तलाक को बहुत गंभीरता से लिया जाता है, लेकिन कुछ स्थितियों में "निकाह हलाला" एक ऐसी प्रथा के रूप में उभरती है जो विवादास्पद है और महिलाओं के लिए अत्यधिक अपमानजनक मानी जाती है।
हलाला: इस्लामी परंपरा या महिला अधिकारों का उल्लंघन?
हलाला एक प्रथा है जिसमें एक महिला को अपने पहले पति से दोबारा शादी करने के लिए पहले किसी दूसरे पुरुष से शादी करनी होती है, उसके साथ यौन संबंध बनाने होते हैं और फिर उसे तलाक देना होता है।
यह प्रथा मुख्यतः सुन्नी मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों में पाई जाती है।
हलाल प्रक्रिया और उसका उद्देश्य
इस्लामी कानून के अनुसार, यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी को तीन बार तलाक (तलाक-ए-तलासा) देता है, तो महिला अपने पिछले पति से तब तक दोबारा शादी नहीं कर सकती, जब तक कि वह किसी अन्य पुरुष से शादी नहीं कर लेती, उसके साथ यौन संबंध नहीं बना लेती और फिर तलाक नहीं ले लेती। इस प्रक्रिया को "निकाह हलाला" कहा जाता है। इस्लामी विद्वानों के अनुसार, हलाला का उद्देश्य तलाक को कठिन और अंतिम बनाना है, ताकि लोग विवाह को हल्के में न लें। लेकिन क्या यह प्रथा सचमुच महिलाओं के लिए सम्मानजनक है?
महिलाओं पर प्रभाव: जबरन विवाह और यौन शोषण
हलाल की आड़ में महिलाओं के शोषण के कई मामले प्रकाश में आए हैं। कई मामलों में महिलाओं को हलाल के लिए मजबूर किया जाता है, जिसके कारण उनका यौन शोषण होता है।
वास्तविक तथ्य:
उत्तर प्रदेश की घटना: रायबरेली की एक महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया है कि उसने उसे तीन तलाक देने के बाद दो बार हलाला करने के लिए मजबूर किया, जिसके परिणामस्वरूप उसे मानसिक और शारीरिक यातना दी गई।
ऑनलाइन हलाला रैकेट: दिल्ली और मुंबई में कई ऑनलाइन रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है, जहां मौलवी पैसे के बदले हलाला संचालित करने के लिए तैयार हैं। बी.बी.सी. और अन्य समाचार संगठनों ने इस मुद्दे पर व्यापक रिपोर्टिंग की है।सोशल मीडिया पर वायरल घटना: बांग्लादेश और पाकिस्तान में हलाला के कारण हिंसा की हाल ही में खबरें आई हैं, जहां महिलाओं को उनके परिवारों द्वारा जबरन हलाला के लिए मजबूर किया गया।
हलाला: धार्मिक दायित्व या गलत प्रथा?
कई इस्लामी देशों में हलाल की परंपरा को अनुचित माना जाता है। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कई अन्य इस्लामी देशों में हलाल जैसी प्रथाओं को बढ़ावा नहीं दिया जाता है। यहां तक कि भारत में भी मुस्लिम महिलाओं ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है और इसे रोकने की मांग की है।
कानूनी परिप्रेक्ष्य: भारत में हलाल की स्थिति
भारत में 2019 में ट्रिपल तलाक को अवैध घोषित कर दिया गया था, लेकिन अभी तक निकाह हलाला पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है। हालाँकि, मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले कई संगठनों ने इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं।
हलाल के बारे में महिलाओं की राय
पीड़ितों की आवाज: कई महिलाओं ने हलाल के खिलाफ आवाज उठाई है और इसे शोषण का साधन बताया है।
महिला संगठनों का विरोध: भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) और अन्य संगठनों ने इसे रद्द करने की मांग की है।
धार्मिक संगठनों की चुप्पी: कई मौलवियों का मानना है कि हलाल इस्लाम का हिस्सा है, लेकिन इसके पीछे जो शोषण चलता है, उसे रोकने की जरूरत है।
हलाला एक अत्यधिक विवादास्पद प्रथा है, जिसे महिलाओं की गरिमा और अधिकारों के विरुद्ध माना जाता है। आधुनिक समय में ऐसी प्रथाओं पर पुनर्विचार करना तथा महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है।
Comments