जानिए ऋषि, साधु, संत, मुनि, संन्यासी और योगी में क्या अंतर होता है?

जानिए ऋषि, साधु, संत, मुनि, संन्यासी और योगी में क्या अंतर होता है?

हिंदू धर्म में आध्यात्मिक मार्ग पर चलकर ज्ञान और ईश्वर को प्राप्त करने के कई रास्ते हैं. आपने भी  ऋषि, साधु, संत, मुनि, संन्यासी और योगी का नाम सुना होगा. ये सभी आत्मज्ञान और आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए अलग-अलग मार्ग का अनुसरण करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें अंतर क्या है? बहुत सारे लोगों के लगता है कि ये सब एक ही हैं. लेकिन ऐसा नहीं है.

ऋषि कौन होते हैं?

गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों का गहन अध्ययन करने वाले विद्वान को ऋषि कहा जाता है. ऋषि वह व्यक्ति होता है जो वेदों के अध्ययन और ध्यान से अर्जित ज्ञान को समाज की भलाई के लिए समर्पित करते हैं. भारत में  वशिष्ठ, विश्वामित्र और अगस्त्य जैसे प्रसिद्ध ऋषि हुए हैं. ऋषियों को शास्त्रों का विशेषज्ञ माना जाता है. प्राचीन ऋषि महान वैज्ञानिक भी थे. ऋषियों ने ही योग जैसी पद्धति विकसित की जो आज भी पूरी दुनिया में लोगों के काम आ रही है.

साधु कौन होते हैं?

साधु वह व्यक्ति होता है जो सांसारिक भौतिकवादी जीवन से हटकर आध्यात्मिक जीवन जीने लगता है. साधु आमतौर पर लोगों से अलग आश्रम या मंदिर में रहते हैं. ये भजन करते हैं. साधु अपना जीवन दूसरों की सेवा के लिए समर्पित करते हैं. साधु वह होता है जिसका आचरण धार्मिक होता है और जो विनम्र होता है. साधु की भौतिक संपत्ति में कोई रूचि नहीं होती. हालांकि यह जरूरी नहीं कि साधु ऋषि की तरह शास्त्रों का ज्ञाता भी हो.

संत किसे कहते हैं?

धर्म और आध्यात्म के मार्ग पर चलने वाले उस व्यक्ति को संत कहते हैं जो प्रेम और ज्ञान फैलाने के लिए समर्पित होता है. संत लोगों को ईश्वर की भक्ति और नैतिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं. संत भक्ति में जीवन समर्पित करते हैं और दूसरों को सद्गुणी जीवन जीने में मदद करते हैं. तुलसीदास, सूरदास और मीराबाई जैसे संत अपनी भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं.

मुनि कौन होते हैं?

मौन रहकर चिंतन करने वाले ऋषि को मुनि कहते हैं. मुनि अपने मन और वाणी को नियंत्रित करके सत्य की खोज करते हैं. अनावश्यक बातचीत से बचते हुए मुनि आंतरिक अनुभूति पर ध्यान केन्द्रित करते हैं. मुनि शब्द संस्कृत के मूल शब्द मनन से आया है. इसका अर्थ है सोचना. इस प्रकार, मुनि वह होता है जो विचारशील होता है. श्रीमद्भगवदम् के अनुसार मुनि वह होता है जो मानसिक चिंतन या विचार करने में विशेषज्ञ होता है.

संन्यासी किसे कहते हैं?

संन्यासी वह व्यक्ति होता है जिसने सभी सांसारिक आसक्तियों का त्याग कर दिया होता है. सन्यासी ब्रह्मचर्य की शपथ लेते हैं, सादा जीवन जीते हैं और केवल ईश्वर को पाने के लिए धर्म के मार्ग पर चलते हैं. संन्यासी का अर्थ है- वह व्यक्ति जिसने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सभी भौतिकवादी चीजों को त्याग दिया है.






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