माघ पूर्णिमा की तिथि को हिंदू धर्म में काफी महत्व दिया गया है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही इस दिन शिव पूजा का भी बड़ा महत्व है। पूर्णिमा के दिन भगवान नारायण जल में निवास करते हैं, ऐसे में इस दिन पितृ दोष से छुटकारा पाने का भी बढ़िया मौका है। 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा मनाई जाएगी, ऐसे में आइए जानते है कि इसके लिए कौन से उपाय करने चाहिए...
पितृ दोष क्यों लगता है?
पितृ दोष एक प्रकार का कर्मिक दोष है जो अपने पूर्वजों के अनादर, उनकी उपेक्षा या उनके प्रति किए गए कामों के कारण होता है। यह दोष हमारे जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं पैदा कर सकता है। पितृ दोष के कारण हैं, पूर्वजों का अनादर या उपेक्षा, पूर्वजों के प्रति किए गए अपराध, पूर्वजों की इच्छाओं का पालन न करना और पूर्वजों के लिए तर्पण या श्राद्ध न करना।
सुबह करें इनका पाठ
जिन जातकों को पितृदोष लगा हुआ है, उन्हें इस दिन पूजा-पाठ जरूर करना चाहिए। इस दिन जातक को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए, फिर सूर्य को जल दें और फिर अपने पितरों के नाम से पीपल पर जल जरूर चढ़ाएं। इसके बाद शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर एक लोटा जल, कच्चा दूध, तिल, सफेद फूल, बिल्व पत्र, भांग और धतूरा चढ़ाएं। इसके बाद जातक को पितृसूक्त, पितृ चालीसा, गंजेंद्र मोक्ष, पितृ स्तोत्र, पितृ कवच का पाठ करना चाहिए। अंत में भगवान शिव की आरती करें। इससे पितृ और भगवान शिव प्रसन्न होंगे और जातक को पितृदोष से मुक्त करेंगे।
शाम को करें ये काम
इस दिन नदी तट पर या नदी में दीपदान करने का महत्व भी है, माना गया है कि इससे देवी और देवता खुश होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है। जातक को शाम में तुलसी के नीचे और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जरूर जलाना चाहिए। इससे आपके सारे कष्ट दूर होंगे।
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