रायपुर : इस वक्त पूरे देश में वक्फ बोर्ड, वक्फ की संपत्ति को लेकर बहस छिड़ी हुई है। देश की संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन पर बहस का दौर जारी है। इसी बीच छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने प्रदेश में हाल में हुए निकाय चुनाव में मस्जिदों में सियासी इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए। करीब आधा दर्जन मुतवल्लियों को नोटिस जारी कर दिया है। जाहिर है इस पर पक्ष-विपक्ष के अपने-अपने दावे हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये उठ खड़ा हुआ है कि क्या वाकई प्रदेश में मस्जिदों से किसी पार्टी विशेष के प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया जा रहा था।
एक तरफ संसद में बजट सत्र के आखिरी दिन वक्फ संशोधन बिल पर JPC रिपोर्ट को लेकर जमकर हंगामा हुआ तो दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में, 5 जिलों के 6 मुतवल्लियों को छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड की तरफ से नोटिस भेजा गया है। आरोप है कि हाल में हुए निकाय चुनाव में कुछ मस्जिदों का इस्तेमाल दल विशेष के प्रत्याशियों को फायदा पहुंचाने की नीयत से किया गया। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज ने 5 जिलों रायपुर, अंबिकापुर, बिलासपुर, कांकेर, दल्लीराजहरा के मुतवल्लियों को नोटिस देकर, 7 दिनों में जवाब तलब किया है। सलीम राज का आरोप है मस्जिदों को राजनीति का अड्डा बनाया गया, दावा है कि वक्फ बोर्ड के पास इसके ऑडियो, वीडियो, फोटो जैसे सबूत हैं, दावा है कि दोषियों को बर्खास्त किया जाएगा, उनपर लीगल एक्शन भी लिया जाएगा ।
इधर, छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड अध्यक्ष के इस आदेश पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई, कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश बीजेपी सरकार ने वक्फ बोर्ड का राजनीतिकरण कर दिया है, कांग्रेस ने वक्फ बोर्ड अध्यक्ष से पूछा कि किसी सामाजिक गतिविधि में सवाल उठाने का हक आपको किसने दिया। इधर बीजेपी कांग्रेस की आपत्ति को खारिज करते हुए, कांग्रेस पर तुष्टिकरण के आरोप दोहराए।
वैसे, इससे पहले भी प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज के कुछ सख्त निर्देश सुर्खियों और विवादों में रहे हैं। सवाल ये है कि जो आरोप छग वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर सलीम राज लगा रहे हैं वो कितने सही हैं, क्या मस्जिदों का सियासी लाभ के लिए इस्तेमाल हुआ है, अगर हां तो फिर इस नोटिस को लेकर आपत्ति क्यों ? या फिर तो मौजूदा वक्त में जारी नोटिस किसी सियासी दबाव की मंशा से दिया है ?
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