नई दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को तत्काल भारत प्रत्यर्पित करने की पुष्टि की है एवं कहा है कि और लोगों को भी प्रत्यर्पित किया जाएगा।
सवाल यह है कि और लोगों में कौन-कौन से नाम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले भारत ने 10 भगोड़े आतंकियों व अपराधियों की सूची अमेरिका को सौंपी थी, जिनमें गैंग्स्टर गोल्डी बरार और अनमोल बिश्नोई के नाम शामिल हैं।
विदेश सचिव ने भी दी जानकारी
प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक के बाद ट्रंप ने कहा, 'हम बेहद हिंसक आदमी (तहव्वुर राणा) को तत्काल भारत को दे रहे हैं। इसके बाद कई और का प्रत्यर्पण होगा, क्योंकि हमारे पास कुछ आवेदन हैं। अपराधों के विरुद्ध हम भारत के साथ काम कर रहे हैं और भारत के लिए चीजें बेहतर करना चाहते हैं।'
इस संबंध में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा, 'प्रत्यर्पण को लेकर अन्य अनुरोध भी हैं। मैं तत्काल नाम तो नहीं बताऊंगा, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों के पास कई अन्य अनुरोध भी पंजीकृत हैं।'
हर तीसरा भगोड़ा अमेरिका में
विक्रम मिसरी ने भले ही नाम नहीं बताए, लेकिन भारत में वांछित हर तीसरा भगोड़ा अमेरिका में है, जिनमें मुंबई हमले का प्रमुख आरोपी डेविड कोलमैन हेडली शामिल है। ट्रंप ने राणा के प्रत्यर्पण की घोषणा ऐसे समय की है, जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में राणा की अंतिम अपील भी ठुकरा दी।
पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक राणा फिलहाल लॉस एंजिलिस के डिटेंशन सेंटर में बंद है। जबकि लश्कर आतंकी हेडली को अमेरिका में 35 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई है। अभी तक उसके प्रत्यर्पण के अनुरोध को अमेरिका ने स्वीकार नहीं किया है।
सतिंदर सिंह उर्फ गोल्डी बरार और अनमोल बिश्नोई को भारतीय एजेंसियां पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या का मास्टरमाइंड मानती हैं। अनमोल को अमेरिका में नवंबर, 2024 में गिरफ्तार किया गया था। एजेंसियों का मानना है कि बरार भी अमेरिका में छिपा हुआ है।
अमेरिका के पास 65 प्रत्यर्पण अनुरोध
भारत ने 2011 में 1984 के भोपाल गैस कांड में आरोपी यूनियन कार्बाइड के सीईओ वॉरेन एंडरसन के प्रत्यर्पण की भी मांग की थी, लेकिन अमेरिका ने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
गौरतलब है कि दिसंबर, 2024 में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया था कि विभिन्न देशों को भेजे गए प्रत्यर्पण के 178 अनुरोधों में से 65 अमेरिका से किए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया था कि 2002 से 2018 के बीच अमेरिका ने प्रत्यर्पण के सिर्फ 11 अनुरोधों को स्वीकार किया था।
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