने खेत में स्ट्रॉबेरी की अच्छी पैदावार ले रहे हैं. इस युवा किसान ने खेत में लगातार नए-नए प्रयोग कर खेती को लाभदायक बनाया है. रघुनाथ माने जिस इलाके में स्ट्रॉबेरी उगा रहे हैं, वह क्षेत्र ठंडा जरूर है, लेकिन सूखा है. सूखे क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती बड़ी बात मानी जाती है. लेकिन इस युवा किसान ने अपने प्रयोग से स्ट्रॉबेरी की खेती को सफल बनाया है.

पिछले साल सितंबर-अक्टूबर के महीने में उन्होंने आधा एकड़ ज़मीन पर प्रयोगात्मक आधार पर स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए थे. प्रयोग के सफल होने के बाद इस साल स्ट्रॉबेरी के पौधों डेढ़ एकड़ ज़मीन पर लगाए गए हैं. रोपाई के बाद पानी, उर्वरक का सही इस्तमाल और साथ में समय पर कीटों और कीड़ों के निवारक उपाय करने से लाल स्ट्रॉबेरी की खेती अच्छी फल-फूल रही है. स्ट्रॉबेरी का उत्पादन नब्बे दिनों के बाद शुरू हुआ है. पुणे, वाशी, सांगली, कोल्हापुर, वीटा, सतारा और कराड में स्ट्रॉबेरी की अच्छी मांग के कारण महीने में डेढ़ से दो लाख रुपये की आमदनी मिल रही है.

सूखे क्षेत्र में उगाई स्ट्रॉबेरी

सूखाग्रस्त खटाव तहसील में किसानों को पानी कमी बहुत परेशान करती है. कभी-कभी बारिश भी होती है लेकिन बहुत कम. ऐसे में किसी तरह की खेती जल्दी सफल नहीं होती. कभी बारिश होती भी है तो इतनी अधिक होती है कि फसलें खराब हो जाती हैं. यहां के किसानों की शिकायत है कि जब बारिश की जरूरत होती है तब बारिश नहीं होती. इन विपरीत हालात में यहां के किसानों को खेती करनी पड़ती है. ऐसी कई समस्याओं का सामना किसानों के पल्ले पड़ता है. ऐसी स्थिति में कोई गारंटी नहीं है कि फसल की लागत वसूल हो जाएगी. ऐसे खराब हालात में भी युवा किसान रघुनाथ माने ने सूखे क्षेत्रों में जमीन पर स्ट्रॉबेरी की फसल लेकर कम समय में अधिक पैसा कमाने की तरकीब हासिल की है. उनकी चर्चा चारों ओर है.

60 गुंठे में की खेती

किसान रघुनाथ माने ने आईटीआई (सर्वेयर) की शिक्षा ली है. इस युवा किसान ने उष्ण जलवायु वाले सूखे क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती का सफल प्रयोग किया. शुरू में किसान सागर रघुनाथ माने के सामने ठंडी जलवायु में उगने वाली स्ट्रॉबेरी को उष्ण जलवायु में उगाने की चुनौती थी. वे कहते हैं कि यह एक बड़ा चुनौती थी. इसके लिए उन्होंने विशेषज्ञ किसान और कृषि विशेषज्ञों से चर्चा कर मार्गदर्शन लिया. इस पर अध्ययन करके पिछले वर्षों में सितंबर और अक्टूबर महीने में 20 गुंठे क्षेत्र में प्रयोगात्मक रूप से स्ट्रॉबेरी पौधों की खेती की. प्रयोग सफल होने के बाद इस साल 60 गुंठे क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी पौधों की खेती की गई.

8 लोगों को दिया रोजगार

स्ट्रॉबेरी को महाबलेश्वर, पांचगणी जैसे ठंडे मौसम वाले स्थानों पर उगाया जाता है. लेकिन माने ने उष्णकटिबंधीय जलवायु वाले सूखे खटाव तालुका में भी स्ट्रॉबेरी की फसल लेकर अपना प्रयोग सिद्ध किया है. स्ट्रॉबेरी का उत्पादन 90 दिनों के बाद शुरू हुआ और सागर माने को उम्मीद है कि यह अंत तक अच्छी तरह मिलेगा. वर्तमान में सांगली, कोल्हापूर, विटा, कन्हाड में 300 से 350 रुपये किलो की दर पर बिक रही है. इस समय स्ट्रॉबेरी की मांग है, और हर दो दिन में स्ट्रॉबेरी की कटाई की जाती है. पैकिंग भी खेत में ही की जाती है. इसलिए इस काम के लिए कम से कम आठ लोगों को रोजगार मिला है और हर दो दिन में 15 से 20 हजार रुपये के हिसाब से महीने में दो लाख पचास से तीन लाख का व्यापार हो रहा है.

क्या कहते हैं रघुनाथ माने

किसान रघुनाथ माने कहते हैं, "सूखा क्षेत्र होने के बावजूद, हमने जिद, मेहनत, समय का उचित प्रबंधन और प्रयोगधर्मिता के आधार पर नवाचारी प्रयोग करने का निर्णय लिया. स्ट्रॉबेरी के पौधों की सितंबर में रोपाई की गई. पिछले डेढ़ महीने से उत्पाद शुरू हो चुका है. वैज्ञानिक खेती करने पर सभी का लाभ होगा.






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