गुलाबी मशरूम की खेती से किसान कमा रहे लाखों,कीमत और फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

गुलाबी मशरूम की खेती से किसान कमा रहे लाखों,कीमत और फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

भारत में अब मशरूम की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. पहले ये शहरी लोगों तक सीमित था, लेकिन अब ये मशरूम गांवों तक भी पहुंच गया है. देश केअलग अलग राज्यों के किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. दरअसल मशरूम प्रोटीन से भरपूर होता है, जिसकी डिमांड शहरों से लेकर ग्रामीण अंचल तक होती है. लेकिन सफेद की जगह गुलाबी मशरूम की खेती से किसानों की कमाई कई गुना बढ़ सकती हैं. ऐसा हम इसलिए बता रहे हैं कि एक किलो गुलाबी मशरूम की कीमत 2500-3000 रुपये के करीब है. गाजीपुर के कृषि विज्ञान केंद्र में पादप रोग वैज्ञानिक ओंकार सिंह गुलाबी मशरूम की खेती करने के लिए किसानों को जागरूक कर रहे हैं. 

‘गुलाबी मशरूम’ कैंसर से भी लड़ने में सक्षम

गाजीपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के पौध सुरक्षा वैज्ञानिक ओंकार सिंह ने बताया कि गुलाबी मशरूम की खेती उत्तर प्रदेश में किसान बहुत कम करते है. क्योंकि किसानों को इसके फायदे और दाम की जानकारी कम है. उन्होंने बताया कि गुलाबी मशरूम की खासियत यह है कि यह कैंसर जैसे असाध्य रोगों से लड़ने में काफी सक्षम होता है. साथ ही यह बैड कोलेस्ट्रॉल की समस्या को भी शरीर से दूर करने में मदद करता है. गुलाबी ऑयस्टर मशरूम में बहुत अधिक पोषक तत्व होते हैं.

स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी

इसमें विभिन्न प्रकार के प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज आदि होते हैं, जो प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने, सूजन से लड़ने और हृदय रोगों को रोकने में मदद करते हैं. यानी कि गुलाबी रंग का मशरूम देखने में जितना खूबसूरत होता है, उतना ही यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभकारी होता है. 

सहारनपुर में कुछ किसान कर रहे हैं गुलाबी मशरूम की खेती

ओंकार सिंह बताते हैं कि कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए दवा बनाने में गुलाबी मशरूम के पाउडर का इस्तेमाल होता है. क्योंकि यह बैड कोलेस्ट्रॉल की समस्या को भी शरीर से दूर करता है. उन्होंने बताया कि अगर उत्तर प्रदेश के किसान इस मशरूम की खेती करें तो एक क्रांति आ सकती है. दवा बनाने वाली कंपनियों से करार करके मोटा मुनाफा कमाया जा सकती है. वहीं एफपीओ के जरिए किसान गुलाबी मशरूम की खेती को बढ़ावा दे सकते हैं. कृषि वैज्ञानिक ओंकार ने आगे बताया कि गुलाबी मशरूम की खेती सहारनपुर में कुछ किसान कर रहे हैं. जबकि हिमाचल प्रदेश में इस मशरूम की खेती सबसे ज्यादा होती है. वहीं यूपी में सफेद बटन मशरूम की फार्मिंग किसान ज्यादा करते है. 

गुलाबी मशरूम के पाउडर की कीमत 3 हजार रुपये प्रति किलो

उन्होंने कहा कि सफेद बटर मशरूम  का ज्यादा दाम किसानों को नहीं मिल पाता, ऐसे में अगर प्रदेश का किसान गुलाबी मशरूम की खेती करें तो उसकी आय में कई गुना बढ़ जाएगी. वहीं मार्केट में डिमांड भी तेजी से बढ़ेगी. अमूमन सफेद  मशरूम  200 रुपये किलो के रेट से बिकता है. वहीं अगर गुलाबी मशरूम को सूखा दिया जाए तो इसकी कीमत 1200-1500 रुपये प्रति किलो हो जाएगी. ओंकार सिंह ने बताया कि इसके पाउडर की कीमत 2500-3000 रुपये प्रति किलो के रेट से बिक जाएगी. देश की तमाम दवा बनाने वाली कंपनिया इसके पाउडर को फौरन खरीद लेती हैं. क्योंकि इसमें कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं.

थोड़ी सी जगह, कम लागत और तगड़ा मुनाफा

वैज्ञानिक ओंकार सिंह बताते हैं कि बाकी मशरूम ताजा खाना पड़ता है, लेकिन गुलाबी मशरूम सूखने के बाद भी पानी में उबालकर ताजे जैसा ही बन जाता है. ओमकार सिंह के अनुसार, गुलाबी मशरूम की खेती का मतलब है थोड़ी सी जगह, कम लागत और तगड़ा मुनाफा.

कैसे करें गुलाबी मशरूम की खेती 

कृषि वैज्ञानिक ओंकार सिंह ने बताया कि इसे घर में भी उगाया जा सकता है. इसे उगाने के लिए पहले धान का पुआल, गेहूं का भूसा या कपास की टहनियां पानी में 15-20 घंटे भिगो दें, फिर अतिरिक्त पानी निकालकर इसे प्लास्टिक बैग या गत्ते के डब्बों में भरें. इसमें पांच ग्राम तक मशरूम के बीज डालें. फिर इसे ऐसे कमरे में रख दें जहां धूप न आती हो. कुछ ही दिनों में सफेद कवक उभरने लगेगा और धीरे-धीरे गुलाबी रंग के मशरूम उग आएंगे. बस सही आर्द्रता (70-80%) और तापमान (22-30°C) बनाए रखना होता है.

पुरातन काल से हो रही मशरूम की खेती

बता दें कि मशरूम पुरातन काल से ही भोजन के साथ ही औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. इसमें कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. मशरूम जितना खाने में फायदेमंद होता है, उतनी ही इसकी खेती में फायदेमंद होती है. कम लागत के साथ किसान मशरूम की खेती से अधिक मुनाफा कमा लेते हैं.






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