आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए कई युवा किसान बेहतरीन सब्जियां उगा रहे हैं. इनमें से एक हैं सांगली के आष्टा के नितिन वाडेकर, जिन्होंने 25 गुंठे खेत में मल्चिंग पेपर पर ककड़ी की खेती की. इससे उन्होंने 3 महीने में 3 लाख रुपये का मुनाफा कमाया. आइए जानते हैं उन्होंने ककड़ी का प्रबंधन कैसे किया.
नितिन वाडेकर ने 25 गुंठे खेत में मल्चिंग पेपर बिछाकर टमाटर की खेती की थी. पहले खेत की जुताई की, फिर रोटर चलाकर साढ़े पांच फुट की दूरी पर बेड तैयार किए. टमाटर की फसल के बाद मल्चिंग पेपर बदलकर नाज़िया किस्म की ककड़ी के बीज बोए.
ककड़ी के बीज तीन पत्तियों पर आने के बाद पहली सिंचाई की. इसके बाद ड्रिप सिस्टम से एक दिन छोड़कर चार बार सिंचाई की. आगे ड्रिप सिस्टम से विशेषज्ञों की सलाह पर खाद दी.
बीज बोने के 42वें दिन ककड़ी की पहली तुड़ाई हुई. तीन महीने में ककड़ी की 25 से अधिक तुड़ाई हुई. इससे 18 टन से अधिक ककड़ी का उत्पादन हुआ. ककड़ी मुंबई मार्केट में भेजी गई और इस साल ककड़ी को रिकॉर्ड कीमत मिली.
बढ़ती ठंड के कारण बाजार में ककड़ी की आवक कम हो गई थी. इस वजह से ककड़ी का औसत भाव 40 रुपये प्रति किलो मिला. उम्मीद से अधिक कीमत मिलने के कारण नितिन को ककड़ी की फसल से 3 महीने में साढ़े तीन लाख रुपये की आय हुई. खर्च निकालने के बाद 3 महीने में 3 लाख रुपये का मुनाफा हुआ.
नितिन ने बताया कि सही प्रबंधन से 25 गुंठे में 18 टन से अधिक ककड़ी का उत्पादन हुआ. साथ ही पूर्व की जुताई का खर्च बचने से फसल लगाने से पहले ही पंद्रह-बीस हजार रुपये की बचत हुई. भरपूर उत्पादन और अच्छे बाजार भाव के कारण ककड़ी से संतोषजनक मुनाफा हुआ.
निजी नौकरी छोड़कर नितिन ने खेती की ओर रुख किया है. उनके पास सात एकड़ खेत है और वे प्रयोगात्मक खेती करते हैं. टमाटर की फसल वाले खेत में मल्चिंग पेपर और जुताई के खर्च की बचत करते हुए उन्होंने इस साल ककड़ी की फसल का प्रयोग किया.
बताया कि कृषि विशेषज्ञों की मदद से खेती का प्रबंधन करते हुए ककड़ी की फसल से 3 महीने में 3 लाख रुपये का मुनाफा कमाया. सही योजना और सख्त प्रबंधन से खेती नौकरी से ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है.
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