शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय के लिए काफी महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। इसे क्षमा की रूप में माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, हर साल शाबान महीने की 15वीं तारीख को शब ए- बारात मनाया जाता है। शब-ए-बारा दो शब्दों से मिलकर बना है रात और बारात यानी बरी करना। मुसलमान इस खास रात को नमाज अदा करने के साथ अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते हैं। इसके साथ ही पूर्वजों की कब्रों के साथ जाकर अपने बुजुर्गों के मगफिरत की दुआ करते हैं। बता दें कि इसे शबे बारात, रबी में लैलातुल बारात, इंडोनेशिया और मलेशिया में निस्फ़ स्याबान जैसे नामों से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं इस साल कब है शब-ए-बारात। इसके साथ ही जानें महत्व सहित अन्य जानकारी…
कब है शब-ए-बारात 2025?
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, शब-ए -बारात शाबान महीने की 14 और 15 वीं तारीख के बीच की रात को मनाया जाता है। ये रात 14 की रात को शुरू होती है और 15 शाबान भोर को समाप्त हो जाती है। इस साल शब-ए-बारात 13 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
शब-ए-बारात की रात मगफिरत की रात
इस्लाम धर्म के समुदाय के लिए शब-ए-बारात काफी खास मानी जाती है, क्योंकि ये उन चार रातों में से एक मानी जाती है जब अल्लाह अपने बंदों की हर दुआ को सुनते हैं और उन्हें माफ़ी देते हैं। बता दें कि शब-ए-बारात के अलावा पहली शुक्रवार की रात दूसरी ईद-उल-फितर से पहले की रात, तीसरी ईद-उल-अधा से पहले की रात चौथी पहली रात रज्जब की रात की दुआ अल्लाह कबूल करते हैं।
कैसे मनाते हैं शब-ए-बारात?
मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन रात के समय नमाज अदा करने के साथ कुरान पड़ते हैं। इसके साथ ही अल्लाह से गुनाहों के माफी मांगते हैं। इसके साथ ही पहला शब-ए-बारात के दिन और दूसरा अगले दिन तक रोज़ा रखा जाता है, जिसे फर्ज नहीं बल्कि नफिल रोज़ा कहा जाता है। इसके अलावा इस रात को लोग कब्रिस्तान जाते हैं और इंतकाल फरमा चुके अपने लोगों की कब्र पर उनकी मगफिरत की दुआ मांगते हैं।
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