जनता की प्रबुद्धता के आगे नतमस्तक होने के बजाय जब राजनेता थेथराई पर उतर आते है, तों हार -हारकर थर्रा जाते है ।विपक्षी दलों की यही गलती उन्हें जगह -जगह हरा रही बिना बंधन के गठबंधन का हाल यही होना था, कांग्रेस दिल्ली का शून्य रायपुर तक खीच लाई ,रायपुर वाले को दिल्ली तक खीच ले गई,नियुक्ति रात की सबेरे उजड़े घर में भूकंप आ गया ,भाग्य का खेल भूपेश बघेल और कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ियों को राज्यसभा के लायक नही समझा,सारे गैर छत्तीसगढ़ियों को दुसरे प्रदेशों से ला लाकर सांसद बनाया ,जीतकर वों झाकने नही आये छत्तीसगढ़ियों के वोट पर गैर छत्तीसगढ़ियों का राजतिलक छत्तीसगढ़ियों को रास नही आया,कांग्रेस हार की समीक्षा पर समीक्षा करती रहे, जनता की इच्छा उन्हें बहुमत देने की नही बन रही,कांग्रेस ने कांकेर जैसा अपना अभेद किला गवां दिया, तस्तरी में रख महापौर रायपुर की जीत भाजपा को सौप दी । दसों नगर निगमों में सूपड़ा साफ कांग्रेस के सारे शेर ढेर ,बाघ चीते भी नगर पालिका ,नगर निगम में वजूद से ज्यादा कुछ नही बचा पाए ,भाजपा की एकतरफा ऐतिहासिक जीत पर रमन सिंह का बयान आया की ये विष्णु देव साय सरकार की मेहनत का परिणाम है,15 साल मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह की यही शालीनता सीख लेते तों कांग्रेस का बेड़ा गर्क नही होता।
थक चुके, फूंक चुके कारतूसों पे कांग्रेस ने भरोसा जताया ,जनता ने नकार दिया ,विधानसभा हारे महापौर का भी चुनाव हार गए, गैंदु की गेंद ना उछली ,ना बाउंस हुई मिलकियत अलग चले गई जगदलपुर में हार हुई ,बिलासपुर में देवर को जीत का वर नही मिला, दुर्ग में बघमार ने कांग्रेसी शेर मार दिया, नांदगाँव में जनता मधु से चिपक गई मधुसुदन जीत गए,रायगढ़ में चायवाले ने शहर का प्रथम नागरिक होने का गौरव पाया ,कोरबा में संजू को अंजुली भर भरकर मत मिला, धमतरी में तों कांग्रेस मैदान में थी ही नही ,अंबिकापुर में ना बाबा का जलवा चला ना डॉ.तिर्की अजेय रहे,चिरमिरी की जनता ने विनय का अनुनय स्वीकार नही किया, राय के पक्ष में अपनी राय दे दी, रायपुर में सर्वाधिक मतों से हार का इतिहास दुबे दंपति ने बनाया, सर्वाधिक मतों से हार का पीछा दुबे दंपति से नही छूटा, आँखों के तारे जों गोदी में पांच सालों तक गए दुलारे वों अपने मुहल्ले से निकल पार्षदीय नही जीत सके, वों अप्रत्यक्ष प्रणाली से शहर के महापौर बनाए गए थे ,जिनके जिम्मे शहर संवारना था वों राज्य संवारने चले थे, पार्षदीय की अपनी जीत नही संवार पाए,वसूली में राज्य भर में पहचान बनी पर मोहल्ले में पहचान नही बना पाए । यही हाल नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों का रहा, शून्य तों नही कुछ जगह जीत मिली ,भाजपा थोक में जीती कांग्रेस को चिल्हरों में मिली जीत का गुमान जरुर हो रहा होगा,भगत जी कह रहे ईवीएम की वजह से हारे जों कुनकुरी की जीत पर गुमानित थे, तंज कर रहे थे अपना गढ़ नही बचा पाए ,पाटन ,कुम्हारी अमलेश्वर से लेकर सीधी लाईन पुरानी हार वाली राजनांदगांव ,दुर्ग रायपुर वाली फिर खीची ,अगली बार शायद बिलासपुर से भाग्य आजमाए सीधी लाईन पूरी खीच जाए।
सामंती प्रवृति से उम्मीदवार तय हुए ,गुटों में बटी कांग्रेस कार्यकर्ताओ का रोष घपले घोटालों से हुई बदनामी ने जनता को कांग्रेस से विमुख कर दिया, शहरी सरकारों के चुनाव परिणामों में पंचायतों में भी कांग्रेस के हार की बुनियाद दिख रही । महतारी वंदन की जगह कांग्रेसी नेत्रिया क्रंदन कर रही थी ,जों घर से बाहर कांग्रेस के हर गतिविधियों में संलग्न थी वों घर बिठा दी गई,जों घर में बैठी थी वों महापौर की उम्मीदवार बना दी गई,पिछली जीत की प्रबलता में सत्ता को प्रबल समझ लिया ,अपने को सबल छत्तीसगढ़ियों को निर्बल समझ लिया, भाजपा के हर नेता मंत्री ने जीत के लिए कोई कोर कसर नही छोड़ी और कांग्रेसियों ने जीत के लिए कभी कमर ही नही कसी ,घर में हार की टीस मुख्यमंत्री महसूस कर रहे होंगे, राजनीतिक स्वास्थ्य के लिए मिठाई ही नही नमक भी जरुरी था, नाराजगी घर की दूर होनी चाहिए, ऐतिहासिक है जीत आपकी इससे छोटी नही होगी ,सबक है छोटा सा लीजिए आगे बढ़िए, भाजपा संगठित ही नही सुव्यवस्थित है, विधानसभा में ईश्वर साहू को विधायक बनाती है तो जीवर्धन चौहान को महापौर, भाजपा में आम चुनाव जीत रहे,कांग्रेस में खास चुनाव लड़ रहे ,आम टिकिट को तरस रहे, विधायकों, पर्व मंत्री, मुख्यमंत्री की फ़ौज फिर भी मिली करारी हार, हार पर हार फिर भी हारे नेता पदों से जा रहे नवाजे ,अब कहां से कार्यकर्ताओं में जोश आये ,वाणी में ओज आये ,टिकिट की सोच आए, जीत की आस आए ,करारी हार के बाद भी हारों को करार कहां ,कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को मिले ना मिले कुछ, अपने पद के लिए बेकरार है ,छत्तीसगढ़ हार आरोपों से लदे फंदे दिल्ली पहुँच गए,हार हारकर परजीवी अमरबेल हो गए -----------------------बेल वाली टीम में अमरबेल शामिल हो गए..
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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