दुर्ग SDO और पटवारी के काले कारनामें

दुर्ग SDO और पटवारी के काले कारनामें

दुर्ग :  जिले के राजस्व विभाग में सरकारी रिकार्ड में छेड़छाड़ करने वाले पटवारी पर राजस्व विभाग इतना मेहरबान क्यों है? तत्कालिन एसडीएम मुकेश रावटे के संज्ञान में आने के बाद जांच का आदेश दिया गया लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कार्रवाई सिफर है. इसका ज्वलंत उदाहरण दुर्ग जिले में देखा जा सकता है. पटवारी सूर्यकांत निषाद द्वारा शासकीय भुइयां एप में अवैधानिक छेड़छाड़ करने के आरोप में उसे स्थानांतरित कर दिया गया था और उसके खिलाफ तत्कालीन एसडीएम द्वारा जांच का आदेश जारी किया गया था, लेकिन आजतक जांच कार्रवाई नहीं हो सकी. पटवारी अपने काले कमाई की सम्पत्ति को छुपाने के लिए अपने सम्पत्ति को अपने और अपने असिस्टेट के नाम रजिस्ट्री किया, लेकिन यह भूमि अवैध प्लांटिग का हिस्सा है. चर्चा है कि तत्कालीन एसडीएम ने जांच के आदेश जरूर दिये थे लेकिन जांच कार्रवाई न हो इसके लिए उनकी भूमिका भी संदिग्ध रही है. न्यायालय तहसीलदार में मामला क्रमांक 202305100400311 में A और B को प्रस्तुत कर सुधार किया गया था.

तत्कालिन अनुविभागीय अधिकारी मुकेश रावटे

अनुविभागीय अधिकारी ने खसरा क्रमांक 363/36 को A और B को सुधार करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग नवा रायपुर अटल नगर को 19.07.2024 सूचना दिया गया था. धारा 215 के तहत अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा सुधार किया गया. लेकिन खसरा नंबर 363/45 को न्यायालय में प्रस्तुत किए बिना ही इसे अनुविभागीय अधिकारी ने अपने आईडी से सुधार कर दिया गया. अब सवाल उठता है कि दूसरा मामला को तहसीलदार न्यायालय में क्यों नहीं लाया गया? शासन की दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने वाले पर कार्रवाई न कर इसे शासन द्वारा सुधारा जा रहा है. इस मामले में अहम भूमिका अनुविभागीय अधिकारी का बताया जाता है.

भ्रष्ट पटवारी का स्थानांतरण सिर्फ खानापूर्ति

पटवारी सूर्यकातं निषाद का स्थानांतरण विवादो में ही रहा है. इसके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के अनेक शिकायतों के बावजूद कार्रवाई करना तो दूर मात्र स्थानांतरण करके राजस्व विभाग के अफसरों ने अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर लिया है. जबकि गंभीर शिकायत और हेराफेरी की जांच करने के बाद दोषी पाये जाने पर दंडात्मक कार्रवाई किया जाना था लेकिन उसे बचाने की मंशा से संबधित अफसरों ने उनका मात्र तबादला करना उचित ही समझा. इससे यह साबित हो रहा है कि भ्रष्टाचारी को पनाह देने में उच्चधिकारियों का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता.

दुर्ग तहसील के पटवारी सूर्यकांत निषाद के काले कारनामों का सनसनीखेज खुलासा हुआ था जिस पर विभाग ने कार्रवाई करने के बजाए उसका स्थानांतरण पटवारी हल्का नं.39 (ग्राम बोरसी) से पटवारी हल्का नं.54 (ग्राम पुरई) में कर दिया. स्थानांतरण आदेश 11 मई 2023 को जारी किया गया. यह आदेश तत्कालिन एसडीएम मुकेश रावटे ने जारी किया था.

उल्लेखनीय है कि पटवारी ने अपनी पत्नी सुनीति निषाद (आरआई) के नाम पर खसरा नं.363/36 व 363/45 की जमीनें खरीदी है जो अवैध प्लाटिंग की जमीनें है. सच ये है कि छत्तीसगढ़ शासन के भुईया एप्प में उक्त जमीन के मालिकाना हक खरीददार का नाम A और उसके पिता व पति का नाम B दर्शाया गया है. जबकि A और B कि जगह खरीददार और उसके पिता का वास्तविक नाम दर्शाया जाना चाहिए था. इस तरह दस्तावेज में हेरफेर व छेड़छाड़ किया जाना दंडनीय अपराध है.

जब इस मामला का उजागर हुआ तब उस समय प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी लक्षमण तिवारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच का आदेश दिया परंतु कुछ महीने बाद IAS लक्ष्मण तिवारी का ट्रांसफर हो जाने के बाद उनके स्थान पर तत्कालिन अनुविभागीय अधिकारी मुकेश रावटे पद भार किया गया. इस मामले को पटवारी सूर्यकांत निषाद और अनुविभागीय अधिकारी रावटे की मिलीभगत से दबा दिया गया.

तत्कालिन तहसीलदार प्रेरणा सिंह, ख्याति नेताम, पवन ठाकुर और प्रफुल्लकुमार गुप्ता (वर्तमान) इस मामले से अपने आप को किनारा कर लिया परंतु तत्कालिन तहसीलदार पंचराम सलामे ने इस प्रकरण में आदेश पारित कर दिया गया. इस मामले को लेकर शिकायतकर्ता ने उच्च स्तरीय जांच के लिए मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री, मुख्य सचिव राजस्व के पास शिकायत करने की बात कही है. छत्तीसगढ़ आजतक जल्द ही दुर्ग जिले में पदस्थ रहते  तत्कालिन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व दुर्ग जो स्थानातंरण पश्चात वर्तमान में अपर कलेक्टर कवर्धा में पदस्थ मुकेश रावटे के काले कारनामे का खुलासा करेगा.






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