रायपुर में पंजे का कब्जा रहेगा कायम या खिलेगा कमल

रायपुर में पंजे का कब्जा रहेगा कायम या खिलेगा कमल

रायपुर :  रायपुर में निकाय चुनाव अपने शबाब पर है। राजधानी में कांग्रेस अपने 15 वर्षों के विकास के दम पर महापौर बनाने के लिए प्रयासरत है। भाजपा विष्णु के सुशासन रथ में सवार होकर इस चुनावी वैतरणी को पार करने को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है। विधानसभा चुनाव और उपचुनाव में मिले जन समर्थन से उसमे नए उत्साह का संचार हुआ है। प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने सोशल मेकेनिज्म को ध्यान में रखकर ब्राह्मण प्रत्याशी तय किये हैं। भाजपा ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष मिनल चौबे को मैदान में उतारा हैं तो कांग्रेस ने किसी कार्यकर्ता की जगह नेता पत्नी को तरजीह देते हुए पूर्व महापौर और सभापति प्रमोद दुबे की पत्नी दीप्ती दुबे पर दावं लगाया है। इसमें आम आदमी पार्टी ने भी पूर्व पार्षद की बेटी पेशे से सर्जन डॉ. शुभांगी तिवारी को मौका देकर सेंध लगाने का प्रयास किया है।

BJP प्रत्याशी के लिए मांगे वोट राजधानी के नगर पालिका निगम में सुनील सोनी के बाद भाजपा को सत्ता नहीं मिल पाई। पार्टी ने यहां से प्रत्यक्ष चुनाव में 2009 में प्रभा दुबे, 2014 में सच्चिदानंद उपासने और 2019 के अप्रत्यक्ष चुनाव में मृत्युंजय दुबे को मैदान में उतारा था, लेकिन इनमे से किसी ने भी विजयश्री का वरण नहीं किया. राजनीति के जानकार इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी लड़ाई को भी जिम्मेदार मानते हैं।

इस बार राजधानी में महापौर बनाना मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और भाजपा संगठन के लिए बड़ी चुनौती है। पार्टी ने अपने चुनाव जिताऊ नेता बृजमोहन अग्रवाल को संचालक और राजेश मूणत को समन्वयक बनाकर एक बार फिर विश्वास व्यक्त किया है। वहीं मंत्री रामविचार नेताम को सत्ता की तरफ से बागडोर दी है। इनका उपचुनाव में स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत हैं। कांग्रेस से कमान प्रमोद दुबे के हाथ है। प्रमोद विपरीत परिस्थितियों में भी परिणाम देने के लिए जाने जाते हैं और निगम की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय है।

इस चुनाव के परिणाम को कांग्रेस जहां भाजपा की नाकामी साबित करेगी, वहीं भाजपा विष्णु के सुशासन पर जनता की मुहर साबित करेगी। 2025 के निकाय चुनावों में सभी ने जनता के सामने अपने रंगारंग वादों को रख दिया हैं। आधी से अधिक मतदाताओं को साधने के लिए महिलाओं पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया हैं तो रोजगार और वाई-फाई देकर युवा वर्ग को आकर्षित करने का भी प्रयास किया हैं. लेकिन इन लोक लुभावन वादों के बिच जनता सफाई, शुद्ध पेयजल, लाइट जैसी मुलभुत समस्याओं से जूझ रही हैं। इससे रहत दिलाने की ओर ध्यान देने की आवश्यकता हैं। राजधानी बनने के इतने वर्षों बाद भी शहर के प्रमुख सड़कों में जल-भराव आम बात हैं।

जनमत किसे अपनाता हैं यह तो भविष्य के गर्त में है। 2025 की जीत-हार कांग्रेस और भाजपा के लिए भविष्य की इबारत लिखेगी। कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को बल मिलेगा तो भाजपा में वरिष्ठों की वापसी का मार्ग खुल सकता है। अब ये देखना दिलचस्प होगा की ऊंट किस करवट बैठता है। जनता भाजपा को मौका देती हैं या कांग्रेस लगाती हैं चौका।






You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments