भाजपा का दावा, केजरीवाल के बंगले की साज-सज्जा की जांच करेगा सीपीडब्ल्यूडी

भाजपा का दावा, केजरीवाल के बंगले की साज-सज्जा की जांच करेगा सीपीडब्ल्यूडी

 नई दिल्ली :  भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को 6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण की विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया है।

भाजपा ने इस कार्य में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उसका दावा है कि कैग रिपोर्ट में भी इसे लेकर सवाल उठाए गए हैं। पार्टी ने इसे शीश महल बताते हुए चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया था। अब सीवीसी के जांच के आदेश देने से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की परेशानी बढ़ सकती है।

केजरीवाल ने अवैध तरीके से मुख्यमंत्री आवास को शीश महल बनाया है- भाजपा

अरविंद केजरीवाल 2015 में सीएम बनने के बाद से सितंबर, 2024 में पद से इस्तीफा देने तक 6 फ्लैग स्टाफ रोड स्थित सरकारी आवास में रहे थे। भाजपा का आरोप है कि केजरीवाल ने अवैध तरीके से मुख्यमंत्री आवास को शीश महल बनाया है।

विजेंद्र गुप्ता ने गत 14 अक्टूबर और 21 अक्टूबर को सीवीसी से इस मामले में दो शिकायतें दी थीं। पहली शिकायत में उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री आवास का अवैध रूप से विस्तार किया गया। इसके लिए पड़ोस में स्थित सरकारी संपत्तियों को उस परिसर में मिलाया गया।

शिकायत में ये आरोप लगाए

इसमें वरिष्ठ अधिकारियों और न्यायाधीशों के आधिकारिक निवास, राजपुर रोड स्थित प्लाट नंबर 45 व 47 सहित फ्लैग स्टाफ रोड पर स्थित दो बंगले (8-ए और 8-बी) शामिल थे। इन संपत्तियों को तोड़कर 10 एकड़ में शीश महल बनाया गया। भवन नियमों और भूमि उपयोग प्रविधान का पूरी तरह उल्लंघन कर यह काम किया गया।

दूसरी शिकायत में मुख्यमंत्री आवास में विलासिता के सामान उपलब्ध कराने व सजावट पर करदाताओं के पैसे के दुरुपयोग का आरोप है। सीवीसी ने सीपीडब्ल्यूडी को जांच सौंपी थी। सीपीडीब्ल्यूडी ने 13 फरवरी को दी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में शिकायत को सही बताया है। इसके बाद सीवीसी ने उसे विस्तृत जांच करने को कहा है।

इन बिंदुओं पर जांच करेगा विभाग

जांच में सीएम को आवास आवंटित करने की प्रक्रिया का पालन, उसके विस्तार की आवश्यकता, विस्तार व निर्माण कार्य में नियमों का पालन, निर्माण पर कुल खर्च, मुख्यमंत्री आवास के विस्तार के लिए सरकारी संपत्तियों को इसमें क्यों शामिल किया गया, मुख्यमंत्री आवास की साज-सज्जा व अन्य सामान पर खर्च व उसका स्त्रोत का पता किया जाएगा। यह भी पता किया जाएगा कि मुख्यमंत्री आवास के पास अन्य निर्माण कार्य किस उद्देश्य से किया जा रहा था और उसके लिए धन कहां से आवंटित हुआ।

आवास में ये महंगा सामान होने का किया गया है दावा

भाजपा ने पिछले वर्ष नौ दिसंबर को एक वीडियो जारी कर दावा किया था कि शीश महल में 80 करोड़ के पर्दे, 64 लाख के 16 टीवी, 10 लाख का सोफा, नौ लाख का रेफ्रिजरेटर, 22.5 लाख का गीजर, 15 करोड़ के वाटर सप्लाई और सेनेटरी फिटिंग, सोने की परत वाली 12 लाख के टायलेट सीट लगाए गए थे। इसमें से कई सामान गायब होने का भी आरोप लगाया गया है।

भाजपा का दावा, शीश महल पर कैग रिपोर्ट में 139 सवाल

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने छह जनवरी को प्रेसवार्ता कर दावा किया था कि कैग रिपोर्ट में शीश महल को लेकर 139 सवाल खड़े किए गए हैं। दिल्ली शहरी कला आयोग और नगर निगम की अनुमति के बिना इसे बनाया गया।

कैग रिपोर्ट में वर्ष 2022 तक का खर्च 33.66 करोड़ बताया गया है। बाद के खर्च को शामिल करने पर यह 80 करोड़ तक पहुंच सकता है। मुख्यमंत्री को हैसियत से बड़ा बंगला आवंटित किया गया। उसके बाद अतिरिक्त निर्माण का पहला प्रस्ताव 7.91 करोड़ रुपये बना। उसके बाद नियम का पालन किए बिना बढ़ाकर 33.71 करोड़ कर दिया गया। काम को छोटे-छोटे भाग में विभाजित किया गया, जिससे कि एलजी की अनुमति की जरूरत न पड़े।

सोने की परत वाला शौचालय क्यों नहीं दिखा रही भाजपा : आप

आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर नकारात्मक राजनीति करने का आरोप लगाया है। पार्टी प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि अगर सीएम आवास में किसी नियम का उल्लंघन हुआ है, तो भाजपा ने मीडिया को अंदर जाने क्यों नहीं दिया? जनता को भी दिखाया जाना चाहिए कि वहां शौचालय में सोने की परत कहां पर लगी है। स्विमिंग पूल और मिनी बार बना है, तो उसे दिखाए। अगर भाजपा को जांच ही करानी है, तो राजमहल यानी प्रधानमंत्री आवास की करानी चाहिए कि यह कैसे 2,750 करोड़ में बना और किसने 300 करोड़ की कालीन और 200 करोड़ के झूमर की मंजूरी दी।






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