भगदड़ अफवाह जनित भागदौड़ की परिणिति ने 18 मासूमों की ईहलीला खत्म कर दी,दिल्ली रेलवे स्टेशन में मचे भगदड़ में महिलाओं और बच्चों की मृत्यु हो गई, घायलों का ईलाज अस्पतालों में चल रहा है,ईश्वर करें की इस घटना की भीषणता और ना बढ़े,घायल स्वस्थ होकर लौटे ,महाकुंभ में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा है, मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में मचे भगदड़ और महाकुंभ की शुरुवात से लेकर उसकी तैयारी पर विपक्ष की त्यौरियां चढ़ी हुई है, पचास करोड़ से उपर के हिन्दू समागम महाकुंभ से विपक्षियों को चीढ़ मची हुई है ,पर भगदड़ में जाने गई जों अक्षम्य है, जवाबदेही तय होनी चाहिए दोषियों पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए ,विश्व स्तरीय रेलवे सुविधाओं की तरफ हम बढ़ रहे है,भीड़ नियंत्रण नही कर पा रहे तों इस दोष को भी सिरमाथे लेना होगा ,आधुनिक तकनीकी के इस दौर में सबकुछ पता किया जा सकता है, भीड़ यकायक तों नही आई होगी, इकट्ठी होती भीड़ का पूर्वानुमान नही लगा पाना रेलवे और प्रशासन की गलती है,मर्माहंत करने वाली ये घटना ,श्रद्धालुओं की आकस्मिक मौत के जिम्मेदारों को सजा मिलनी ही चाहिए, यदि इसमें लीपापोती अंशमात्र भी हुई तों मोदी सरकार की छवि धूमिल होगी, मृतकों और शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ा होना होगा,ये सही है की रेल दुर्घटनाओ में कमी आई है,पर इस हादसे के मानवीय संवेदनाओं को भी नही भुला जा सकता।
हादसे का दूसरा पक्ष ये है की रेलवे स्टेशन में अत्याधिक भीड़ थी, कई यात्रियों ने बिना टिकिट ही रेलवे स्टेशन में प्रवेश किया,नागरिकता के भाव का आभाव । क्षमता से अधिक यात्री स्वमेव ट्रेनों में चढ़ने की कोशिश करते दिखते है,और देश में माहौल ऐसा है की कर्तव्य बोध महसूस किसी को नही हो रहा,शाहीन बाग़ ,किसान आंदोलन में भी यही भाव था उच्छृंखलता को सह दी गई ,कानून हाथ में लिया गया, अमेरिका से वापस भेजे गए भारतीय अवैध प्रवासियों से सहानुभूति दिखाई जा रही ,उनके गैर कानूनी कृत्यों पर पर्दा डाला जा रहा,संभल में पत्थर बाजी करने वाले शहीद बताए गए ,लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलने की कवायद हो रही ।अपराध करने वालों के लिए मानवाधिकार की लड़ाई ,पीड़ित सिर्फ न्याय की दुहाई कर रहा, सुरक्षाबलों पर पत्थरों हथियारों से चढ़ाई, बुद्धजीवियों (मीडिया) का एक वर्ग और विपक्षी राजनेता भ्रम फैला सत्ता की सीढ़ी चढ़ना चाह रहे,विगत लोकसभा चुनावों के परिणामों से वों उत्साहित है हार में भी जीत का गर्व है,भाजपा प्रवक्ताओं की प्रबुद्धता के बाद भी उनका भ्रम फ़ैलाने में आंशिक सफल हो जाना बताता है की उनके रवैये में कोई बदलाव नही होने वाला, मोदी सरकार की सरकारी योजनाओं का लाभ मुस्लिमों को भी मिल रहा,मोदी को कई मुस्लिम राष्ट्र का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला फिर भी मोदी मुस्लिम विरोधी ये उन मुस्लिम राष्ट्रों और देश के मुसलमानों के समझ पर बेवजह लगाया जाने वाला प्रश्न चिन्ह है,गोदी मीडिया की अवधारणा गढ़ मोदी विरोध के नए बहाने खोजे गए ,सरकार को ये समझना होगा सत्ता के लिए बिलबिलाते लोग खुद से फर्जी मौके बना रहे और बनायेंगे,ऐसे में सरकार उन्हें कोई मौका ना दे, यदि आसमानी बिजली गिर जाए तों भी उसकी जवाबदारी मोदी सरकार की बताएंगे ,जिनके स्टूडियों में एक सांप निकल जाए तों भगदड़ मच जाए वों सर्वज्ञ बन भीड़ प्रबंधन बताएंगे ,भ्रमित भौरे डोल रहे वोटों के फुल खोज रहे, बेवफाई ,बेहयाई इन भौरों की फूलो को भी मालूम है, बिना संवेदनाओं के रुदाली है ,रुदन इनका जारी है ,प्रशासन को सख्त होना होगा, कानून प्रभावी रखना होगा लोकतंत्र,लोकतंत्र रहे भीड़तंत्र ना बने ,अधिकारों के साथ कर्तव्यबोध भी रखना होगा।
भगदड़ में जिन्होंने जान गंवाई उनकों भावभीनी श्रद्धांजलि सरकार भी संवेदनाओं के साथ दायित्वों का निर्वहन करे, विरोधी तों सवाल करेंगे ये उनके लिए संवेदनाओं से ज्यादा राजनीतिक मसला है,भाव भंगिमा, व्यक्तव सारे ,बुद्धजीवियों के सवाल सारे एकतरफा है, आपदा में भी अवसर ढूंढने की उनकी तमन्ना है, सहानुभूति संवेदना शोकाकुल परिवार के लिए होनी ही चाहिए पर जिनको महाकुंभ खटकता है ,उनकी नजरों में श्रद्धालुओं का आंकड़ा भी अटकता है,सत्ता के रास्ते भटकते दिख रहे, ये भटकी हुई आत्मा है, ये कैसे किसी के आत्मा की शांति की कामना करेंगे, सरकार सालों से ऐसे विरोधो को झेल रही और झेल भी लेगी, पर भगदड़ अवरोध है,सुशासन की राह का रोड़ा है ,बिना थके परिश्रम करना होगा ,भाग्य अपना -अपना मोदी की एक गलती हो तके बैठे विपक्ष से निपटना होगा,दक्षता में ही पूर्णता है, पूर्णता में नही एक गलती की जगह है,जिन्होंने सरयू में कारसेवकों की लाशे बहा दी दंगो से देश रक्त रंजित कर दिया उन्हें गंगा में भी लाशे ही दिखेंगी,भगदड़ में श्रद्धांजलि की जगह बयानों की भगदड़ है-------------------------------जैसे -जैसे बढ़ रहा पूजन वैसे -वैसे बढ़ रहा मुंह का सुजन
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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