छत्तीसगढ़ के इस जिले में बना प्रसिद्ध विष्णु मंदिर,जानिए रोचक कहानी

छत्तीसगढ़ के इस जिले में बना प्रसिद्ध विष्णु मंदिर,जानिए रोचक कहानी

जांजगीर चांपा :  जांजगीर, चांपा जिले के जिला मुख्यालय में, भगवान विष्णु का एक अनोखा मंदिर है, जो अपने ऐतिहासिक और अधूरे निर्माण काल के लिए प्रसिद्ध है. छत्तीसगढ़ के कल्चुरी नरेश जाज्वल्य देव प्रथम ने भीमा तालाब के किनारे 11वीं शताब्दी में एक मंदिर का निर्माण करवाया था. यह मंदिर भारतीय स्थापत्य का अनुपम उदाहरण है. ये मंदिर पूर्वाभिमुखी हैं और सप्तरथ योजना के तहत बना हुआ हैं.

इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां शिखरहीन विमान मौजूद है. मंदिर के चारों ओर अन्य कलात्मक मूर्तियों में भगवान विष्णु के दसावतार में से वामन, नरसिंह, कृष्ण और राम, वाराह, नरसिंह अवतार की प्रतिमाएं स्थित हैं. इतनी सजावट के बावजूद मंदिर अधूरा माना जाता है, क्योंकि मंदिर के गर्भगृह में कोई भी मूर्ति की स्थापना नहीं हुई है.

विष्णु जी के चौबीसों अवतार का किया गया है वर्णन 
जांजगीर के इस प्रसिद्ध विष्णु मंदिर के संबंध में स्थानीय व्यक्ति दिनेश शर्मा, जो इस मंदिर के बारे में जानकारी रखते हैं, उन्होंने बताया कि कल्चुरी नरेश जाज्वल्य देव के ओर से जांजगीर नगर के भीमा तालाब के किनारे 11वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण करवाया था. इसका उल्लेख शिलालेख में मिलता है, यह मंदिर बहुत ही अद्भुत मंदिर है, जिसमें मंदिर के चारों तरफ विष्णु जी के चौबीसों अवतार के बारे में बताया गया है. जिसमें नरसिंह अवतार, राम, श्री कृष्ण, वराह, वामन की अनुकृति है, साथ ही मंदिर के चारों ओर अत्यंत सुंदर और सुंदर प्रतिमाएं बनाई गई हैं.

सूर्य देव भी है विराजमान
यहां त्रिमूर्ति के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्ति भी स्थापित है. मां लक्ष्मी जी की बहुत ही सुंदर प्रतिमा है, ठीक इसके ऊपर गरुड़ासीन भगवान विष्णु की मूर्ति, मंदिर के पृष्ठ भाग में सूर्य देव विराजमान हैं. रथ और उसमें जुड़े सात घोड़े स्पष्ट हैं. यहीं नीचे की ओर कृष्ण कथा से संबंधित चित्रों में वासुदेव कृष्ण को दोनों हाथों से सिर के ऊपर उठाए गतिमान दिखाए गए हैं. इसी प्रकार की अनेक मूर्तियां नीचे की दीवारों में बनी हैं.

गर्भगृह में नहीं है  कोई मूर्ति  
दिनेश शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ के किसी भी मंदिर में रामायण से संबंधित इतने दृश्य नहीं मिलते जितने इस विष्णु मंदिर में हैं. यह मंदिर बलुई पत्थर के बने है, जो आसपास के क्षेत्र में नहीं मिलते हैं, और मंदिर के चारों ओर अन्य कलात्मक मूर्तियों में भगवान विष्णु के चौबीसों अवतार की प्रतिमाएं स्थित हैं. इतनी सजावट के बावजूद, मंदिर के गर्भगृह में कोई मूर्ति नहीं है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मंदिर अधूरा है, इसलिए मूर्ति की स्थापना नहीं हो सकी.

इस वजह से अधूरा है यह मंदिर
शुक्ला प्रसाद ने बताया कि 11वी – 12वी शताब्दी के बने इस विष्णु मंदिर को अधूरा माना जाता है क्योंकि इस मंदिर के बगल में जो मंदिर है, उसे इसके ऊपर चढ़ना था, लेकिन नहीं चढ़ पाया इसलिए अधूरा माना जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में नकटा मंदिर बोलते हैं. इस मंदिर को देखने के लिए अन्य राज्यों से भी पर्यटक आते हैं, और इसकी कलाकृति को देखते हैं, साथ ही इसके इतिहास के बारे में पढ़ते हैं. मंदिर को संरक्षित करने के लिए हर साल जिला प्रशासन इस मंदिर को पर्यटन के नक्शा में आगे बढ़ाने के लिए जाज्वलय देव लोक कला महोत्सव का आयोजन करती है.






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