हिंदू महिला को कब्र में दफनाया, नमाज भी पढ़ी, पति बोला - हम हिंदू हैं

हिंदू महिला को कब्र में दफनाया, नमाज भी पढ़ी, पति बोला - हम हिंदू हैं

सासाराम :  चौंकाने वाली खबर रोहतास जिला के डेहरी अनुमंडल क्षेत्र से है. यहां एक अजीबोगरीब खबर सामने आई है. एक हिंदू परिवार की महिला को मुस्लिम रीति रिवाज से कब्रिस्तान में दफनाया गया है. खबर सामने आते ही चर्चा का बाजार गर्म हो गया है. बताया जाता है कि डेहरी के मणिनगर की रहने वाली संगीता देवी को कब्रिस्तान में दफन किया गया है. परिजन का कहना है कि संगीता देवी मुस्लिम धर्म से काफी प्रेरित थी.

वहीं घर के सभी लोग हिंदू धर्म के मान्यता के अनुसार पूजा पाठ करते हैं लेकिन संगीता देवी मुस्लिम धर्म के अनुसार रोजा-इफ्तार तथा नवाज भी पढ़ती थी. अंतिम समय में उसने इच्छा जाहिर किया कि उसे हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार दाह संस्कार नहीं कर, बल्कि मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार कब्रिस्तान में दफनाया जाए. इसके बाद लक्ष्मण राम की पत्नी 58 वर्षीय संगीता देवी का जब निधन हुआ तो परिजनों ने उनकी इच्छा का ख्याल रखते हुए पास के मस्जिद के इमाम से बातचीत की. मुस्लिम वर्ग के लोग इसके लिए राजी हो गए. फिर संगीता देवी के शव को मस्जिद में ले जाया गया और मुस्लिम रीति-रिवाज से जनाजे की नमाज अता की गई. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने संगीता देवी का जनाजा उठाया. उसे पास के कब्रिस्तान ले गए और पूरे मुस्लिम मान्यता के अनुसार संगीता के शव को दफना दिया गया.

परिवार के लोगों का कहना है कि 40 साल पहले संगीता की जब शादी हुई थी, तो कोई संतान नहीं थी. एक दरगाह के मौलाना ने उसे रोजा इफ्तार रखने के लिए कहा. उसके बाद संगीता के तीन संतान हुईं. बताया जाता है कि इसी से प्रेरित होकर संगीता मुस्लिम धर्म के अनुसार आचरण करने लगीं. हर साल रोजा रखने लगीं. साथ ही अजमेर शरीफ समेत कई दरगाहों में जाने लगी थीं. अब चुकी हिंदू परिवार की महिला का मुस्लिम धर्म के अनुसार दफनाया गया है, तो मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार चालीसवां होगा. साथ ही परिजन हिंदू धर्म के अनुसार तेरहवी का ब्रह्म भोज भी करेंगे. डिहरी के लक्ष्मण राम की पत्नी संगीता देवी के निधन के बाद उनके शव को कब्रिस्तान में दफनाने का मामला लगातार चर्चा में बना हुआ है.

पति लक्ष्मण राम ने बताया, ‘उसकी शुरू से ही यही इच्छा कि उसका शव मुस्लिम रीति-रिवाज से दफनाया जाए. वह मुस्लिम धर्म के अनुसार इबादत करती थी. रोजा-नमाज सब करती थी. जुमा की नमाज करती थी. रमजान में रोजा रखती थी. उसने कहा था कि मेरी आत्मा की शांति तभी मिलेगी जब मेरा अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति-रिवाज से किया जाए. साल में एक बार अजमेर शरीफ जाती थी. मस्जिद में ले जाकर उसके जनाजा की नमाज पढ़ी गई. हिंदू धर्म के अनुसार तेरहवी का ब्रह्म भोज भी करूंगा लेकिन मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार चालीसवां भी होगा.’

मृतिका संगीता देवी की बहू चांदनी ने बताया, ‘हम लोग हिंदू ही हैं. हिंदू धर्म के त्योहार मनाते है. पूजा-पाठ करते हैं. मेरी सास इस्लाम से बहुत प्रभावित थीं. उनकी अंतिम इच्छा को हमने पूरा किया है. इंसानियत के लिए जो होना चाहिए, वो करते हैं.’






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