मुखिया के मुखारी – राहुल ,अखिलेश ,पवार....की राह पर केजरी 

मुखिया के मुखारी – राहुल ,अखिलेश ,पवार....की राह पर केजरी 

आभाव में व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रहती है,भाव ऐसा नही बन पता की आप फिजूलखर्ची करे, आभाव से  निकलने का भाव खुद को बनाना होता है, ताकत इक्कठी करनी होती है, पर चंहुओर विपक्षी दलों का सत्ता आभाव का रुदन मचा हुआ है,इस कड़ी में नया नाम केजरीवाल का जुड़ने वाला है, लाडले तों वों आज भी मिडिया के है ,झूठ बोलने की महारथ कह दिया यमुना में हरियाणा सरकार जहर मिला रही है,इसके बाद भी पुरे मनोयोग से बुद्धजीवियों ने केजरी  से लाड़ लड़ाया, झूठो की नीव पर खड़ा शीशमहल भरभराकर गिरा ,संभावना है की मुफ्त की योजनाएं भी केजरी सरकार ना बचा पाए , क्योकि भाषा सबकी एक सबके मुफ्त के दावे देश का केंद्र दिल्ली,दिल्ली की राजनीति के केंद्र में मुफ्त की योजनाएं मुख्यमंत्री बता रहे 30हजार बचाने का हिसाब दे रहे। ये पैसा किसका है,जिसे आप मुफ्त का बता रहे,अपने घर से लाये या फिर अपने पार्टी फंड से निकाले, प्रवृति मुफ्त वाली यदि राजधानी में पनप रही तों दुरस्थ ग्रामीण अंचलो में राजनीतिक व्यवस्था कितनी भयावह होगी,11 साल की सत्ता में गिनाने लायक ग्यारह उपलब्धियां नही है, शराब में लोग डूबते सुना था यंहा तों कट्टर ईमानदार की छवि डूब गई, झूट -पे झूट ,मुख्य सचिव, अपनी ही महिला सांसद से अपने ही घर में मार पीट, अराजकता बिना सबूत के आरोपों की झड़ी लगाकर भी आप दिल्ली का दिल नही जीत पाए,राजनीति बदलने आये थे खुद राजनीति में बदल गए।

इंडी गठबंधन  की नियत आधे राज दिल्ली की सत्ता के लिए डोल गई रिश्तो के चूले हिल गई, दोस्त -दोस्त ना रहा पर कौन किसका दोस्त रहा कौन नही रहा ये समझ पाना बीज गणित से भी ज्यादा कठिन हो गया ,सपा आप कांग्रेस बाकि गठबंधन के दल कौन किसके साथ है ये अहसास उनकों भी नही होगा, सत्ता की आस में बेबस है, बौद्धिकता से परे ,उद्देश्य विहीन ,स्वहित की राजनीति जनमत कैसे दिलावायेगी ? अपनी सरकारों का मूल्याकंन तों कभी किया नही, जनता ने भी मूल्यहीन समझ लिया, रुखसती की आपकी बेला तय हो गई ,गठबंधन में अंतर्विरोधों,झगड़ें द्वेष सब अब सतह पर है, सबको खुली आँखों से दिख रहे है, बिहार चुनाव में ये और भीषणतम होंगा कईयों की राजनीतिक शक्तियां टूटेंगी, तोड़ी जाएँगी, बाहे मरोड़ी जायेगी फिर भी कहेंगे इंडी गठबंधन में सब ठीक है , इनसे गठबंधन नही संभल रहा ये क्या राज्य ,देश संभालेंगे ये खुद चल नही पा रहे क्या सरकार चलाएंगे ? खुद पत्नी बेटा ,बेटियां,रिश्तेदारों और अपनों की गरीबी दूर हो जाए बाकि देश के लिए गरीबी मिटाओ का नारा लगाना है,कश्मीर से कन्याकुमारी तक पारिवारिक सत्ता हस्तांतरण करने वाली इंडी दले सिर्फ -और सिर्फ अपने विकास की राजनीति करती है,बिना सत्ता के छटपटा रही ,आकुलता और व्याकुलता में अपने ही भाल पर हार का टीका लगवा रही, सत्ता एक दुसरे से छिन गलबईहाँ कब तक डाल पाएंगे ,सत्ता के लिए फिर छिना झपटी का नया भीषणतम इतिहास लिखेंगे।

हाल बुरा यूपी में भी है, सात सीटे उपचुनाव मे हारे अब मिल्कीपुर की बारी है ,उपचुनाव में बलात्कार जैसा जघन्य अपराध घड़ियाली आंसू बहाने का मौका और चुनाव न हो तों बलात्कार जैसी जघन्य अपराध के लिए आई डोंट नो कहना ,डी एन ए टेस्ट की मांग करना, बताता है की आप दोहरे चरित्र के स्वामी है, नियत आपकी राजा वाली नही रंको से भी गई बीती है,रंगे सियारों को डर लगता है पानी से और जब जल पवित्र गंगा का हो तो सियारों को दोहरा डर है ,रंग का भी कुकर्मो के दागों का भी ,महाकुंभ पर सवाल दाग रहे ,छद्म बौद्धिकता आपकी छद्म धर्म निरपेक्षता जैसी ही है ,कलई खुलनी ही है ,सफ़ेद झक खादी में दाग छिप सकते है धुल नही सकते,इसलिए दाग छिपाना है कुंभ नही नहाना है ,बुजुर्ग कैसे हो आदरणीय जब एक प्रधानमंत्री के बेटे को संसद में धमकाते है और दुसरे प्रधानमंत्री के बेटे से खुद धमक जाते है ,देश देख रहा कैसे चाटुकारों को नेतृत्व सौपे ?  जिनका अपने परिवार से वास्ता ,जिनके लिए जन कल्याण से बड़ा स्व कल्याण हो ,वों कैसे जनता की पसंद हो, आभाव में रुदाली बुला रुला रहे, अपने लिए अपने आँखों से अश्रु नही बहा पा रहे ,कितने कर्महीन है आप सत्ता के लिए विवेकहीन बने जा रहे ,विरासत अपनी अपने आकाओं की महिमामंडित करने में कोई कोर -कसर नही छोड़ेंगे पर बात हो देश के विरासत की तों उसका मान मर्दन करने में कोई कोर -कसर नही छोड़ेंगे, उद्देश्यहिन श्रम से सफलता नही मिलती जों खो दे अपनी पहचान उन्हें सत्ता नही मिलती ,ठगी की राजनीति कितनी चलती दरबारियों के मतों कों जनमत नही कहते ,जनमत छोड़ दरबारी मतों के पीछे भागे, हश्र सबका एक, जन से दुरी सत्ता की कसक ------------राहुल ,अखिलेश ,पवार....की राह पर केजरी

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल






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