आप के गढ़ में कांग्रेस पार्टी के साथ एआइएमआइएम कर सकती है कमाल? इन मुस्लिम बहुल सीटों पर बदलाव की उम्मीद

आप के गढ़ में कांग्रेस पार्टी के साथ एआइएमआइएम कर सकती है कमाल? इन मुस्लिम बहुल सीटों पर बदलाव की उम्मीद

नई दिल्ली :  दिल्ली में मुस्लिम बहुल सीटों पर उत्साह के साथ विकास व बदलाव के लिए मतदान हुआ। मतदाताओं में मुस्लिम क्षेत्रों में गंदे पानी की आपूर्ति, टूटी सड़कें, शिक्षा की बदहाल स्थिति, महंगाई और वायु प्रदूषण के साथ ही निशुल्क बिजली, पानी व बसों में महिलाओं की निशुल्क यात्रा तथा राजनीतिक दलों द्वारा महिलाओं के लिए निश्चित धन देने का मुद्दा छाया रहा।

जबकि, राजनीतिक पसंद के रूप में आप के साथ ही कांग्रेस पार्टी व एआईएमआईएम ने जगह बनाई है। मुस्लिम मतों के बंटवारे की इस स्थिति में उन सीटों पर भाजपा भी अपनी जीत की संभावनाएं टटोलती दिख रही है।

दिल्ली के मतदाताओं में 18 प्रतिशत की भागीदारी के साथ सरकार को बनाने-गिराने में मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका अहम है। राष्ट्रीय राजधानी में 70 में से आठ मुस्लिम बहुल सीटें हैं। जिसपर पिछले चुनाव में आप ने जीत दर्ज की थी।

इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम बहुल सीटों पर ज्यादा जोर दिया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी व कांग्रेस पार्टी की सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने रैलियां व रोड शो किए हैं तो ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी दो सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारकर चुनाव को दिलचस्प बनाया है।

वैसे, दोपहर तक मुस्लिम बहुल मध्य दिल्ली की चार सीटों पर मतदान धीमा रहा। उसके बाद रफ्तार पकड़ी, तो देर शाम तक केंद्रों पर कतारें लगी रही। कुछ मुस्लिम इलाकों में बकायदा मतदान के लिए मस्जिदों से एलान किया गया, जिसके बाद मतदान केंद्रों में भीड़ बढ़ी।

तब भी उत्तर-पूर्वी के मुस्लिम बहुल सीटों के मुकाबले मध्य दिल्ली की सीटों बल्लीमारान, मटिया महल, चांदनी चौक व सदर बाजार तथा दक्षिण-पूर्व के ओखला सीट पर अपेक्षाकृत कम मतदान हुआ। राजनीतिक जानकार इसके पीछे सत्ता विरोधी रूझान को वजह बता रहे हैं। लोग सत्तापक्ष से तो नाराज हैं, लेकिन दूसरे दलों के पाले में जाने को लेकर भी उदासीन दिखे।

जबकि, उत्तर पूर्वी दिल्ली में सीलमपुर और मुस्तफाबाद व शाहदरा जिले के बाबरपुर में सुबह से ही मतदान केंद्रों के बाहर तक कतारें लग गई थी। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, इसकी उत्तर-पूर्वी व बाबरपुर क्षेत्र में वर्ष 2020 के दंगे के असर के रूप में मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण हुआ।

मुस्तफाबाद से तो एआईएमआईएम ने दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को चुनावी मैदान में उतारा है, जिसके प्रति मुस्लिम मतदाताओं में सहानुभूति देखी गई। फिर भी मुस्लिम सीटों पर मतदाताओं का उत्साह काफी रहा।

कई बुजुर्ग व्हीलचेयर से मतदान करने पहुंचे तो मटिया महल में एक बीमार बुजुर्ग महिला मतदान के लिए सीधे एंबुलेंस से मतदान स्थल पहुंचीं और मत दिया। वोटों को घरों से बाहर निकालकर मतदान केंद्रों तक लाने में पार्टी कार्यकर्ता खासे सक्रिय दिखे। मुस्तफाबाद व ओखला में मुस्लिम मतदाताओं में आप व कांग्रेस के साथ ही AIMIM के प्रति भी उत्साह देखा गया।

जबकि, चांदनी चौक, मटिया महल, ओखला, मुस्तफाबाद तथा सदर बाजार के काफी मुस्लिम मतदाताओं में बदलाव का रुख दिखा तो बल्लीमारान में मौजूदा विकास की योजनाओं को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है।

मैंने, विकास को लेकर मतदान किया है। आने वाली सरकार अच्छी सुविधाएं दे। घरों में गंदे पानी की जगह साफ पानी आए। टूटी सड़कें ठीक हो।






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