फरवरी के महीने में आलू के खेत खाली हो जाते हैं. किसान इन खाली खेतों में कद्दू की खेती कर सकते हैं. कद्दू की फसल 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है. यानि जायद सीजन से पहले खेत खाली भी हो जाएंगे.
फरवरी के महीने में आलू और गन्ने की कटाई के बाद किसानों के खेत खाली हो जाते हैं. इन खाली खेतों में किसान कद्दूवर्गीय सब्जी उगा सकते हैं. खासकर किसान अगर कद्दू की खेती करें तो 60 से 70 दिनों में अच्छा मुनाफ़ा मिल जाएगा.
फरवरी महीने में किसान आलू की हार्वेस्टिंग के बाद कद्दू की फसल लगा सकते हैं. कद्दू की फसल से किसानों को कम दिनों में अच्छा मुनाफा मिलता है. लेकिन कद्दू की खेती करते समय किसानों को उन्नत किस्म का ही चुनाव करना चाहिए.
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार पाठक ने बताया कि किसान अगर आजाद पंपकिन- 1 और नरेंद्र आभूषण किस्म की बुवाई करें तो किसान 70 दिनों में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. ये दोनों किस्में किसानों को अच्छा उत्पादन देती हैं.,
कद्दू की खेती करते समय किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि खेत में जल भराव ना हो. खेत में जल निकासी बेहतर होनी चाहिए. इसके अलावा मिट्टी उपजाऊ होना बेहद जरूरी है. हालांकि अगर बेमौसम बारिश हुई तो कद्दू की फसल बर्बाद हो सकती है.
कद्दू की फसल लगाने से पहले खेत की बेहतर तरीके से तैयारी करना जरूरी है. खेत की गहरी जुताई करने के बाद मिट्टी को भुरभुरा बना लें. उसके बाद गोबर की सड़ी हुई खाद को अंतिम जुताई के समय मिट्टी में मिलते हुए खेत को समतल कर दें. खेत को अच्छी तरह से अगर समतल करेंगे तो जल निकासी बेहतर होगी.
कद्दू की कई उन्नत किस्में हैं, जिनमें आजाद पंपकिन भी शामिल है. आजाद पंपकिन- 1 एक संकर किस्म है. इसके फल का वजन 4-6 किलोग्राम तक होता है. यह किस्म लगभग 65-70 दिनों में हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाती है. आजाद पंपकिन से किसान 1 हेक्टेयर की फसल लगाकर 420 से 450 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैंकद्दू की नरेंद्र आभूषण किस्म किसानों के लिए बेहद ही उपयोगी है. इस किस्म की बुवाई 15 फरवरी से लेकर 15 मार्च तक की जा सकती है. इस किस्म से किसान बंपर उत्पादन ले सकते हैं .एक हेक्टेयर से किसानों को करीब 700 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है. यह किस्म 60 से 70 दिनों में तुडाई के लिए तैयार हो जाती है.
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